नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। भारत पिछले कुछ वर्षों में मध्य पूर्व, यूरोप, लैटिन अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में निर्यात के जरिए अपनी एक्सपोर्ट बास्केट में विविधता लाने में सफल रहा है। इससे देश को अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को भी कम करने में सफलता मिली है।
यूरोपियन टाइम्स के एक आर्टिकल के अनुसार, हालांकि, यूएसए सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बना हुआ है, लेकिन पिछले तीन वित्तीय वर्षों में अमेरिका को भेजी जाने वाली अधिकांश प्रमुख वस्तुएं विश्व भर के 15 से अधिक अन्य प्रमुख बाजारों में भी निर्यात की गई हैं।
आर्टिकल में आगे कहा गया, “भारत की निर्यात कहानी स्पष्ट रूप से एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। हालांकि, अमेरिका एक महत्वपूर्ण साझेदार बना रहेगा, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और मेक्सिको जैसे देशों को निर्यात में असाधारण वृद्धि दर्शाती है कि भारत अब किसी एक बाजार पर निर्भर नहीं है। ये देश न केवल भारत के उत्पादों को अपने में समाहित कर रहे हैं, बल्कि उन्नत तकनीकों और टिकाऊ उत्पादों के क्षेत्र में विस्तार के अवसर भी प्रदान कर रहे हैं।”
भारत ने इन सभी देशों को संयुक्त रूप से 2024-25 में 162 अरब डॉलर का निर्यात किया था। पिछले तीन वर्षों में इन देशों को भारतीय निर्यात 19 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर से बढ़ा है, जबकि अमेरिका के मामले में यह 15 प्रतिशत रही है। यह भारत के विविध व्यापार पोर्टफोलियो की क्षमता को दर्शाता है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार, भारत के घरेलू बाजार का बड़ा आकार बाहरी मांग पर निर्भरता को कम करता है और यह अमेरिकी टैरिफ वृद्धि से देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान से भी बचाता है जो दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रही है।
रेटिंग एजेंसी ने भारत के वित्त वर्ष 26 के पूर्वानुमान को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा, जबकि वित्त वर्ष 27 के लिए 6.3 प्रतिशत की उच्च वृद्धि का अनुमान लगाया है जो दिसंबर के पूर्वानुमान 6.2 प्रतिशत से अधिक है।
अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून अवधि) में 7.8 प्रतिशत रही है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.5 प्रतिशत थी।
एनएसओ के द्वारा जारी किए गए डेटा के मुताबिक, अप्रैल-जून अवधि में देश की रियल जीडीपी 47.89 लाख करोड़ रुपए रही है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 44.42 लाख करोड़ रुपए थी।
–आईएएनएस
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