रीवा देशबन्धु. माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रका रिता एवं संचार विश्वविद्यालय रीवा को राजनीतिक और कमाई का केन्द्र बना दिया गया है. रीवा में विवि संचालित है लेकिन यहीं के पढ़े लिखे अतिथि शिक्षक को मौका नहीं दिया जा रहा है. यहां वरिष्ठ पदों पर बैठे अधिकारी अपने चहेतों को लाना चाह रहे हैं. इसी के लिए स्थानीय अतिथि शिक्षकों को बाहर करने बड़ा षडयंत्र रच डाला गया है. इंटरव्यू का लिंब बिना पूर्व सूचना के सिर्फ दो घंटे पहले भेजा गया. ऐसे में कई स्थानीय अतिथि शिक्षक इसमें शामिल भी नहीं हो पाए.
विवि में नए परिसर प्रभारी के आने के बाद ही यहां गड़बडिय़ां शुरू हुई हैं. ज्ञात हो कि रीवा में करोड़ों रुपए की लागत से माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि की स्थापना की गई. इसमें सरकार ने करोड़ों रुपए की जमीन भी विवि प्रबंधन को दी. उम्मीद थी कि यहां के पढ़े लिखे लोगों को रोजगार मिलेगा. पढ़ाने का मौका मिलेगा. यहां के छात्रों को पढऩे के लिए बेहतर शिक्षण संस्थान मिलेगा लेकिन इन सारी उम्मीदों पर पानी फिरना शुरू हो गया है.
रीवा परिसर में नवनियुक्त परिसर निदेशक, प्रशासनिक अधिकारी और तृतीय श्रेणी कर्म चारी के इशारे पर योग्य अतिथि शिक्षकों को बाहर किया जा रहा है. षडयंत्र पूर्वक 18 जनवरी की दोपहर 1 बजे कुछ चिन्हित लोगों को ऑनलाइन इंटरव्यू की सूचना दी गई. जबकि इस इंटरव्यू के लिए न तो पहले कोई विज्ञापन जारी हुआ और न ही कोई लिखित सूचना जारी हुई.
बता दे कि जुलाई 2024 में भोपाल मुख्यालय से विधिवत विज्ञापन प्रक्रिया के तहत सभी अभ्यर्थी का इंटरव्यू आयोजित कर चयन किया गया था. इंटरव्यू की सूचना एक माह पहले लिखित सूचना जारी हुई थी और इंटरव्यू के लिए समय निर्धारित हुआ था. लेकिन इस बार ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. हालांकि यह भी नियम विरुद्ध है कि महज चार माह के भीतर बिना सूचना के इंटरव्यू कराए गए. परिसर में मुख्यालय द्वारा चयनित अतिथि शिक्षकों में से कुछ को बाहर करने के लिए आनन फानन में एक घंटा पहले अवकाश के दिन साक्षात्कार आयोजित किया गया.
पद पर बैठे क्षेत्रवाद फैला रहे,नौसिखियों को ला रहे
उल्लेखनीय यह भी है कि जिन अतिथि शिक्षकों को इंटरव्यू में शामिल नहीं किया गया, वह सभी नेट/ पीएचडी डिग्री प्राप्त है और उन्हें पढ़ाने का भी लंबा अनुभव है. वहीं जिन नए लोगों को शामिल किया जा रहा है, वो शैक्षिणक योग्यता में वर्तमान अभ्यर्थियों से पीछे है, इसलिए पिछले इंटरव्यू में पीजी डिग्रीधारी इन अभ्यर्थियों का सलेक्शन नहीं हुआ था, जिन्हें अब साजिश करके योग्यता को दरकिनार किया जा रहा है. यही स्थिति रही तो डिप्टी सी एम राजेंद्र शुक्ल के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर बट्टा लगना तय है.
पठन पाठन होगा प्रभावित, ठगे जा रहे छात्र
माखनलाल पत्रकारिता विवि में प्रवेश लेने वाले छात्र ठगे जा रहे हैं. नए परिसर प्रभारी के आने के बाद से स्थितियां डामाडोल हे. यहां सिर्फ राजनीति चल रही है. डिप्टी सीएम ने बेहतर शैक्षणिक संस्थान की उम्मीद के साथ विवि की स्थापना रीवा में कराई थी लेकिन यह राजनीतिक अखाड़ा बन गया है. यहां स्थानीय पढ़े लिखे शिक्षकों को स्थान नहीं दिया जा रहा है. षडय़ंत्र कर बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. इससे रीवा के स्थानीय अतिथि शिक्षक बेहद दुखी हैं. उनके सामने अब रोजगार का भी संकट खड़ा हो जाएगा.