नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को अंकित सक्सेना की हत्या में शामिल तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसका 2018 में राष्ट्रीय राजधानी में सरेआम कत्ल कर दिया गया था।
तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने हाल ही में सक्सेना के संबंध में पीड़ित प्रभाव आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसकी मां उसके पिता के निधन के बाद परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य हैं।
मुआवजे के आकलन के लिए रिपोर्ट महत्वपूर्ण थी और न्यायाधीश ने इसे रिकॉर्ड पर लिया।
दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
–आईएएनएस
एकेजे/
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नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को अंकित सक्सेना की हत्या में शामिल तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसका 2018 में राष्ट्रीय राजधानी में सरेआम कत्ल कर दिया गया था।
तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने हाल ही में सक्सेना के संबंध में पीड़ित प्रभाव आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसकी मां उसके पिता के निधन के बाद परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य हैं।
मुआवजे के आकलन के लिए रिपोर्ट महत्वपूर्ण थी और न्यायाधीश ने इसे रिकॉर्ड पर लिया।
दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को अंकित सक्सेना की हत्या में शामिल तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसका 2018 में राष्ट्रीय राजधानी में सरेआम कत्ल कर दिया गया था।
तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने हाल ही में सक्सेना के संबंध में पीड़ित प्रभाव आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसकी मां उसके पिता के निधन के बाद परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य हैं।
मुआवजे के आकलन के लिए रिपोर्ट महत्वपूर्ण थी और न्यायाधीश ने इसे रिकॉर्ड पर लिया।
दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को अंकित सक्सेना की हत्या में शामिल तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसका 2018 में राष्ट्रीय राजधानी में सरेआम कत्ल कर दिया गया था।
तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने हाल ही में सक्सेना के संबंध में पीड़ित प्रभाव आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसकी मां उसके पिता के निधन के बाद परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य हैं।
मुआवजे के आकलन के लिए रिपोर्ट महत्वपूर्ण थी और न्यायाधीश ने इसे रिकॉर्ड पर लिया।
दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने हाल ही में सक्सेना के संबंध में पीड़ित प्रभाव आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसकी मां उसके पिता के निधन के बाद परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य हैं।
मुआवजे के आकलन के लिए रिपोर्ट महत्वपूर्ण थी और न्यायाधीश ने इसे रिकॉर्ड पर लिया।
दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को अंकित सक्सेना की हत्या में शामिल तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसका 2018 में राष्ट्रीय राजधानी में सरेआम कत्ल कर दिया गया था।
तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
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मुआवजे के आकलन के लिए रिपोर्ट महत्वपूर्ण थी और न्यायाधीश ने इसे रिकॉर्ड पर लिया।
दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने हाल ही में सक्सेना के संबंध में पीड़ित प्रभाव आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसकी मां उसके पिता के निधन के बाद परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य हैं।
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दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
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दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने हाल ही में सक्सेना के संबंध में पीड़ित प्रभाव आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसकी मां उसके पिता के निधन के बाद परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य हैं।
मुआवजे के आकलन के लिए रिपोर्ट महत्वपूर्ण थी और न्यायाधीश ने इसे रिकॉर्ड पर लिया।
दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
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दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
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दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
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दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने हाल ही में सक्सेना के संबंध में पीड़ित प्रभाव आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसकी मां उसके पिता के निधन के बाद परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य हैं।
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मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
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नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को अंकित सक्सेना की हत्या में शामिल तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसका 2018 में राष्ट्रीय राजधानी में सरेआम कत्ल कर दिया गया था।
तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने हाल ही में सक्सेना के संबंध में पीड़ित प्रभाव आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसकी मां उसके पिता के निधन के बाद परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य हैं।
मुआवजे के आकलन के लिए रिपोर्ट महत्वपूर्ण थी और न्यायाधीश ने इसे रिकॉर्ड पर लिया।
दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।
–आईएएनएस
एकेजे/
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नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को अंकित सक्सेना की हत्या में शामिल तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसका 2018 में राष्ट्रीय राजधानी में सरेआम कत्ल कर दिया गया था।
तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले में 2 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एएसजे शर्मा ने अकबर अली, शाहनाज़ बेगम और मोहम्मद सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें पिछले साल 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने हर दोषी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने हाल ही में सक्सेना के संबंध में पीड़ित प्रभाव आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसकी मां उसके पिता के निधन के बाद परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य हैं।
मुआवजे के आकलन के लिए रिपोर्ट महत्वपूर्ण थी और न्यायाधीश ने इसे रिकॉर्ड पर लिया।
दिल्ली पुलिस ने पहले इस अपराध के लिए दोषियों को अधिकतम सजा देने की दलील दी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से दोषियों की सजा पर नरम रुख अपनाने का आग्रह किया था।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि सक्सेना एक अलग धर्म की लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के माता-पिता और मामा ने अपराध को अंजाम दिया था जो उनके अलग धर्म में रिश्ते का विरोध कर रहे थे। बाद में उन्हें दोषी ठहराया गया।
दोषियों के खिलाफ आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) शामिल हैं। इसके अलावा, शाहनाज़ बेगम को जानबूझकर चोट पहुँचाने का भी दोषी ठहराया गया है।