deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस : हमेशा हुआ बदनाम, यह पक्षी प्रकृति के लिए वरदान

by
September 7, 2024
in ताज़ा समाचार
0
अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस : हमेशा हुआ बदनाम, यह पक्षी प्रकृति के लिए वरदान
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

READ ALSO

कोलकाता में भाजपा विधायक दल ने बैठक कर प्रधानमंत्री को दी बधाई

‘कराटे किड : लीजेंड्स’ का ट्रेलर जारी, अजय देवगन और युग की है खास भूमिका

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि “गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

Related Posts

ताज़ा समाचार

कोलकाता में भाजपा विधायक दल ने बैठक कर प्रधानमंत्री को दी बधाई

May 14, 2025
ताज़ा समाचार

‘कराटे किड : लीजेंड्स’ का ट्रेलर जारी, अजय देवगन और युग की है खास भूमिका

May 14, 2025
ताज़ा समाचार

भारत की रक्षा ताकत ने बदला विश्व का नजरिया, चार दिन में निर्णायक जीत : अजय आलोक

May 14, 2025
ताज़ा समाचार

पहलगाम हमले के बाद से रक्षा शेयरों के बाजार मूल्य में 86,000 करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि

May 14, 2025
ताज़ा समाचार

सरकार जब देशहित में कदम उठाएगी, विपक्ष उनका साथ देगा : कृष्णा अल्लावारु

May 14, 2025
ताज़ा समाचार

बिहार : शहीद इम्तियाज की पत्नी हुई भावुक, कहा- पाकिस्तान को कड़ी सजा मिले

May 14, 2025
Next Post

परिचित परिस्थितियों में न्यूजीलैंड के लिए चुनौती साबित होगी अफगानिस्तान की टीम : रहमत शाह

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

POPULAR NEWS

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

February 12, 2023
बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

February 12, 2023
चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

February 12, 2023

बंगाल के जलपाईगुड़ी में बाढ़ जैसे हालात, शहर में घुसने लगा नदी का पानी

August 26, 2023
राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

May 5, 2024

EDITOR'S PICK

योगी आदित्यनाथ का सरकार चलाने में ध्यान कम, समाज को बांटने में ज्यादा : प्रियंका चतुर्वेदी

November 16, 2024

धोनी के रिटायर होने पर रोहित करें चेन्नई की कप्तानी : अंबाती रायडू

March 11, 2024
बिजनौर में ट्रक और बाइक की टक्कर में महिला की मौत

बिजनौर में ट्रक और बाइक की टक्कर में महिला की मौत

May 14, 2023

कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ की घोषणा पर नीतीश के पोस्ट में ‘संशोधन’ से भविष्य के संकेत

January 24, 2024
ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

081250
Total views : 5873798
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Notifications