महाकुंभ नगर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर वी. कामकोटि द्वारा गोमूत्र को लेकर किए गए दावे पर नई बहस छिड़ गई है। उनके इस बयान पर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि गौमाता अपने आप में अनंत हैं और वह हमारा कल्याण करती हैं।
आचार्य रामचंद्र दास ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “सनातन धर्म में गौमाता का काफी महत्व है। वह अपने-आप में अनंत हैं। मेरा मानना है कि मां का दूध हमें कल्याण देता है और मां की बोली भी हमें एक ऊर्जा देती है। इसी तरह गौमाता के गोबर से जैविक कृषि की जा रही है, जिससे तमाम बीमारियां समाप्त हो रही हैं। साथ ही गौमाता की पीठ पर हाथ फेरने का भी एक विशेष महत्व है।”
उन्होंने कहा कि गौमाता के दूध को सर्वोषधि माना गया है। इसके अलावा गोमूत्र से भी हर तरह की बीमारियों का खात्मा हो रहा है। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि गौमाता हमारे लिए हर लिहाज से उपयोगी हैं। चाहे किसान हों या एक परिवार, गौमाता के दूध से किसी न किसी परिवार का संचालन होता है। मैं उनके शोध को साधुवाद देता हूं और हम सब संत भी इस प्रकार के शोध का प्रचार-प्रसार समाज के जन-जन तक करें।
उन्होंने महाकुंभ की बात करते हुए कहा, “अगर हम रील में न जीकर रियल में जियें तो अच्छा होगा, क्योंकि महाकुंभ आस्था का पर्व है। यह धर्म, संस्कृति और सनातन का पर्व है। जो भी प्रचार-प्रसार करना है, उसे एक अच्छे संदेश के साथ जन-जन तक पहुंचाने का काम करें। पूरी दुनिया में इस समय महाकुंभ को लेकर उत्साह है। सभी लोग यहां के दृश्यों को देखना चाहते हैं और संतों के दर्शन करना चाहते हैं। मेरी सबसे यही प्रार्थना है कि महाकुंभ में प्रदर्शन पर विश्वास न करके दर्शन पर विश्वास करें।”
–आईएएनएस
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