कोच्चि, 27 जुलाई (आईएएनएस)। धोखाधड़ी के एक मामले में बरी एक व्यक्ति ने इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर उसके नाम के साथ ‘आरोपी’ का संदर्भ हटाने के लिए केरल उच्च न्यायालय का रुख किया है।
याचिकाकर्ता, एस. सकीर हुसैन ने तर्क दिया कि इस तरह के संदर्भ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसकी निजता के अधिकार और प्रतिष्ठा के अधिकार का उल्लंघन है।
याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों के साथ ही सर्च इंजन गूगल और एक अंग्रेजी अखबार से जवाब मांगा।
याचिका में कहा गया है, “किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा न तो आध्यात्मिक है और न ही सांसारिक संपत्ति के संदर्भ में संपत्ति है, बल्कि पहचान से जुड़ा एक अभिन्न अंग है और इसमें सेंध किसी व्यक्ति की गरिमा को तोड़ती है, नागरिकता के अधिकार के मौलिक मूल्यों को नकारती है और उनका उल्लंघन करती है।” .
याचिका में यह भी कहा गया है कि बरी किए जाने का फैसला आरोपी को सभी रिकॉर्डों, और विशेष रूप से सार्वजनिक डोमेन से अपना नाम स्वत: हटाने का अधिकार देता है।
याचिकाकर्ता ने कहा, जब कोई न्यायाधीश बरी करने का आदेश दर्ज करता है, तो आरोपी के रूप में किसी व्यक्ति की पहचान पूरी तरह से मिटा दी जाती है।
याचिका में कहा गया है, “पूरे सर्च रिजल्ट में याचिकाकर्ता की पहचान एक आरोपी के रूप में की गई है, भले ही उसे अंततः सभी आरोपों से बरी कर दिया गया हो।”
याचिका में कहा गया है कि इसके कारण उसकी बेटी की शादी प्रभावित हुई थी।
याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और राज्य सरकार को सार्वजनिक डोमेन से उनका नाम हटाने और उसकी प्रतिष्ठा के अधिकार की रक्षा करने का निर्देश देने का आग्रह किया है।
–आईएएनएस
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