उदयपुर, (22 अगस्त) आईएएनएस। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के निलंबन के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह मामला विशेषाधिकार समिति के पास है, समिति मामले की जांच कर उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और इसके बाद ही वह इस मसले पर अंतिम फैसला करेंगे।
राजस्थान के उदयपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र के 9वें सम्मेलन के समापन के बाद अधीर रंजन चौधरी के निलंबन और उनके एवं राहुल गांधी द्वारा दिए गए भाषण के कुछ शब्दों को सदन की कार्यवाही से एक्सपंज करने के बारे में पूछे गए पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए लोकसभा स्पीकर ने कहा कि चेयर पर बैठे व्यक्ति का हर फैसला निष्पक्ष होता है।
उन्होंने कहा कि किसी भी सदस्य (सांसद ) के भाषण के अंश को सदन की कार्यवाही से निकालने या फिर सदन की कार्यवाही में फिर से जोड़ने का अधिकार चेयर के पास होता है और चेयर सदन की गरिमा को ध्यान में रखते हुए नियम और प्रक्रिया के अनुसार निष्पक्षता के साथ इस बारे में फैसला करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि चेयर की हमेशा यह कोशिश रहती है कि कोई भी बात ऐसी ना हो जिससे सदन की गरिमा कम हो।
इससे पहले दो दिवसीय सम्मेलन के समापन कार्यक्रम में मंगलवार को ही बिरला ने विधानमंडलों की गरिमा और मर्यादा में गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विधानमंडलों की गरिमा इस बात पर निर्भर करती है कि लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विधि निर्माता सदन में कैसा व्यवहार करते हैं।
इस संबंध में उन्होंने वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का समाधान खोजने में विधायकों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधि अपने क्षेत्रों और राज्यों के महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक पहल करके और भविष्य के लिए एक व्यापक कार्य योजना विकसित करके 2047 तक भारत को समृद्ध और विकसित बनाने में योगदान दे सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि हमारे विधानमंडलों की गरिमा और प्रतिष्ठा तभी बढ़ेगी जब जनप्रतिनिधि देश और समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा और संवाद करेंगे। जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करें और उनकी समस्याओं को सरकार के समक्ष लाकर उनका समाधान करें और सदन में व्यवधान का सहारा लेने के बजाय, उन्हें लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए विधायिका को एक मंच बनाना चाहिए।
सम्मेलन के विषय के बारे में बात करते हुए बिरला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डिजिटल माध्यमों से विधानमंडलों को जनता से जोड़कर हम अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही के द्वारा सुशासन सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई विकसित देशों से आगे है और डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से हम भ्रष्टाचार में उल्लेखनीय कमी लाकर सुशासन लाए हैं।
इस संबंध में बिरला ने पीठासीन अधिकारियों से आग्रह किया कि ‘एक राष्ट्र एक विधायी मंच’ को लागू किया जाए और विधायकों का क्षमता निर्माण भी किया जाए, जिससे न केवल विधानमंडलों की प्रभावशीलता और प्रभावकारिता में सुधार होगा, बल्कि विधानमंडलों और जनता के बीच की दूरी भी कम होगी।
उन्होंने विधायकों से विधायी प्रभावशीलता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने पीठासीन अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि कानून पारित होने के बाद नियम पहले बनाए जाएं ताकि कार्यान्वयन तेजी से हो सके और, कानून निर्माताओं को विधायिका में पारित कानूनों के बारे में लोगों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, क्योंकि कानूनों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता इसके प्रभावी कार्यान्वयन की कुंजी है।
बिरला ने यह जानकारी भी दी कि कि 9वें सीपीए सम्मेलन में विधायी निकायों के बीच बेहतर संवाद और समन्वय के लिए सीपीए इंडिया रीजन जोन को नौ नए क्षेत्रों में पुनर्गठित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सीपीए इंडिया रीजन के पुनर्गठन से ज़ोन के भीतर और बाहर जन प्रतिनिधियों की व्यापक भागीदारी से सीपीए इंडिया क्षेत्र की गतिविधियों में वृद्धि होगी और लोकतांत्रिक भावना को बढ़ावा मिलेगा।
सम्मेलन में 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर संसद सदस्य और राजस्थान विधान सभा के सदस्य भी उपस्थित थे।
–आईएएनएस
एसटीपी/एसजीके