मुंबई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, अप्रैल-जून तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) 7 गुना बढ़कर 9.2 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछली तिमाही में1.3 अरब डॉलर था। ) डेटा गुरुवार को जारी किया गया।
आरबीआई ने कहा, “तिमाही-दर-तिमाही आधार पर सीएडी का बढ़ना मुख्य रूप से उच्च व्यापार घाटे के साथ-साथ शुद्ध सेवाओं में कम अधिशेष और निजी हस्तांतरण प्राप्तियों में गिरावट के कारण है।”
“मुख्य रूप से कंप्यूटर, यात्रा और व्यावसायिक सेवाओं के निर्यात में गिरावट के कारण शुद्ध सेवा प्राप्तियों में क्रमिक रूप से कमी आई।”
तिमाही में व्यापारिक व्यापार घाटा बढ़कर 56.6 बिलियन डॉलर हो गया, जो पिछली तिमाही में 52.6 बिलियन डॉलर था, लेकिन एक साल पहले के 63.1 बिलियन डॉलर के घाटे से कम था।
निजी हस्तांतरण प्राप्तियां, जो मुख्य रूप से विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा प्रेषित धन हैं, 28.6 बिलियन डॉलर से घटकर 27.1 बिलियन डॉलर हो गईं।
2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही के लिए सीएडी सकल घरेलू उत्पाद का 1.1 प्रतिशत है जबकि जनवरी-मार्च में यह सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 0.2 प्रतिशत था।
अप्रैल-जून 2022 में यह आंकड़ा 17.9 अरब डॉलर या जीडीपी का 2.1 फीसदी था।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा के अनुसार, जुलाई-सितंबर तिमाही में उच्च तेल, उच्च कोर आयात और सेवाओं के निर्यात में और मंदी के कारण “सीएडी में पर्याप्त वृद्धि” देखी जाएगी।
अरोड़ा ने कहा, “इन सबका मतलब यह होगा कि जुलाई-सितंबर 2023 में सीएडी/जीडीपी अनुपात अप्रैल-जून 2023 के दोगुने से भी अधिक 2.4-2.6 प्रतिशत के बीच हो सकता है ।”
आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने भी जुलाई-सितंबर 2023 में सीएडी के बढ़कर 19 बिलियन डॉलर से 21 बिलियन या जीडीपी का 2.3 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है।
–आईएएनएस
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