नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)। दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक द्वारा औपचारिक तौर पर राजग गठबंधन से अलग होने की घोषणा ने भाजपा आलाकमान की चिंता बढ़ा दी है।
पिछले लोक सभा चुनाव में राज्य में 3.62 प्रतिशत वोट हासिल करने के बावजूद एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई भाजपा इस बार हर कीमत पर तमिलनाडु में अपना खाता खोलना चाहती है। भाजपा अपने एक दिग्गज राष्ट्रीय नेता को भी तमिलनाडु से लोक सभा चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है।
लोक सभा चुनाव में तमिलनाडु में खाता खोलने के मिशन में जुटी भाजपा इसके लिए एक साथ कई स्तरों पर काम कर रही है। एक तरफ जहां पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई के नेतृत्व में पार्टी राज्य संगठन को मजबूत बनाने के मिशन में जुटी है, वहीं दूसरी तरफ तमिलनाडु की लोकप्रिय मुख्यमंत्री जयललिता के निधन से खाली हुई द्रमुक विरोधी जगह को भी भरने का प्रयास कर रही है।
भाजपा नेताओं के इसी आक्रामक रवैये, खासकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के आक्रामक रवैये ने अन्नाद्रमुक नेताओं को लगातार असहज कर रखा था और आखिरकार उन्होंने राजग गठबंधन से अलग होने का ऐलान कर ही दिया।
हालांकि सनातन और भ्रष्टाचार को लेकर राज्य की द्रमुक सरकार और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन तथा उनके मंत्री बेटे उदयनिधि स्टालिन पर हमलावर भाजपा आलाकमान को राज्य की राजनीति में अन्नाद्रमुक की अहमियत का बखूबी अंदाजा है। यही वजह है कि वह अन्नाद्रमुक के अलग होने से चिंतित है। भाजपा ने इस घटनाक्रम पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। यहां तक कि अन्नाद्रमुक के प्रति आक्रामक बयानबाज़ी करने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने भी इस पर कोई उकसाने वाला बयान देने से परहेज ही किया।
बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान ने अपने प्रदेश अध्यक्ष को अन्नाद्रमुक के पूर्व और वर्तमान नेताओं के खिलाफ बयानबाज़ी से बचने की सलाह भी दी है। भाजपा सूत्रों की मानें तो, लोक सभा चुनाव में अभी समय है और उन्हें भरोसा है कि पार्टी आलाकमान अन्नाद्रमुक नेताओं से बात कर उन्हें एनडीए गठबंधन में वापस आने के लिए मना लेगा।
–आईएएनएस
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