नई दिल्ली, 9 फरवरी (आईएएनएस)। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि संविधान निर्माताओं ने निर्वाचित सदस्यों को बिना किसी डर या पक्षपात के संसद में बोलने का अधिकार दिया है। उन्हें राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान दिए गए राहुल गांधी के भाषण के कुछ हिस्सों को रिकार्ड से हटाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए।
चौधरी ने पत्र में कहा, 7 फरवरी को हमारे नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के मोशन ऑफ थैंक्स पर बात की। अपने भाषण में उन्होंने हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित चल रहे मुद्दों और अडानी समूह की कंपनियों की शेयर बाजार के आंकड़ों में हेरफेर में कथित संलिप्तता के बारे में कुछ तथ्यों का उल्लेख किया था। उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से कुछ सवाल भी किए। सर, महासचिव द्वारा प्रकाशित गलत बहस रिपोर्ट में राहुल गांधी के भाषण का एक बड़ा हिस्सा इस तरह से हटा दिया गया कि पूरा भाषण समझ से बाहर हो गया।
चौधरी ने संसद में भाषण की संविधान-गारंटी की स्वतंत्रता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 105 (1) के तहत संसद के सदस्यों के लिए उपलब्ध भाषण की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19 (1)(ए) के तहत गारंटीकृत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की तुलना में व्यापक है।
उन्होंने कहा, सांसदों को बोलने की स्वतंत्रता प्रदान करने के बाद संविधान इस तथ्य पर जोर देता है कि वह स्वतंत्रता पूर्ण और अबाध है। निर्वाचित प्रतिनिधियों को दी गई यह अबाध शक्ति, मेरी समझ से इस तथ्य का कारण यह है कि सदस्य जनता के हितों की सेवा करते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा, संविधान का अनुच्छेद 105 संसद में कही गई किसी भी बात के संबंध में अन्य बातों के साथ-साथ प्रतिरक्षा प्रदान करता है। कुछ भी शब्द का व्यापक महत्व है और यह सब कुछ के बराबर है। इस दृष्टिकोण का सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर विभिन्न निर्णयों द्वारा समर्थन किया है।
चौधरी ने कहा कि इसे देखते हुए और राष्ट्र के व्यापक हित में राहुल गांधी द्वारा दिए गए भाषण को समग्र रूप से प्रकाशित किया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक महान सार्वजनिक उद्देश्य की पूर्ति करता है।
उन्होंने कहा, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया राहुल गांधी के भाषण को संपादित करने के अपने निर्णय पर फिर से विचार करें।
–आईएएनएस
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