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Home ताज़ा समाचार

हॉकी के मैदान पर अपने पिता का सपना जी रही हैं युवा मिडफील्डर वैष्णवी

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September 15, 2023
in ताज़ा समाचार
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बेंगलुरु, 15 सितंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर वैष्णवी विट्ठल फाल्के अपने पिता के सपने को जी रही हैं। वैष्णवी हांगझाऊ में शुरू होने वाले 19वें एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं।

वैष्णवी के पिता विट्ठल फाल्के एक किसान हैं, जो कभी पहलवान हुआ करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने महाराष्ट्र में एक क्षेत्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में भाग भी लिया था। हालांकि प्रतियोगिता जीतने का उनका सपना अधूरा रह गया लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून उनकी बेटी के माध्यम से जीवित है।

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वैष्णवी ने एक हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपने पहले कदम के बारे में बताते हुए कहा, “जब मेरे पिता युवा थे तब वो पहलवान हुआ करते थे लेकिन वह बड़ी लीग में जगह नहीं बना सके। इसलिए, उन्होंने मुझमें अपना सपना जिंदा रखा और उम्मीद जताई कि मैं देश के लिए खेलूंगी। उन्होंने मुझे खेलों में आगे बढ़ने के लिए 2011 में श्री शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बालेवाड़ी, पुणे भेजा और कई खेलों में हाथ आजमाने के बाद मैंने हॉकी खेलने का फैसला किया।”

अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए वैष्णवी ने अपना बचपन घर से दूर बिताया। 2017 में उन्होंने अपनी पहली सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप, तमिलनाडु के रामनाथपुरम में आयोजित 7वीं हॉकी इंडिया सब-जूनियर महिला नेशनल चैंपियनशिप खेली।

मिडफ़ील्ड में उनके शानदार प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा और 2019 में 9वीं हॉकी इंडिया जूनियर महिला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय जूनियर महिला टीम में जगह मिली।

वैष्णवी ने आगे कहा, “मेरे पिता हमेशा मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और मुझे याद है कि जब मैं सीनियर के रूप में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर गई तो वह वास्तव में खुश थे। एक बार जब उन्हें पता चला कि मैंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 के लिए टीम में जगह बनाई है, तो उनकी खुशी दस गुना बढ़ गई।

टीम में जगह मिलने पर वैष्णवी ने कहा, “सीनियर टीम में यह मेरा पहला बड़ा टूर्नामेंट होगा और मैं अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए तैयार हूं। यह एक बड़ा मंच है और मैं मैदान पर अपना कौशल दिखाने के लिए उत्सुक हूं।”

अब तक, वैष्णवी ने छह मौकों पर भारतीय जर्सी पहनी है और एक गोल किया है। वह उस जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की भी सदस्य थीं, जिसने इस साल की शुरुआत में जापान के काकामिघारा में जूनियर एशिया कप जीता था।

उन्होंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 की तैयारियों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हमने बहुत सारे अभ्यास मैच खेले, साथ ही कुछ कठिन अभ्यास सत्र भी रहा। हमारा उद्देश्य पदक के साथ वापस आना है और हम यह सोचकर मैदान नहीं छोड़ना चाहते कि हम और अधिक कर सकते थे। मैं वैसा ही प्रदर्शन करना चाहती हूं जैसा मैं अभ्यास मैचों के दौरान करती हूं। थोड़ा दबाव होगा क्योंकि यह एक बड़ा टूर्नामेंट है, लेकिन मैं इसे एक तरफ रखकर खुलकर खेलूंगी।

–आईएएनएस

एएमजे

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बेंगलुरु, 15 सितंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर वैष्णवी विट्ठल फाल्के अपने पिता के सपने को जी रही हैं। वैष्णवी हांगझाऊ में शुरू होने वाले 19वें एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं।

वैष्णवी के पिता विट्ठल फाल्के एक किसान हैं, जो कभी पहलवान हुआ करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने महाराष्ट्र में एक क्षेत्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में भाग भी लिया था। हालांकि प्रतियोगिता जीतने का उनका सपना अधूरा रह गया लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून उनकी बेटी के माध्यम से जीवित है।

वैष्णवी ने एक हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपने पहले कदम के बारे में बताते हुए कहा, “जब मेरे पिता युवा थे तब वो पहलवान हुआ करते थे लेकिन वह बड़ी लीग में जगह नहीं बना सके। इसलिए, उन्होंने मुझमें अपना सपना जिंदा रखा और उम्मीद जताई कि मैं देश के लिए खेलूंगी। उन्होंने मुझे खेलों में आगे बढ़ने के लिए 2011 में श्री शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बालेवाड़ी, पुणे भेजा और कई खेलों में हाथ आजमाने के बाद मैंने हॉकी खेलने का फैसला किया।”

अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए वैष्णवी ने अपना बचपन घर से दूर बिताया। 2017 में उन्होंने अपनी पहली सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप, तमिलनाडु के रामनाथपुरम में आयोजित 7वीं हॉकी इंडिया सब-जूनियर महिला नेशनल चैंपियनशिप खेली।

मिडफ़ील्ड में उनके शानदार प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा और 2019 में 9वीं हॉकी इंडिया जूनियर महिला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय जूनियर महिला टीम में जगह मिली।

वैष्णवी ने आगे कहा, “मेरे पिता हमेशा मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और मुझे याद है कि जब मैं सीनियर के रूप में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर गई तो वह वास्तव में खुश थे। एक बार जब उन्हें पता चला कि मैंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 के लिए टीम में जगह बनाई है, तो उनकी खुशी दस गुना बढ़ गई।

टीम में जगह मिलने पर वैष्णवी ने कहा, “सीनियर टीम में यह मेरा पहला बड़ा टूर्नामेंट होगा और मैं अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए तैयार हूं। यह एक बड़ा मंच है और मैं मैदान पर अपना कौशल दिखाने के लिए उत्सुक हूं।”

अब तक, वैष्णवी ने छह मौकों पर भारतीय जर्सी पहनी है और एक गोल किया है। वह उस जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की भी सदस्य थीं, जिसने इस साल की शुरुआत में जापान के काकामिघारा में जूनियर एशिया कप जीता था।

उन्होंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 की तैयारियों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हमने बहुत सारे अभ्यास मैच खेले, साथ ही कुछ कठिन अभ्यास सत्र भी रहा। हमारा उद्देश्य पदक के साथ वापस आना है और हम यह सोचकर मैदान नहीं छोड़ना चाहते कि हम और अधिक कर सकते थे। मैं वैसा ही प्रदर्शन करना चाहती हूं जैसा मैं अभ्यास मैचों के दौरान करती हूं। थोड़ा दबाव होगा क्योंकि यह एक बड़ा टूर्नामेंट है, लेकिन मैं इसे एक तरफ रखकर खुलकर खेलूंगी।

–आईएएनएस

एएमजे

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बेंगलुरु, 15 सितंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर वैष्णवी विट्ठल फाल्के अपने पिता के सपने को जी रही हैं। वैष्णवी हांगझाऊ में शुरू होने वाले 19वें एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं।

वैष्णवी के पिता विट्ठल फाल्के एक किसान हैं, जो कभी पहलवान हुआ करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने महाराष्ट्र में एक क्षेत्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में भाग भी लिया था। हालांकि प्रतियोगिता जीतने का उनका सपना अधूरा रह गया लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून उनकी बेटी के माध्यम से जीवित है।

वैष्णवी ने एक हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपने पहले कदम के बारे में बताते हुए कहा, “जब मेरे पिता युवा थे तब वो पहलवान हुआ करते थे लेकिन वह बड़ी लीग में जगह नहीं बना सके। इसलिए, उन्होंने मुझमें अपना सपना जिंदा रखा और उम्मीद जताई कि मैं देश के लिए खेलूंगी। उन्होंने मुझे खेलों में आगे बढ़ने के लिए 2011 में श्री शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बालेवाड़ी, पुणे भेजा और कई खेलों में हाथ आजमाने के बाद मैंने हॉकी खेलने का फैसला किया।”

अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए वैष्णवी ने अपना बचपन घर से दूर बिताया। 2017 में उन्होंने अपनी पहली सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप, तमिलनाडु के रामनाथपुरम में आयोजित 7वीं हॉकी इंडिया सब-जूनियर महिला नेशनल चैंपियनशिप खेली।

मिडफ़ील्ड में उनके शानदार प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा और 2019 में 9वीं हॉकी इंडिया जूनियर महिला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय जूनियर महिला टीम में जगह मिली।

वैष्णवी ने आगे कहा, “मेरे पिता हमेशा मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और मुझे याद है कि जब मैं सीनियर के रूप में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर गई तो वह वास्तव में खुश थे। एक बार जब उन्हें पता चला कि मैंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 के लिए टीम में जगह बनाई है, तो उनकी खुशी दस गुना बढ़ गई।

टीम में जगह मिलने पर वैष्णवी ने कहा, “सीनियर टीम में यह मेरा पहला बड़ा टूर्नामेंट होगा और मैं अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए तैयार हूं। यह एक बड़ा मंच है और मैं मैदान पर अपना कौशल दिखाने के लिए उत्सुक हूं।”

अब तक, वैष्णवी ने छह मौकों पर भारतीय जर्सी पहनी है और एक गोल किया है। वह उस जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की भी सदस्य थीं, जिसने इस साल की शुरुआत में जापान के काकामिघारा में जूनियर एशिया कप जीता था।

उन्होंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 की तैयारियों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हमने बहुत सारे अभ्यास मैच खेले, साथ ही कुछ कठिन अभ्यास सत्र भी रहा। हमारा उद्देश्य पदक के साथ वापस आना है और हम यह सोचकर मैदान नहीं छोड़ना चाहते कि हम और अधिक कर सकते थे। मैं वैसा ही प्रदर्शन करना चाहती हूं जैसा मैं अभ्यास मैचों के दौरान करती हूं। थोड़ा दबाव होगा क्योंकि यह एक बड़ा टूर्नामेंट है, लेकिन मैं इसे एक तरफ रखकर खुलकर खेलूंगी।

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बेंगलुरु, 15 सितंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर वैष्णवी विट्ठल फाल्के अपने पिता के सपने को जी रही हैं। वैष्णवी हांगझाऊ में शुरू होने वाले 19वें एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं।

वैष्णवी के पिता विट्ठल फाल्के एक किसान हैं, जो कभी पहलवान हुआ करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने महाराष्ट्र में एक क्षेत्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में भाग भी लिया था। हालांकि प्रतियोगिता जीतने का उनका सपना अधूरा रह गया लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून उनकी बेटी के माध्यम से जीवित है।

वैष्णवी ने एक हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपने पहले कदम के बारे में बताते हुए कहा, “जब मेरे पिता युवा थे तब वो पहलवान हुआ करते थे लेकिन वह बड़ी लीग में जगह नहीं बना सके। इसलिए, उन्होंने मुझमें अपना सपना जिंदा रखा और उम्मीद जताई कि मैं देश के लिए खेलूंगी। उन्होंने मुझे खेलों में आगे बढ़ने के लिए 2011 में श्री शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बालेवाड़ी, पुणे भेजा और कई खेलों में हाथ आजमाने के बाद मैंने हॉकी खेलने का फैसला किया।”

अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए वैष्णवी ने अपना बचपन घर से दूर बिताया। 2017 में उन्होंने अपनी पहली सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप, तमिलनाडु के रामनाथपुरम में आयोजित 7वीं हॉकी इंडिया सब-जूनियर महिला नेशनल चैंपियनशिप खेली।

मिडफ़ील्ड में उनके शानदार प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा और 2019 में 9वीं हॉकी इंडिया जूनियर महिला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय जूनियर महिला टीम में जगह मिली।

वैष्णवी ने आगे कहा, “मेरे पिता हमेशा मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और मुझे याद है कि जब मैं सीनियर के रूप में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर गई तो वह वास्तव में खुश थे। एक बार जब उन्हें पता चला कि मैंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 के लिए टीम में जगह बनाई है, तो उनकी खुशी दस गुना बढ़ गई।

टीम में जगह मिलने पर वैष्णवी ने कहा, “सीनियर टीम में यह मेरा पहला बड़ा टूर्नामेंट होगा और मैं अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए तैयार हूं। यह एक बड़ा मंच है और मैं मैदान पर अपना कौशल दिखाने के लिए उत्सुक हूं।”

अब तक, वैष्णवी ने छह मौकों पर भारतीय जर्सी पहनी है और एक गोल किया है। वह उस जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की भी सदस्य थीं, जिसने इस साल की शुरुआत में जापान के काकामिघारा में जूनियर एशिया कप जीता था।

उन्होंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 की तैयारियों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हमने बहुत सारे अभ्यास मैच खेले, साथ ही कुछ कठिन अभ्यास सत्र भी रहा। हमारा उद्देश्य पदक के साथ वापस आना है और हम यह सोचकर मैदान नहीं छोड़ना चाहते कि हम और अधिक कर सकते थे। मैं वैसा ही प्रदर्शन करना चाहती हूं जैसा मैं अभ्यास मैचों के दौरान करती हूं। थोड़ा दबाव होगा क्योंकि यह एक बड़ा टूर्नामेंट है, लेकिन मैं इसे एक तरफ रखकर खुलकर खेलूंगी।

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बेंगलुरु, 15 सितंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर वैष्णवी विट्ठल फाल्के अपने पिता के सपने को जी रही हैं। वैष्णवी हांगझाऊ में शुरू होने वाले 19वें एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं।

वैष्णवी के पिता विट्ठल फाल्के एक किसान हैं, जो कभी पहलवान हुआ करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने महाराष्ट्र में एक क्षेत्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में भाग भी लिया था। हालांकि प्रतियोगिता जीतने का उनका सपना अधूरा रह गया लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून उनकी बेटी के माध्यम से जीवित है।

वैष्णवी ने एक हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपने पहले कदम के बारे में बताते हुए कहा, “जब मेरे पिता युवा थे तब वो पहलवान हुआ करते थे लेकिन वह बड़ी लीग में जगह नहीं बना सके। इसलिए, उन्होंने मुझमें अपना सपना जिंदा रखा और उम्मीद जताई कि मैं देश के लिए खेलूंगी। उन्होंने मुझे खेलों में आगे बढ़ने के लिए 2011 में श्री शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बालेवाड़ी, पुणे भेजा और कई खेलों में हाथ आजमाने के बाद मैंने हॉकी खेलने का फैसला किया।”

अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए वैष्णवी ने अपना बचपन घर से दूर बिताया। 2017 में उन्होंने अपनी पहली सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप, तमिलनाडु के रामनाथपुरम में आयोजित 7वीं हॉकी इंडिया सब-जूनियर महिला नेशनल चैंपियनशिप खेली।

मिडफ़ील्ड में उनके शानदार प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा और 2019 में 9वीं हॉकी इंडिया जूनियर महिला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय जूनियर महिला टीम में जगह मिली।

वैष्णवी ने आगे कहा, “मेरे पिता हमेशा मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और मुझे याद है कि जब मैं सीनियर के रूप में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर गई तो वह वास्तव में खुश थे। एक बार जब उन्हें पता चला कि मैंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 के लिए टीम में जगह बनाई है, तो उनकी खुशी दस गुना बढ़ गई।

टीम में जगह मिलने पर वैष्णवी ने कहा, “सीनियर टीम में यह मेरा पहला बड़ा टूर्नामेंट होगा और मैं अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए तैयार हूं। यह एक बड़ा मंच है और मैं मैदान पर अपना कौशल दिखाने के लिए उत्सुक हूं।”

अब तक, वैष्णवी ने छह मौकों पर भारतीय जर्सी पहनी है और एक गोल किया है। वह उस जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की भी सदस्य थीं, जिसने इस साल की शुरुआत में जापान के काकामिघारा में जूनियर एशिया कप जीता था।

उन्होंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 की तैयारियों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हमने बहुत सारे अभ्यास मैच खेले, साथ ही कुछ कठिन अभ्यास सत्र भी रहा। हमारा उद्देश्य पदक के साथ वापस आना है और हम यह सोचकर मैदान नहीं छोड़ना चाहते कि हम और अधिक कर सकते थे। मैं वैसा ही प्रदर्शन करना चाहती हूं जैसा मैं अभ्यास मैचों के दौरान करती हूं। थोड़ा दबाव होगा क्योंकि यह एक बड़ा टूर्नामेंट है, लेकिन मैं इसे एक तरफ रखकर खुलकर खेलूंगी।

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बेंगलुरु, 15 सितंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर वैष्णवी विट्ठल फाल्के अपने पिता के सपने को जी रही हैं। वैष्णवी हांगझाऊ में शुरू होने वाले 19वें एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं।

वैष्णवी के पिता विट्ठल फाल्के एक किसान हैं, जो कभी पहलवान हुआ करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने महाराष्ट्र में एक क्षेत्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में भाग भी लिया था। हालांकि प्रतियोगिता जीतने का उनका सपना अधूरा रह गया लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून उनकी बेटी के माध्यम से जीवित है।

वैष्णवी ने एक हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपने पहले कदम के बारे में बताते हुए कहा, “जब मेरे पिता युवा थे तब वो पहलवान हुआ करते थे लेकिन वह बड़ी लीग में जगह नहीं बना सके। इसलिए, उन्होंने मुझमें अपना सपना जिंदा रखा और उम्मीद जताई कि मैं देश के लिए खेलूंगी। उन्होंने मुझे खेलों में आगे बढ़ने के लिए 2011 में श्री शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बालेवाड़ी, पुणे भेजा और कई खेलों में हाथ आजमाने के बाद मैंने हॉकी खेलने का फैसला किया।”

अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए वैष्णवी ने अपना बचपन घर से दूर बिताया। 2017 में उन्होंने अपनी पहली सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप, तमिलनाडु के रामनाथपुरम में आयोजित 7वीं हॉकी इंडिया सब-जूनियर महिला नेशनल चैंपियनशिप खेली।

मिडफ़ील्ड में उनके शानदार प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा और 2019 में 9वीं हॉकी इंडिया जूनियर महिला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय जूनियर महिला टीम में जगह मिली।

वैष्णवी ने आगे कहा, “मेरे पिता हमेशा मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और मुझे याद है कि जब मैं सीनियर के रूप में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर गई तो वह वास्तव में खुश थे। एक बार जब उन्हें पता चला कि मैंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 के लिए टीम में जगह बनाई है, तो उनकी खुशी दस गुना बढ़ गई।

टीम में जगह मिलने पर वैष्णवी ने कहा, “सीनियर टीम में यह मेरा पहला बड़ा टूर्नामेंट होगा और मैं अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए तैयार हूं। यह एक बड़ा मंच है और मैं मैदान पर अपना कौशल दिखाने के लिए उत्सुक हूं।”

अब तक, वैष्णवी ने छह मौकों पर भारतीय जर्सी पहनी है और एक गोल किया है। वह उस जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की भी सदस्य थीं, जिसने इस साल की शुरुआत में जापान के काकामिघारा में जूनियर एशिया कप जीता था।

उन्होंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 की तैयारियों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हमने बहुत सारे अभ्यास मैच खेले, साथ ही कुछ कठिन अभ्यास सत्र भी रहा। हमारा उद्देश्य पदक के साथ वापस आना है और हम यह सोचकर मैदान नहीं छोड़ना चाहते कि हम और अधिक कर सकते थे। मैं वैसा ही प्रदर्शन करना चाहती हूं जैसा मैं अभ्यास मैचों के दौरान करती हूं। थोड़ा दबाव होगा क्योंकि यह एक बड़ा टूर्नामेंट है, लेकिन मैं इसे एक तरफ रखकर खुलकर खेलूंगी।

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बेंगलुरु, 15 सितंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर वैष्णवी विट्ठल फाल्के अपने पिता के सपने को जी रही हैं। वैष्णवी हांगझाऊ में शुरू होने वाले 19वें एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं।

वैष्णवी के पिता विट्ठल फाल्के एक किसान हैं, जो कभी पहलवान हुआ करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने महाराष्ट्र में एक क्षेत्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में भाग भी लिया था। हालांकि प्रतियोगिता जीतने का उनका सपना अधूरा रह गया लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून उनकी बेटी के माध्यम से जीवित है।

वैष्णवी ने एक हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपने पहले कदम के बारे में बताते हुए कहा, “जब मेरे पिता युवा थे तब वो पहलवान हुआ करते थे लेकिन वह बड़ी लीग में जगह नहीं बना सके। इसलिए, उन्होंने मुझमें अपना सपना जिंदा रखा और उम्मीद जताई कि मैं देश के लिए खेलूंगी। उन्होंने मुझे खेलों में आगे बढ़ने के लिए 2011 में श्री शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बालेवाड़ी, पुणे भेजा और कई खेलों में हाथ आजमाने के बाद मैंने हॉकी खेलने का फैसला किया।”

अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए वैष्णवी ने अपना बचपन घर से दूर बिताया। 2017 में उन्होंने अपनी पहली सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप, तमिलनाडु के रामनाथपुरम में आयोजित 7वीं हॉकी इंडिया सब-जूनियर महिला नेशनल चैंपियनशिप खेली।

मिडफ़ील्ड में उनके शानदार प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा और 2019 में 9वीं हॉकी इंडिया जूनियर महिला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय जूनियर महिला टीम में जगह मिली।

वैष्णवी ने आगे कहा, “मेरे पिता हमेशा मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और मुझे याद है कि जब मैं सीनियर के रूप में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर गई तो वह वास्तव में खुश थे। एक बार जब उन्हें पता चला कि मैंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 के लिए टीम में जगह बनाई है, तो उनकी खुशी दस गुना बढ़ गई।

टीम में जगह मिलने पर वैष्णवी ने कहा, “सीनियर टीम में यह मेरा पहला बड़ा टूर्नामेंट होगा और मैं अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए तैयार हूं। यह एक बड़ा मंच है और मैं मैदान पर अपना कौशल दिखाने के लिए उत्सुक हूं।”

अब तक, वैष्णवी ने छह मौकों पर भारतीय जर्सी पहनी है और एक गोल किया है। वह उस जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की भी सदस्य थीं, जिसने इस साल की शुरुआत में जापान के काकामिघारा में जूनियर एशिया कप जीता था।

उन्होंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 की तैयारियों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हमने बहुत सारे अभ्यास मैच खेले, साथ ही कुछ कठिन अभ्यास सत्र भी रहा। हमारा उद्देश्य पदक के साथ वापस आना है और हम यह सोचकर मैदान नहीं छोड़ना चाहते कि हम और अधिक कर सकते थे। मैं वैसा ही प्रदर्शन करना चाहती हूं जैसा मैं अभ्यास मैचों के दौरान करती हूं। थोड़ा दबाव होगा क्योंकि यह एक बड़ा टूर्नामेंट है, लेकिन मैं इसे एक तरफ रखकर खुलकर खेलूंगी।

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बेंगलुरु, 15 सितंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर वैष्णवी विट्ठल फाल्के अपने पिता के सपने को जी रही हैं। वैष्णवी हांगझाऊ में शुरू होने वाले 19वें एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं।

वैष्णवी के पिता विट्ठल फाल्के एक किसान हैं, जो कभी पहलवान हुआ करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने महाराष्ट्र में एक क्षेत्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में भाग भी लिया था। हालांकि प्रतियोगिता जीतने का उनका सपना अधूरा रह गया लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून उनकी बेटी के माध्यम से जीवित है।

वैष्णवी ने एक हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपने पहले कदम के बारे में बताते हुए कहा, “जब मेरे पिता युवा थे तब वो पहलवान हुआ करते थे लेकिन वह बड़ी लीग में जगह नहीं बना सके। इसलिए, उन्होंने मुझमें अपना सपना जिंदा रखा और उम्मीद जताई कि मैं देश के लिए खेलूंगी। उन्होंने मुझे खेलों में आगे बढ़ने के लिए 2011 में श्री शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बालेवाड़ी, पुणे भेजा और कई खेलों में हाथ आजमाने के बाद मैंने हॉकी खेलने का फैसला किया।”

अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए वैष्णवी ने अपना बचपन घर से दूर बिताया। 2017 में उन्होंने अपनी पहली सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप, तमिलनाडु के रामनाथपुरम में आयोजित 7वीं हॉकी इंडिया सब-जूनियर महिला नेशनल चैंपियनशिप खेली।

मिडफ़ील्ड में उनके शानदार प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा और 2019 में 9वीं हॉकी इंडिया जूनियर महिला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय जूनियर महिला टीम में जगह मिली।

वैष्णवी ने आगे कहा, “मेरे पिता हमेशा मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और मुझे याद है कि जब मैं सीनियर के रूप में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर गई तो वह वास्तव में खुश थे। एक बार जब उन्हें पता चला कि मैंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 के लिए टीम में जगह बनाई है, तो उनकी खुशी दस गुना बढ़ गई।

टीम में जगह मिलने पर वैष्णवी ने कहा, “सीनियर टीम में यह मेरा पहला बड़ा टूर्नामेंट होगा और मैं अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए तैयार हूं। यह एक बड़ा मंच है और मैं मैदान पर अपना कौशल दिखाने के लिए उत्सुक हूं।”

अब तक, वैष्णवी ने छह मौकों पर भारतीय जर्सी पहनी है और एक गोल किया है। वह उस जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की भी सदस्य थीं, जिसने इस साल की शुरुआत में जापान के काकामिघारा में जूनियर एशिया कप जीता था।

उन्होंने 19वें एशियाई खेल हांगझाऊ 2022 की तैयारियों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हमने बहुत सारे अभ्यास मैच खेले, साथ ही कुछ कठिन अभ्यास सत्र भी रहा। हमारा उद्देश्य पदक के साथ वापस आना है और हम यह सोचकर मैदान नहीं छोड़ना चाहते कि हम और अधिक कर सकते थे। मैं वैसा ही प्रदर्शन करना चाहती हूं जैसा मैं अभ्यास मैचों के दौरान करती हूं। थोड़ा दबाव होगा क्योंकि यह एक बड़ा टूर्नामेंट है, लेकिन मैं इसे एक तरफ रखकर खुलकर खेलूंगी।

–आईएएनएस

एएमजे

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