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अटल बिहारी वाजपेयी हीरे की तरह चमकते थे : मंत्री रत्नेश सदा

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December 25, 2024
in राष्ट्रीय
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अटल बिहारी वाजपेयी हीरे की तरह चमकते थे :  मंत्री रत्नेश सदा
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पटना, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। पूरा देश आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100 वीं जयंती मना रहा है। इस मौके पर देशवासी उन्‍हें व उनकी विचारधारा को याद कर रहे हैं।

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अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नोट्स लिखा है। उसमें उल्‍लेख है क‍ि 25 दिसंबर का ये दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए एक तरह से सुशासन का अटल दिवस है। पीएम ने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने खरीद-फरोख्त नहीं की। डर्टी पॉलिटिक्स के रास्ते पर चलने के बजाय 1996 में इस्तीफा देना पसंद किया। 1999 में उनकी सरकार एक वोट से गिर गई थी।

इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार सरकार के मद्य निषेध और उत्पाद विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने कहा, ‘’प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही लिखा है । सदा ने कबीर का एक दोहा कहते हुए कहा,…हीरा पड़ा बाज़ार में, रहा छार लपटाय…बहुतक मूरख चलि गए, पारख लिया उठाय…।‘’

उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हीरे की तरह चमकते थे । उन्‍होंने अपनी सरकार गिरानी सही समझी, मगर खरीद फरोख्त नहीं की।

वहीं कर्नाटक विधान परिषद में नेता विपक्ष सी नारायण स्वामी ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्‍हें याद करते हुए कहा, ”सुशासन शब्द ही लोगों को तब समझ आया जब बाजपेयी जी की सरकार बनी। वाजपेयी जी का शासन एक मौन क्रांति थी और अब मोदी जी का भी शासन एक मौन क्रांति है। वह कभी बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे, काम करके दिखाते थे। ये सुशासन कहलाता है, ऐसे नेता को आज देश याद कर रहा है। वाजपेयी जैसे नेता को हम सभी नमन करते हैं।”

कांग्रेस के बेलागावी कार्यक्रम पर नेता विपक्ष ने कहा, ”सबसे पहले तो कांग्रेस ये बताए की वह ओरिजिनल कांग्रेस है या डुप्लीकेट कांग्रेस। महात्मा गांधी ने जिस कांग्रेस का नेतृत्व किया था वो ओरिजिनल कांग्रेस थी। गांधी परिवार की डुप्लीकेट कांग्रेस है।”

वहीं मैसूरु की सड़क का नाम सिद्दारमैया के नाम पर करने की बयान पर उन्‍होंने कहा कि सिद्दारमैया का नाम घोटालों की वजह से खराब हो चुका है यदि ऐसे में उनके नाम की सड़क का नाम रखा जाएगा तो लोग क्या कहेंगे कि घोटालेबाजों के नाम पर सड़क का नाम रखा जा रहा है। ऐसा नहीं होना चहिए।

–आईएएनएस

एमकेएस/सीबीीटी

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पटना, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। पूरा देश आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100 वीं जयंती मना रहा है। इस मौके पर देशवासी उन्‍हें व उनकी विचारधारा को याद कर रहे हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नोट्स लिखा है। उसमें उल्‍लेख है क‍ि 25 दिसंबर का ये दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए एक तरह से सुशासन का अटल दिवस है। पीएम ने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने खरीद-फरोख्त नहीं की। डर्टी पॉलिटिक्स के रास्ते पर चलने के बजाय 1996 में इस्तीफा देना पसंद किया। 1999 में उनकी सरकार एक वोट से गिर गई थी।

इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार सरकार के मद्य निषेध और उत्पाद विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने कहा, ‘’प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही लिखा है । सदा ने कबीर का एक दोहा कहते हुए कहा,…हीरा पड़ा बाज़ार में, रहा छार लपटाय…बहुतक मूरख चलि गए, पारख लिया उठाय…।‘’

उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हीरे की तरह चमकते थे । उन्‍होंने अपनी सरकार गिरानी सही समझी, मगर खरीद फरोख्त नहीं की।

वहीं कर्नाटक विधान परिषद में नेता विपक्ष सी नारायण स्वामी ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्‍हें याद करते हुए कहा, ”सुशासन शब्द ही लोगों को तब समझ आया जब बाजपेयी जी की सरकार बनी। वाजपेयी जी का शासन एक मौन क्रांति थी और अब मोदी जी का भी शासन एक मौन क्रांति है। वह कभी बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे, काम करके दिखाते थे। ये सुशासन कहलाता है, ऐसे नेता को आज देश याद कर रहा है। वाजपेयी जैसे नेता को हम सभी नमन करते हैं।”

कांग्रेस के बेलागावी कार्यक्रम पर नेता विपक्ष ने कहा, ”सबसे पहले तो कांग्रेस ये बताए की वह ओरिजिनल कांग्रेस है या डुप्लीकेट कांग्रेस। महात्मा गांधी ने जिस कांग्रेस का नेतृत्व किया था वो ओरिजिनल कांग्रेस थी। गांधी परिवार की डुप्लीकेट कांग्रेस है।”

वहीं मैसूरु की सड़क का नाम सिद्दारमैया के नाम पर करने की बयान पर उन्‍होंने कहा कि सिद्दारमैया का नाम घोटालों की वजह से खराब हो चुका है यदि ऐसे में उनके नाम की सड़क का नाम रखा जाएगा तो लोग क्या कहेंगे कि घोटालेबाजों के नाम पर सड़क का नाम रखा जा रहा है। ऐसा नहीं होना चहिए।

–आईएएनएस

एमकेएस/सीबीीटी

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पटना, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। पूरा देश आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100 वीं जयंती मना रहा है। इस मौके पर देशवासी उन्‍हें व उनकी विचारधारा को याद कर रहे हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नोट्स लिखा है। उसमें उल्‍लेख है क‍ि 25 दिसंबर का ये दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए एक तरह से सुशासन का अटल दिवस है। पीएम ने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने खरीद-फरोख्त नहीं की। डर्टी पॉलिटिक्स के रास्ते पर चलने के बजाय 1996 में इस्तीफा देना पसंद किया। 1999 में उनकी सरकार एक वोट से गिर गई थी।

इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार सरकार के मद्य निषेध और उत्पाद विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने कहा, ‘’प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही लिखा है । सदा ने कबीर का एक दोहा कहते हुए कहा,…हीरा पड़ा बाज़ार में, रहा छार लपटाय…बहुतक मूरख चलि गए, पारख लिया उठाय…।‘’

उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हीरे की तरह चमकते थे । उन्‍होंने अपनी सरकार गिरानी सही समझी, मगर खरीद फरोख्त नहीं की।

वहीं कर्नाटक विधान परिषद में नेता विपक्ष सी नारायण स्वामी ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्‍हें याद करते हुए कहा, ”सुशासन शब्द ही लोगों को तब समझ आया जब बाजपेयी जी की सरकार बनी। वाजपेयी जी का शासन एक मौन क्रांति थी और अब मोदी जी का भी शासन एक मौन क्रांति है। वह कभी बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे, काम करके दिखाते थे। ये सुशासन कहलाता है, ऐसे नेता को आज देश याद कर रहा है। वाजपेयी जैसे नेता को हम सभी नमन करते हैं।”

कांग्रेस के बेलागावी कार्यक्रम पर नेता विपक्ष ने कहा, ”सबसे पहले तो कांग्रेस ये बताए की वह ओरिजिनल कांग्रेस है या डुप्लीकेट कांग्रेस। महात्मा गांधी ने जिस कांग्रेस का नेतृत्व किया था वो ओरिजिनल कांग्रेस थी। गांधी परिवार की डुप्लीकेट कांग्रेस है।”

वहीं मैसूरु की सड़क का नाम सिद्दारमैया के नाम पर करने की बयान पर उन्‍होंने कहा कि सिद्दारमैया का नाम घोटालों की वजह से खराब हो चुका है यदि ऐसे में उनके नाम की सड़क का नाम रखा जाएगा तो लोग क्या कहेंगे कि घोटालेबाजों के नाम पर सड़क का नाम रखा जा रहा है। ऐसा नहीं होना चहिए।

–आईएएनएस

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अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नोट्स लिखा है। उसमें उल्‍लेख है क‍ि 25 दिसंबर का ये दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए एक तरह से सुशासन का अटल दिवस है। पीएम ने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने खरीद-फरोख्त नहीं की। डर्टी पॉलिटिक्स के रास्ते पर चलने के बजाय 1996 में इस्तीफा देना पसंद किया। 1999 में उनकी सरकार एक वोट से गिर गई थी।

इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार सरकार के मद्य निषेध और उत्पाद विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने कहा, ‘’प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही लिखा है । सदा ने कबीर का एक दोहा कहते हुए कहा,…हीरा पड़ा बाज़ार में, रहा छार लपटाय…बहुतक मूरख चलि गए, पारख लिया उठाय…।‘’

उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हीरे की तरह चमकते थे । उन्‍होंने अपनी सरकार गिरानी सही समझी, मगर खरीद फरोख्त नहीं की।

वहीं कर्नाटक विधान परिषद में नेता विपक्ष सी नारायण स्वामी ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्‍हें याद करते हुए कहा, ”सुशासन शब्द ही लोगों को तब समझ आया जब बाजपेयी जी की सरकार बनी। वाजपेयी जी का शासन एक मौन क्रांति थी और अब मोदी जी का भी शासन एक मौन क्रांति है। वह कभी बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे, काम करके दिखाते थे। ये सुशासन कहलाता है, ऐसे नेता को आज देश याद कर रहा है। वाजपेयी जैसे नेता को हम सभी नमन करते हैं।”

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वहीं मैसूरु की सड़क का नाम सिद्दारमैया के नाम पर करने की बयान पर उन्‍होंने कहा कि सिद्दारमैया का नाम घोटालों की वजह से खराब हो चुका है यदि ऐसे में उनके नाम की सड़क का नाम रखा जाएगा तो लोग क्या कहेंगे कि घोटालेबाजों के नाम पर सड़क का नाम रखा जा रहा है। ऐसा नहीं होना चहिए।

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अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नोट्स लिखा है। उसमें उल्‍लेख है क‍ि 25 दिसंबर का ये दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए एक तरह से सुशासन का अटल दिवस है। पीएम ने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने खरीद-फरोख्त नहीं की। डर्टी पॉलिटिक्स के रास्ते पर चलने के बजाय 1996 में इस्तीफा देना पसंद किया। 1999 में उनकी सरकार एक वोट से गिर गई थी।

इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार सरकार के मद्य निषेध और उत्पाद विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने कहा, ‘’प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही लिखा है । सदा ने कबीर का एक दोहा कहते हुए कहा,…हीरा पड़ा बाज़ार में, रहा छार लपटाय…बहुतक मूरख चलि गए, पारख लिया उठाय…।‘’

उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हीरे की तरह चमकते थे । उन्‍होंने अपनी सरकार गिरानी सही समझी, मगर खरीद फरोख्त नहीं की।

वहीं कर्नाटक विधान परिषद में नेता विपक्ष सी नारायण स्वामी ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्‍हें याद करते हुए कहा, ”सुशासन शब्द ही लोगों को तब समझ आया जब बाजपेयी जी की सरकार बनी। वाजपेयी जी का शासन एक मौन क्रांति थी और अब मोदी जी का भी शासन एक मौन क्रांति है। वह कभी बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे, काम करके दिखाते थे। ये सुशासन कहलाता है, ऐसे नेता को आज देश याद कर रहा है। वाजपेयी जैसे नेता को हम सभी नमन करते हैं।”

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वहीं मैसूरु की सड़क का नाम सिद्दारमैया के नाम पर करने की बयान पर उन्‍होंने कहा कि सिद्दारमैया का नाम घोटालों की वजह से खराब हो चुका है यदि ऐसे में उनके नाम की सड़क का नाम रखा जाएगा तो लोग क्या कहेंगे कि घोटालेबाजों के नाम पर सड़क का नाम रखा जा रहा है। ऐसा नहीं होना चहिए।

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अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नोट्स लिखा है। उसमें उल्‍लेख है क‍ि 25 दिसंबर का ये दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए एक तरह से सुशासन का अटल दिवस है। पीएम ने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने खरीद-फरोख्त नहीं की। डर्टी पॉलिटिक्स के रास्ते पर चलने के बजाय 1996 में इस्तीफा देना पसंद किया। 1999 में उनकी सरकार एक वोट से गिर गई थी।

इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार सरकार के मद्य निषेध और उत्पाद विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने कहा, ‘’प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही लिखा है । सदा ने कबीर का एक दोहा कहते हुए कहा,…हीरा पड़ा बाज़ार में, रहा छार लपटाय…बहुतक मूरख चलि गए, पारख लिया उठाय…।‘’

उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हीरे की तरह चमकते थे । उन्‍होंने अपनी सरकार गिरानी सही समझी, मगर खरीद फरोख्त नहीं की।

वहीं कर्नाटक विधान परिषद में नेता विपक्ष सी नारायण स्वामी ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्‍हें याद करते हुए कहा, ”सुशासन शब्द ही लोगों को तब समझ आया जब बाजपेयी जी की सरकार बनी। वाजपेयी जी का शासन एक मौन क्रांति थी और अब मोदी जी का भी शासन एक मौन क्रांति है। वह कभी बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे, काम करके दिखाते थे। ये सुशासन कहलाता है, ऐसे नेता को आज देश याद कर रहा है। वाजपेयी जैसे नेता को हम सभी नमन करते हैं।”

कांग्रेस के बेलागावी कार्यक्रम पर नेता विपक्ष ने कहा, ”सबसे पहले तो कांग्रेस ये बताए की वह ओरिजिनल कांग्रेस है या डुप्लीकेट कांग्रेस। महात्मा गांधी ने जिस कांग्रेस का नेतृत्व किया था वो ओरिजिनल कांग्रेस थी। गांधी परिवार की डुप्लीकेट कांग्रेस है।”

वहीं मैसूरु की सड़क का नाम सिद्दारमैया के नाम पर करने की बयान पर उन्‍होंने कहा कि सिद्दारमैया का नाम घोटालों की वजह से खराब हो चुका है यदि ऐसे में उनके नाम की सड़क का नाम रखा जाएगा तो लोग क्या कहेंगे कि घोटालेबाजों के नाम पर सड़क का नाम रखा जा रहा है। ऐसा नहीं होना चहिए।

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अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नोट्स लिखा है। उसमें उल्‍लेख है क‍ि 25 दिसंबर का ये दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए एक तरह से सुशासन का अटल दिवस है। पीएम ने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने खरीद-फरोख्त नहीं की। डर्टी पॉलिटिक्स के रास्ते पर चलने के बजाय 1996 में इस्तीफा देना पसंद किया। 1999 में उनकी सरकार एक वोट से गिर गई थी।

इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार सरकार के मद्य निषेध और उत्पाद विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने कहा, ‘’प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही लिखा है । सदा ने कबीर का एक दोहा कहते हुए कहा,…हीरा पड़ा बाज़ार में, रहा छार लपटाय…बहुतक मूरख चलि गए, पारख लिया उठाय…।‘’

उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हीरे की तरह चमकते थे । उन्‍होंने अपनी सरकार गिरानी सही समझी, मगर खरीद फरोख्त नहीं की।

वहीं कर्नाटक विधान परिषद में नेता विपक्ष सी नारायण स्वामी ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्‍हें याद करते हुए कहा, ”सुशासन शब्द ही लोगों को तब समझ आया जब बाजपेयी जी की सरकार बनी। वाजपेयी जी का शासन एक मौन क्रांति थी और अब मोदी जी का भी शासन एक मौन क्रांति है। वह कभी बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे, काम करके दिखाते थे। ये सुशासन कहलाता है, ऐसे नेता को आज देश याद कर रहा है। वाजपेयी जैसे नेता को हम सभी नमन करते हैं।”

कांग्रेस के बेलागावी कार्यक्रम पर नेता विपक्ष ने कहा, ”सबसे पहले तो कांग्रेस ये बताए की वह ओरिजिनल कांग्रेस है या डुप्लीकेट कांग्रेस। महात्मा गांधी ने जिस कांग्रेस का नेतृत्व किया था वो ओरिजिनल कांग्रेस थी। गांधी परिवार की डुप्लीकेट कांग्रेस है।”

वहीं मैसूरु की सड़क का नाम सिद्दारमैया के नाम पर करने की बयान पर उन्‍होंने कहा कि सिद्दारमैया का नाम घोटालों की वजह से खराब हो चुका है यदि ऐसे में उनके नाम की सड़क का नाम रखा जाएगा तो लोग क्या कहेंगे कि घोटालेबाजों के नाम पर सड़क का नाम रखा जा रहा है। ऐसा नहीं होना चहिए।

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अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नोट्स लिखा है। उसमें उल्‍लेख है क‍ि 25 दिसंबर का ये दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए एक तरह से सुशासन का अटल दिवस है। पीएम ने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने खरीद-फरोख्त नहीं की। डर्टी पॉलिटिक्स के रास्ते पर चलने के बजाय 1996 में इस्तीफा देना पसंद किया। 1999 में उनकी सरकार एक वोट से गिर गई थी।

इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार सरकार के मद्य निषेध और उत्पाद विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने कहा, ‘’प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही लिखा है । सदा ने कबीर का एक दोहा कहते हुए कहा,…हीरा पड़ा बाज़ार में, रहा छार लपटाय…बहुतक मूरख चलि गए, पारख लिया उठाय…।‘’

उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हीरे की तरह चमकते थे । उन्‍होंने अपनी सरकार गिरानी सही समझी, मगर खरीद फरोख्त नहीं की।

वहीं कर्नाटक विधान परिषद में नेता विपक्ष सी नारायण स्वामी ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्‍हें याद करते हुए कहा, ”सुशासन शब्द ही लोगों को तब समझ आया जब बाजपेयी जी की सरकार बनी। वाजपेयी जी का शासन एक मौन क्रांति थी और अब मोदी जी का भी शासन एक मौन क्रांति है। वह कभी बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे, काम करके दिखाते थे। ये सुशासन कहलाता है, ऐसे नेता को आज देश याद कर रहा है। वाजपेयी जैसे नेता को हम सभी नमन करते हैं।”

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