जबलपुर. भोपाल विकास प्राधिकरण में कार्यरत कर्मचारी ने बर्खास्त किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने पाया कि पूरी प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय तथा विधि का पालन नहीं किया गया है.
सामान्य आरोप अन्य कर्मचारी पर लगे थे,जिसे दोषमुक्त कर दिया. एकलपीठ ने अपने आदेष में कहा है कि अपराध के अनुसार सजा निर्धारित की जानी चाहिये. एकलपीठ ने बर्खास्ती के आदेष को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता कर्मचारी को वेतन सहित अन्य लाभ प्रदान करने के आदेष जारी किये है.
याचिकाकर्ता विजय सिंह यादव की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि एसआईबीटी की कुछ जमीन को बोली के आधार पर लीज पर दिया गया था. लीज का निष्पादन साल 2015 में हुआ था. बोलीकर्ता से सांठगांठ कर कुछ खंड में बदलाव का आरोप लगाते हुए उसे साल 2016 में निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद उसे नोटिस जारी किया गया था. उसकी तरफ से जारी नोटिस का जवाब पेष किया गया था. कार्यवाही को चुनौती देते हुए उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका का निराकरण करते हुए अपील प्राधिकरण के समक्ष आवेदन करने के आदेष जारी किये गये थे. अपील प्राधिकरण ने सुनवाई का अवसर प्रदान नहीं करते हुए साल 2018 में उसे बर्खास्त दिया.
एकलपीठ ने अपने आदेष में कहा है कि अपील प्राधिकरण ने मनमाने तरीके से बर्खास्ती का आदेष पारित किया है. प्राकृतिक न्याय तथा विधि प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. एकलपीठ ने कर्मचारी को राहत प्रदान करते हुए उक्त आदेष जारी किये.