नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)। अगर आप एक पिता है और आपको टाइप-1 डायबिटीज हैं, तो आपके बच्चे में टाइप-1 डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है।
डायबेटोलोजिया जर्नल में प्रकाशित स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, अगर मां टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित है, तो उसके बच्चों को यह बीमारी होने का खतरा कम होता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस सापेक्ष सुरक्षा के लिए जिम्मेदार कारकों को समझने से हमें टाइप 1 डायबिटीज को रोकने के लिए नए उपचार विकसित करने के अवसर मिल सकते हैं।
यूके में कार्डिफ विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता डॉ लोरी एलन ने कहा, “जिन लोगों के परिवार में टाइप 1 डायबिटीज का इतिहास है, उन्हें इससे पीड़ित होने का खतरा 8-15 गुना ज्यादा होता है। स्टडी में पाया गया है कि मां के मुकाबले अगर पिता डायबिटीज पीड़ित है, तो बच्चे को डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है। हम यह समझना चाहते थे कि ऐसा क्यों होता है। क्या कारण है कि पिता के डायबिटीज से बच्चे को ज्यादा खतरा होता है, जबकि मां के डायबिटीज से बच्चे को कम खतरा होता है?”
पिछले कुछ अध्ययन से पता चला कि मां के टाइप 1 डायबिटीज पीड़ित होने से बच्चे में टाइप 1 डायबिटीज होने का खतरा कम होता है।
नई स्टडी में डायबिटीज से पीड़ित 11,475 व्यक्तियों को शामिल किया गया।
परिणामों से पता चलता है कि जिन लोगों को टाइप 1 डायबिटीज थी, उनके पिता मधुमेह पीड़ित थे। ये भी पता चला कि ये प्रतिशत पीड़ित मां के मुकाबले दोगुना (1.8 गुना) था।
डॉ लोरी एलन ने कहा, “हमारे नतीजे बताते हैं कि अगर मां को डायबिटीज है, तो बच्चे को डायबिटीज होने से कुछ हद तक सुरक्षा मिलती है, और यह सुरक्षा लंबे समय तक मिलती है।”
हालांकि, माता-पिता के डायबिटीज का निदान का समय बेहद अहम है, जिसमें कई चीजें शामिल होती है, जैसे माता-पिता को डायबिटीज कब हुआ?, अगर माता-पिता को डायबिटीज बचपन में हुई, तो इसका असर बच्चे पर अलग होगा, और अगर उन्हें डायबिटीज बाद में हुआ, तो इसका असर अलग होगा।
यह निर्धारित करने के लिए आगे रिसर्च की जरूरत है कि गर्भ में पल रहे शिशु को टाइप 1 डायबिटीज के संपर्क में आने की वजह क्या हो सकती है?
अब सवाल है कि, ” अगर महिला का गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज (टाइप 1) का इलाज चल रहा हो तो क्या इसका असर गर्भ में पल रहा बच्चे पर पड़ता है?”
–आईएएनएस
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