नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)। एक शोध में यह बात सामने आई है कि अकेले सूजन को कम करने से मेटाबॉलिक-एसोसिएटेड फैटी लीवर डिजीज (एमएएफएलडी) से पीड़ित लोगों में लीवर फाइब्रोसिस से लड़ने में मदद नहीं मिल सकती।
मेटाबॉलिक-एसोसिएटेड फैटी लीवर डिजीज (एमएएफएलडी) लीवर में वसा के जमाव के कारण होने वाली एक स्थिति है।
लंबे समय से लीवर की सूजन को फाइब्रोसिस विकसित होने का लक्षण माना जाता है। जिसे टीशू के घाव और उसके बढ़ने के रूप में समझा जा सकता है। यह लीवर के काम करने की क्षमता को कम कर सकता है। साथ ही यह अगर लंबे समय तक रहता है तो कैंसर का कारण भी बन सकता है।
जर्नल ऑफ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, केवल सूजन को कम करने से फाइब्रोसिस से लड़ा नहीं जा सकता।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) के एसोसिएट प्रोफेसर तामेर सल्लम ने कहा कि हालांकि सूजन अभी भी महत्वपूर्ण है, लेकिन यह फाइब्रोसिस का मुख्य कारण नहीं हो सकता है।
टीम ने इस शोध में चूहों पर टेस्ट किया। उन्होंने प्रोटीन लिपोपॉलीसेकेराइड बाइंडिंग प्रोटीन (एलबीपी) पर जानकारी हासिल की।
परिणामों से पता चला कि जिन चूहों की लीवर कोशिकाओं में एलबीपी नहीं था, उनमें लीवर की सूजन का स्तर भी कम था। लीवर बेहतर तरीके से काम कर रहा था। मगर फाइब्रोसिस में कोई बदलाव नहीं पाया गया।
इसके अलावा, टीम ने बड़े मानव डेटासेट और बीमारी के विभिन्न चरणों में एमएएफएलडी रोगियों से मानव ऊतक नमूनों से आनुवंशिक विश्लेषण का भी अध्ययन किया।
सल्लम ने केवल सूजन को ही लक्षित करने के बजाय फाइब्रोसिस को बेहतर ढंग से लक्षित करने और परिणाम में सुधार करने के लिए अधिक उपचारों की सिफारिश की है।
–आईएएनएस
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