deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home अभिमत

होली है नफरत को प्यार में बदलने का रंग-पर्व

देशबन्धु by देशबन्धु
March 1, 2023
in अभिमत
0
होली है नफरत को प्यार में बदलने का रंग-पर्व
होली है नफरत को प्यार में बदलने का रंग-पर्व
होली है नफरत को प्यार में बदलने का रंग-पर्व
0
SHARES
109
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

बदलती युग-सोच एवं जीवनशैली से होली त्यौहार के रंग भले ही फीके पड़े हैं या मेरे-तेरे की भावना, भागदौड़, स्वार्थ एवं संकीर्णता से होली की परम्परा में धुंधलका आया है। परिस्थितियों के थपेड़ों ने होली की खुशी को प्रभावित भी किया है, फिर भी जिन्दगी जब मस्ती एवं खुशी को स्वयं में समेटकर प्रस्तुति का बहाना मांगती है तब प्रकृति एवं परम्परा हमें होली जैसा रंगारंग त्योहार देती है। इस त्योहार की गौरवमय परम्परा को अक्षुण्ण रखते हुए हम एक उन्नत आत्मउन्नयन एवं सौहार्द का माहौल बनाएं, जहां हमारी संस्कृति एवं जीवन के रंग खिलखिलाते हुए देश ही नहीं दुनिया में अहिंसा, प्रेम, भाई-चारे, साम्प्रदायिक सौहार्द के रंग बिखेरे। पर्यावरण के प्रति उपेक्षा एवं प्रदूषित माहौल के बावजूद जीवन के सारे रंग फीके न पड़ पाए।
होली एक ऐसा त्योहार है, जिसका धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक-आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं की रोशनी में होली के त्योहार का विराट् समायोजन बदलते परिवेश में विविधताओं का संगम बन गया है, दुनिया को जोड़ने का माध्यम बन गया है। हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ पर मनाये जाने वाले सभी त्यौहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके लोगों में प्रेम, एकता एवं सद्भावना को बढ़ाते हैं। वस्तुतः होली आनंदोल्लास का पर्व है। होली शब्द का अंग्रेजी भाषा में अर्थ होता है पवित्रता। पवित्रता प्रत्येक व्यक्ति को काम्य होती है और इस त्योहार के साथ यदि पवित्रता की विरासत का जुड़ाव होता है तो इस पर्व की महत्ता शतगुणित हो जाती है। प्रश्न है कि प्रसन्नता का यह आलम जो होली के दिनों में जुनून बन जाता है, कितना स्थायी है? डफली की धुन एवं डांडिया रास की झंकार में मदमस्त मानसिकता ने होली जैसे त्योहार की उपादेयता को मात्र इसी दायरे तक सीमित कर दिया, जिसे तात्कालिक खुशी कह सकते हैं, जबकि अपेक्षा है कि रंगों की इस परम्परा को दीर्घजीविता प्रदान करते हुए आत्मिक खुशी का जरिया भी बनाये।
होली रंगों का निराला एवं अनूठा पर्व है और हमारा जीवन ढेर सारे रंगों का एक पिटारा है। यहां हर रंग जुदा है तो दूसरों से मिला हुआ भी। एक रंग, दूसरे से मिलकर तेजी से नया ही रंग-रूप धर लेता है। किसी एक पर अटके रहकर काम चल ही नहीं सकता। यही जीवन लीला है। पर क्या दूसरों के रंगों को अपने में समा लेना आसान होता है? रंगों को कोई तो कैनवस चाहिए ही ना! संकल्प हो तो कितने रंग खिल सकते हैं? सच यह है कि ना ही दूसरों को अपना बनाना आसान है और ना ही दूसरों का होकर रह पाना। जीवन को हर रंग में जीने और स्वीकारने की कला सबको नहीं आती। उसके लिए जरूरत होती है, एक मस्तमौला नजरिए की। समुद्र से मिलने को तत्पर, मीलों बहती रहने वाली नदी की ऊर्जा की। ऊर्जा और आनंद के इसी मेल का प्रतीक है होली का त्यौहार, जो लगातार बदलते रहने के बावजूद बना रहता है, धु्रव है, सत्य है।
जितने रंग प्रकृति के हैं, उतने ही हमारे हैं और प्रकृति हर पल रंग बदलती है। पुरानी पत्तियां शाख छोड़ती नहीं हैं कि नई खिलनी शुरू हो जाती हैं। पतझड़ और बसंत साथ ही चलते रहते हैं। धरती के भीतर के घुप अंधेरों को चीर कर बाहर निकला बीज, फूल, शाख, पत्तियां और फल के रंग धर लेता है। उगने, डूबने, खिलने, फैलने, मिलने, सूखने, झड़ने, चढ़ने, उतरने और खत्म होने का हर रंग प्रकृति में है और है होली के मनभावन पर्व में। पर प्रकृति हो या होली इनसे उदासीन हम, कुछ ही रंगों में सिमट जाते हैं। गिले-शिकवों, उदासी, तेरे-मेरे, क्रोध और कुंठा में ही अटक जाते हैं। नतीजा, जिंदगी में तनाव और उदासी घिरने लगती है। अर्जेंटीना में तुलनात्मक साहित्य और दर्शन विषय की जानकार प्रो. मारिया ल्यूगोनस कहती हैं, ‘अच्छे अर्थो में, स्वीकारने का ही भाव है मस्ती। उसमें तमाम मूर्खताओं की भी जगह है। सही दिशा में खुद को और अपने माहौल को बनाने और बदलने का जोश ही जिंदगी है।’ लेकिन होली जैसे त्यौहारों के बावजूद  जीवन के सारे रंग फिके पड़ रहे हैं। न कहीं आपसी विश्वास रहा, न किसी का परस्पर प्यार, न सहयोग की उदात्त भावना रही, न संघर्ष में एकता का स्वर उठा। बिखराव की भीड़ में न किसी ने हाथ थामा, न किसी ने आग्रह की पकड़ छोड़ी। यूँ लगता है सब कुछ खोकर विभक्त मन अकेला खड़ा है फिर से सब कुछ पाने की आशा में। कितनी झूठी है यह प्रतीक्षा, कितनी अर्थ शून्य है यह अगवानी।
हम भी भविष्य की अनगिनत संभावनाओं को साथ लिए आओ फिर से एक सचेतन माहौल बनाएँ। उसमें सच्चाई का रंग भरने का प्राणवान संकल्प करें। होली के लिए माहौल भी चाहिए और मन भी चाहिए, ऐसा मन जहाँ हम सब एक हों और मन की गंदी परतों को उखाड़ फेकें ताकि अविभक्त मन के आइने में प्रतिबिम्बित सभी चेहरे हमें अपने लगें। कलाकार एमी ग्रेंट के अनुसार, ‘काला रंग गहराई देता है। इसे मिलाए बिना किसी वास्तविकता को रचा नहीं जा सकता।’ जीवन में सुख-दुख दोनों हैं। दोनों एक-दूसरे में बदलते रहते हैं। हमें सुख अच्छा लगता है और दुख में हम घबरा उठते हैं। सारी कोशिशें ही दुखों से बचने की होती हैं। होली का अवसर भी सारे दुःखों को भूलकर स्वयं से स्वयं के साक्षात्कार का अवसर है।
होली दिलों से जुड़ी भावनाओं का पर्व है। यह मन और मस्तिष्क को परिष्कृत करता है। न्यूरोबायोलिस्ट और रिसर्चर सेमिर जैक कहते हैं, ‘मस्तिष्क में प्यार और नफरत को जनरेट करने वाली वायरिंग एक ही होती है।’ इस भावना की कुछ अलग तरह से व्याख्या करते हैं लेखक और समाजशास्त्री पेजिल पामरोज, ‘प्रेम आत्मा के स्तर पर होता है और नफरत भावना के स्तर पर।’ होली प्रेम एवं संवेदनाओं को जीवंतता देने का दुर्लभ अवसर है। यह नफरत को प्यार में बदल देता है। यह पर्व बाहरी दुनिया में मौज-मस्ती का अवसर ही नहीं देता, बल्कि भीतरी दुनिया का साक्षात्कार भी कराता है। महान् दार्शनिक संत आचार्य महाप्रज्ञ ने प्रेक्षाध्यान के माध्यम से विभिन्न रंगों की साधना कराते हुए आत्मा को उजालने एवं भीतरी दुनिया को उन्नत बनाने की विधि प्रदत्त की है। रोमन सम्राट व चिंतक मार्क्स ऑरेलियस ने कहा भी है, ‘मन के विचारों में रंगी होती है आत्मा।’ जैन दर्शन भी कहता है कि जैसे विचार होते हैं, वैसे ही कर्म परमाणु आत्मा से चिपक जाते हैं। आत्मा के तमाम रंगों तक पहुंचने की हमारी यात्रा मन से होकर गुजरती है। हमें अपने विचारों को सही रखना होता है। उसमें दूसरों के लिए जगह छोड़नी होती है। नकारात्मक ऊर्जा के नुकसान से बचने के लिए होली के रंगों में सराबोर होना, रंगों का ध्यान करना, अपनी पर्वमय संस्कृति से रू-ब-रू होना फायदेमंद साबित होता है। पेजिल पामरोज इसका उपाय बताते हुए कहते हैं, ‘अपने आप से प्यार करना सीखें। आप जो हैं, आपसे अच्छा और कोई नहीं जानता। अपने आपसे मोहब्बत करेंगे तो यह भी जान पाएंगे कि जो आपको चाहते हैं, उनके प्यार में कितनी गहराई है।’
होली की परम्पराएँ श्रीकृष्ण की लीलाओं से सम्बद्ध हैं और भक्त हृदय में विशेष महत्व रखती हैं। श्रीकृष्ण की भक्ति में सराबोर होकर होली का रंगभरा और रंगीनीभरा त्यौहार मनाना एक विलक्षण अनुभव है। मंदिरों की नगरी वृन्दावन में फाल्गुन शुक्ल एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन यहाँ होली के रंग खेलना परम्परागत रूप में प्रारम्भ हो जाता है। मंदिरों में होली की मस्ती और भक्ति दोनों ही अपनी अनुपम छटा बिखेरती है। होली जैसे त्यौहार में जब अमीर-गरीब, छोटे-बड़े, ब्राह्मण-शूद्र आदि सब का भेद मिट जाता है, तब ऐसी भावना करनी चाहिए कि होली की अग्नि में हमारी समस्त पीड़ाएँ दुःख, चिंताएँ, द्वेष-भाव आदि जल जाएँ तथा जीवन में प्रसन्नता, हर्षोल्लास तथा आनंद का रंग बिखर जाए। होली का कोई-न-कोई संकल्प हो और यह संकल्प हो सकता है कि हम स्वयं शांतिपूर्ण एवं स्वस्थ जीवन जीये और सभी के लिये शांतिपूर्ण एवं निरोगी जीवन की कामना करें। ऐसा संकल्प और ऐसा जीवन सचमुच होली को सार्थक बना सकते हैं।

ADVERTISEMENT

प्रेषकः ललित गर्ग
लेखक, पत्रकार एवं स्तंभकार
ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट
25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92

READ ALSO

आंगनवाड़ी में पोषण और पढ़ाई के साथ विकलांगता की पहचान और उपचार

सच दूर से लौटकर आ जाते हम

देशबन्धु

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

Related Posts

आंगनवाड़ी में पोषण और पढ़ाई के साथ विकलांगता की पहचान और उपचार
अभिमत

आंगनवाड़ी में पोषण और पढ़ाई के साथ विकलांगता की पहचान और उपचार

March 29, 2025
अभिमत

सच दूर से लौटकर आ जाते हम

March 1, 2023
अभिमत

रूस और यूक्रेन युद्ध का एक वर्ष

February 24, 2023
चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं
Today's Special News

चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

February 12, 2023
बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए
Today's Special News

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

February 12, 2023
हजारों गर्भवती रूसी महिलाएं नागरिकता के लिए जा रहीं अर्जेंटीना
Today's Special News

हजारों गर्भवती रूसी महिलाएं नागरिकता के लिए जा रहीं अर्जेंटीना

February 12, 2023
Next Post
कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को 7 साल पुराने मामले में बरी किया

कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को 7 साल पुराने मामले में बरी किया

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

POPULAR NEWS

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

February 12, 2023
बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

February 12, 2023
चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

February 12, 2023

बंगाल के जलपाईगुड़ी में बाढ़ जैसे हालात, शहर में घुसने लगा नदी का पानी

August 26, 2023
राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

May 5, 2024

EDITOR'S PICK

अमेजन इंडिया पर अब तक के सर्वाधिक 140 करोड़ ग्राहक खरीदारी के लिए आए, 85 प्रतिशत गैर-मेट्रो शहरों से रहे

November 4, 2024
जम्मू-कश्मीर के डोडा में गहरी खाई में गिरी बस; 33 की मौत, 22 घायल

जम्मू-कश्मीर के डोडा में गहरी खाई में गिरी बस; 33 की मौत, 22 घायल

November 15, 2023
तेरह साल से मैंने अपना प्लान नहीं बदला है : स्टार्क

तेरह साल से मैंने अपना प्लान नहीं बदला है : स्टार्क

March 20, 2023

हरे निशान में खुला भारतीय शेयर बाजार, सेंसेक्स 80,000 स्तर से ऊपर

April 25, 2025
ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

082162
Total views : 5878380
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In