deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

अफगानिस्तान में चीनी हितों पर इस्लामिक स्टेट का पहला हमला

by
December 18, 2022
in ताज़ा समाचार
0
अफगानिस्तान में चीनी हितों पर इस्लामिक स्टेट का पहला हमला
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। काबुल लोंगन होटल पर हमला पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में चीनी हितों पर पहला बड़ा हमला था। आरएफई/आरएल ने बताया कि हमले ने अफगानिस्तान में बीजिंग की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने में मदद की है।

गौरतलब है कि चीन दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जो तालिबान सरकार के साथ व्यापार करने को तैयार है, जिसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। चीनी नागरिक तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गए हैं। चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को मंत्रालयों का दौरा करना और तालिबान के अधिकारियों के साथ बातचीत करना आम हो गया है।

READ ALSO

के. अन्नामलाई ने करूर भगदड़ की सीबीआई जांच करने की मांग की

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के आरपीएफ ने छह दिनों में 21 लोगों को बचाया

हाल के महीनों में रूसी और पाकिस्तानी दूतावासों पर हमले के बाद काबुल में चीनी स्वामित्व वाले होटल पर इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) चरमपंथी समूह का हमला हुआ है। चीन, रूस और पाकिस्तान उन कुछ देशों में से हैं, जिन्होंने काबुल में राजनयिक मिशन बनाए रखा है। आएफई/आरएल ने बताया कि वे तालिबान के प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक भागीदारों में से भी हैं।

पर्यवेक्षकों ने कहा है कि आईएस-के हमले बीजिंग, मास्को और इस्लामाबाद के साथ तालिबान के संबंधों को कमजोर करने का प्रयास हो सकते हैं और काबुल अधिकारियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों को विफल कर सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आईएस-के ने अपना तात्कालिक लक्ष्य हासिल कर लिया है।

होटल हमले के बाद बीजिंग ने अपने नागरिकों को जितनी जल्दी हो सके अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी। इस कदम से चीनी प्रवासियों का पलायन देखा जा सकता है।

आईएस-के उग्रवादियों ने तालिबान के शासन और वैधता के लिए सीधा खतरा पैदा कर दिया है। पिछले 16 महीनों में आईएस-के ने घातक हमले किए हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान के नए शासकों को कमजोर कर दिया है। आरएफई/आरएल ने सूचना दी है कि चरमपंथी समूह के अफगानिस्तान में तालिबान और उसके प्रमुख विदेशी सहयोगियों के हितों पर हमला जारी रखने की संभावना है

आईएस-के ने 12 दिसंबर को मध्य काबुल में एक चीनी स्वामित्व वाले होटल पर एक घातक हमला किया। तालिबान ने कहा कि उसने सभी तीन हमलावरों को मार डाला। हमले में दो विदेशी नागरिक मामूली रूप से घायल हो गए।

बीजिंग ने यह कहकर तालिबान का खंडन किया कि हमले में कम से कम पांच चीनी घायल हो गए। अफगानिस्तान में एक प्रमुख चीनी व्यवसायी के अनुसार हमले के समय 30 से अधिक चीनी नागरिक होटल में थे। काबुल के आपातकालीन अस्पताल ने कहा कि उसे तीन शव और 18 घायल मिले हैं।

–आईएएनएस

सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। काबुल लोंगन होटल पर हमला पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में चीनी हितों पर पहला बड़ा हमला था। आरएफई/आरएल ने बताया कि हमले ने अफगानिस्तान में बीजिंग की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने में मदद की है।

गौरतलब है कि चीन दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जो तालिबान सरकार के साथ व्यापार करने को तैयार है, जिसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। चीनी नागरिक तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गए हैं। चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को मंत्रालयों का दौरा करना और तालिबान के अधिकारियों के साथ बातचीत करना आम हो गया है।

हाल के महीनों में रूसी और पाकिस्तानी दूतावासों पर हमले के बाद काबुल में चीनी स्वामित्व वाले होटल पर इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) चरमपंथी समूह का हमला हुआ है। चीन, रूस और पाकिस्तान उन कुछ देशों में से हैं, जिन्होंने काबुल में राजनयिक मिशन बनाए रखा है। आएफई/आरएल ने बताया कि वे तालिबान के प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक भागीदारों में से भी हैं।

पर्यवेक्षकों ने कहा है कि आईएस-के हमले बीजिंग, मास्को और इस्लामाबाद के साथ तालिबान के संबंधों को कमजोर करने का प्रयास हो सकते हैं और काबुल अधिकारियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों को विफल कर सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आईएस-के ने अपना तात्कालिक लक्ष्य हासिल कर लिया है।

होटल हमले के बाद बीजिंग ने अपने नागरिकों को जितनी जल्दी हो सके अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी। इस कदम से चीनी प्रवासियों का पलायन देखा जा सकता है।

आईएस-के उग्रवादियों ने तालिबान के शासन और वैधता के लिए सीधा खतरा पैदा कर दिया है। पिछले 16 महीनों में आईएस-के ने घातक हमले किए हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान के नए शासकों को कमजोर कर दिया है। आरएफई/आरएल ने सूचना दी है कि चरमपंथी समूह के अफगानिस्तान में तालिबान और उसके प्रमुख विदेशी सहयोगियों के हितों पर हमला जारी रखने की संभावना है

आईएस-के ने 12 दिसंबर को मध्य काबुल में एक चीनी स्वामित्व वाले होटल पर एक घातक हमला किया। तालिबान ने कहा कि उसने सभी तीन हमलावरों को मार डाला। हमले में दो विदेशी नागरिक मामूली रूप से घायल हो गए।

बीजिंग ने यह कहकर तालिबान का खंडन किया कि हमले में कम से कम पांच चीनी घायल हो गए। अफगानिस्तान में एक प्रमुख चीनी व्यवसायी के अनुसार हमले के समय 30 से अधिक चीनी नागरिक होटल में थे। काबुल के आपातकालीन अस्पताल ने कहा कि उसे तीन शव और 18 घायल मिले हैं।

–आईएएनएस

सीबीटी

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। काबुल लोंगन होटल पर हमला पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में चीनी हितों पर पहला बड़ा हमला था। आरएफई/आरएल ने बताया कि हमले ने अफगानिस्तान में बीजिंग की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने में मदद की है।

गौरतलब है कि चीन दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जो तालिबान सरकार के साथ व्यापार करने को तैयार है, जिसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। चीनी नागरिक तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गए हैं। चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को मंत्रालयों का दौरा करना और तालिबान के अधिकारियों के साथ बातचीत करना आम हो गया है।

हाल के महीनों में रूसी और पाकिस्तानी दूतावासों पर हमले के बाद काबुल में चीनी स्वामित्व वाले होटल पर इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) चरमपंथी समूह का हमला हुआ है। चीन, रूस और पाकिस्तान उन कुछ देशों में से हैं, जिन्होंने काबुल में राजनयिक मिशन बनाए रखा है। आएफई/आरएल ने बताया कि वे तालिबान के प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक भागीदारों में से भी हैं।

पर्यवेक्षकों ने कहा है कि आईएस-के हमले बीजिंग, मास्को और इस्लामाबाद के साथ तालिबान के संबंधों को कमजोर करने का प्रयास हो सकते हैं और काबुल अधिकारियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों को विफल कर सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आईएस-के ने अपना तात्कालिक लक्ष्य हासिल कर लिया है।

होटल हमले के बाद बीजिंग ने अपने नागरिकों को जितनी जल्दी हो सके अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी। इस कदम से चीनी प्रवासियों का पलायन देखा जा सकता है।

आईएस-के उग्रवादियों ने तालिबान के शासन और वैधता के लिए सीधा खतरा पैदा कर दिया है। पिछले 16 महीनों में आईएस-के ने घातक हमले किए हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान के नए शासकों को कमजोर कर दिया है। आरएफई/आरएल ने सूचना दी है कि चरमपंथी समूह के अफगानिस्तान में तालिबान और उसके प्रमुख विदेशी सहयोगियों के हितों पर हमला जारी रखने की संभावना है

आईएस-के ने 12 दिसंबर को मध्य काबुल में एक चीनी स्वामित्व वाले होटल पर एक घातक हमला किया। तालिबान ने कहा कि उसने सभी तीन हमलावरों को मार डाला। हमले में दो विदेशी नागरिक मामूली रूप से घायल हो गए।

बीजिंग ने यह कहकर तालिबान का खंडन किया कि हमले में कम से कम पांच चीनी घायल हो गए। अफगानिस्तान में एक प्रमुख चीनी व्यवसायी के अनुसार हमले के समय 30 से अधिक चीनी नागरिक होटल में थे। काबुल के आपातकालीन अस्पताल ने कहा कि उसे तीन शव और 18 घायल मिले हैं।

–आईएएनएस

सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। काबुल लोंगन होटल पर हमला पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में चीनी हितों पर पहला बड़ा हमला था। आरएफई/आरएल ने बताया कि हमले ने अफगानिस्तान में बीजिंग की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने में मदद की है।

गौरतलब है कि चीन दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जो तालिबान सरकार के साथ व्यापार करने को तैयार है, जिसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। चीनी नागरिक तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गए हैं। चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को मंत्रालयों का दौरा करना और तालिबान के अधिकारियों के साथ बातचीत करना आम हो गया है।

हाल के महीनों में रूसी और पाकिस्तानी दूतावासों पर हमले के बाद काबुल में चीनी स्वामित्व वाले होटल पर इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) चरमपंथी समूह का हमला हुआ है। चीन, रूस और पाकिस्तान उन कुछ देशों में से हैं, जिन्होंने काबुल में राजनयिक मिशन बनाए रखा है। आएफई/आरएल ने बताया कि वे तालिबान के प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक भागीदारों में से भी हैं।

पर्यवेक्षकों ने कहा है कि आईएस-के हमले बीजिंग, मास्को और इस्लामाबाद के साथ तालिबान के संबंधों को कमजोर करने का प्रयास हो सकते हैं और काबुल अधिकारियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों को विफल कर सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आईएस-के ने अपना तात्कालिक लक्ष्य हासिल कर लिया है।

होटल हमले के बाद बीजिंग ने अपने नागरिकों को जितनी जल्दी हो सके अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी। इस कदम से चीनी प्रवासियों का पलायन देखा जा सकता है।

आईएस-के उग्रवादियों ने तालिबान के शासन और वैधता के लिए सीधा खतरा पैदा कर दिया है। पिछले 16 महीनों में आईएस-के ने घातक हमले किए हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान के नए शासकों को कमजोर कर दिया है। आरएफई/आरएल ने सूचना दी है कि चरमपंथी समूह के अफगानिस्तान में तालिबान और उसके प्रमुख विदेशी सहयोगियों के हितों पर हमला जारी रखने की संभावना है

आईएस-के ने 12 दिसंबर को मध्य काबुल में एक चीनी स्वामित्व वाले होटल पर एक घातक हमला किया। तालिबान ने कहा कि उसने सभी तीन हमलावरों को मार डाला। हमले में दो विदेशी नागरिक मामूली रूप से घायल हो गए।

बीजिंग ने यह कहकर तालिबान का खंडन किया कि हमले में कम से कम पांच चीनी घायल हो गए। अफगानिस्तान में एक प्रमुख चीनी व्यवसायी के अनुसार हमले के समय 30 से अधिक चीनी नागरिक होटल में थे। काबुल के आपातकालीन अस्पताल ने कहा कि उसे तीन शव और 18 घायल मिले हैं।

–आईएएनएस

सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। काबुल लोंगन होटल पर हमला पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में चीनी हितों पर पहला बड़ा हमला था। आरएफई/आरएल ने बताया कि हमले ने अफगानिस्तान में बीजिंग की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने में मदद की है।

गौरतलब है कि चीन दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जो तालिबान सरकार के साथ व्यापार करने को तैयार है, जिसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। चीनी नागरिक तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गए हैं। चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को मंत्रालयों का दौरा करना और तालिबान के अधिकारियों के साथ बातचीत करना आम हो गया है।

हाल के महीनों में रूसी और पाकिस्तानी दूतावासों पर हमले के बाद काबुल में चीनी स्वामित्व वाले होटल पर इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) चरमपंथी समूह का हमला हुआ है। चीन, रूस और पाकिस्तान उन कुछ देशों में से हैं, जिन्होंने काबुल में राजनयिक मिशन बनाए रखा है। आएफई/आरएल ने बताया कि वे तालिबान के प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक भागीदारों में से भी हैं।

पर्यवेक्षकों ने कहा है कि आईएस-के हमले बीजिंग, मास्को और इस्लामाबाद के साथ तालिबान के संबंधों को कमजोर करने का प्रयास हो सकते हैं और काबुल अधिकारियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों को विफल कर सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आईएस-के ने अपना तात्कालिक लक्ष्य हासिल कर लिया है।

होटल हमले के बाद बीजिंग ने अपने नागरिकों को जितनी जल्दी हो सके अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी। इस कदम से चीनी प्रवासियों का पलायन देखा जा सकता है।

आईएस-के उग्रवादियों ने तालिबान के शासन और वैधता के लिए सीधा खतरा पैदा कर दिया है। पिछले 16 महीनों में आईएस-के ने घातक हमले किए हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान के नए शासकों को कमजोर कर दिया है। आरएफई/आरएल ने सूचना दी है कि चरमपंथी समूह के अफगानिस्तान में तालिबान और उसके प्रमुख विदेशी सहयोगियों के हितों पर हमला जारी रखने की संभावना है

आईएस-के ने 12 दिसंबर को मध्य काबुल में एक चीनी स्वामित्व वाले होटल पर एक घातक हमला किया। तालिबान ने कहा कि उसने सभी तीन हमलावरों को मार डाला। हमले में दो विदेशी नागरिक मामूली रूप से घायल हो गए।

बीजिंग ने यह कहकर तालिबान का खंडन किया कि हमले में कम से कम पांच चीनी घायल हो गए। अफगानिस्तान में एक प्रमुख चीनी व्यवसायी के अनुसार हमले के समय 30 से अधिक चीनी नागरिक होटल में थे। काबुल के आपातकालीन अस्पताल ने कहा कि उसे तीन शव और 18 घायल मिले हैं।

–आईएएनएस

सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। काबुल लोंगन होटल पर हमला पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में चीनी हितों पर पहला बड़ा हमला था। आरएफई/आरएल ने बताया कि हमले ने अफगानिस्तान में बीजिंग की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने में मदद की है।

गौरतलब है कि चीन दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जो तालिबान सरकार के साथ व्यापार करने को तैयार है, जिसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। चीनी नागरिक तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गए हैं। चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को मंत्रालयों का दौरा करना और तालिबान के अधिकारियों के साथ बातचीत करना आम हो गया है।

हाल के महीनों में रूसी और पाकिस्तानी दूतावासों पर हमले के बाद काबुल में चीनी स्वामित्व वाले होटल पर इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) चरमपंथी समूह का हमला हुआ है। चीन, रूस और पाकिस्तान उन कुछ देशों में से हैं, जिन्होंने काबुल में राजनयिक मिशन बनाए रखा है। आएफई/आरएल ने बताया कि वे तालिबान के प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक भागीदारों में से भी हैं।

पर्यवेक्षकों ने कहा है कि आईएस-के हमले बीजिंग, मास्को और इस्लामाबाद के साथ तालिबान के संबंधों को कमजोर करने का प्रयास हो सकते हैं और काबुल अधिकारियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों को विफल कर सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आईएस-के ने अपना तात्कालिक लक्ष्य हासिल कर लिया है।

होटल हमले के बाद बीजिंग ने अपने नागरिकों को जितनी जल्दी हो सके अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी। इस कदम से चीनी प्रवासियों का पलायन देखा जा सकता है।

आईएस-के उग्रवादियों ने तालिबान के शासन और वैधता के लिए सीधा खतरा पैदा कर दिया है। पिछले 16 महीनों में आईएस-के ने घातक हमले किए हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान के नए शासकों को कमजोर कर दिया है। आरएफई/आरएल ने सूचना दी है कि चरमपंथी समूह के अफगानिस्तान में तालिबान और उसके प्रमुख विदेशी सहयोगियों के हितों पर हमला जारी रखने की संभावना है

आईएस-के ने 12 दिसंबर को मध्य काबुल में एक चीनी स्वामित्व वाले होटल पर एक घातक हमला किया। तालिबान ने कहा कि उसने सभी तीन हमलावरों को मार डाला। हमले में दो विदेशी नागरिक मामूली रूप से घायल हो गए।

बीजिंग ने यह कहकर तालिबान का खंडन किया कि हमले में कम से कम पांच चीनी घायल हो गए। अफगानिस्तान में एक प्रमुख चीनी व्यवसायी के अनुसार हमले के समय 30 से अधिक चीनी नागरिक होटल में थे। काबुल के आपातकालीन अस्पताल ने कहा कि उसे तीन शव और 18 घायल मिले हैं।

–आईएएनएस

सीबीटी

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। काबुल लोंगन होटल पर हमला पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में चीनी हितों पर पहला बड़ा हमला था। आरएफई/आरएल ने बताया कि हमले ने अफगानिस्तान में बीजिंग की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने में मदद की है।

गौरतलब है कि चीन दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जो तालिबान सरकार के साथ व्यापार करने को तैयार है, जिसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। चीनी नागरिक तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गए हैं। चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को मंत्रालयों का दौरा करना और तालिबान के अधिकारियों के साथ बातचीत करना आम हो गया है।

हाल के महीनों में रूसी और पाकिस्तानी दूतावासों पर हमले के बाद काबुल में चीनी स्वामित्व वाले होटल पर इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) चरमपंथी समूह का हमला हुआ है। चीन, रूस और पाकिस्तान उन कुछ देशों में से हैं, जिन्होंने काबुल में राजनयिक मिशन बनाए रखा है। आएफई/आरएल ने बताया कि वे तालिबान के प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक भागीदारों में से भी हैं।

पर्यवेक्षकों ने कहा है कि आईएस-के हमले बीजिंग, मास्को और इस्लामाबाद के साथ तालिबान के संबंधों को कमजोर करने का प्रयास हो सकते हैं और काबुल अधिकारियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों को विफल कर सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आईएस-के ने अपना तात्कालिक लक्ष्य हासिल कर लिया है।

होटल हमले के बाद बीजिंग ने अपने नागरिकों को जितनी जल्दी हो सके अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी। इस कदम से चीनी प्रवासियों का पलायन देखा जा सकता है।

आईएस-के उग्रवादियों ने तालिबान के शासन और वैधता के लिए सीधा खतरा पैदा कर दिया है। पिछले 16 महीनों में आईएस-के ने घातक हमले किए हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान के नए शासकों को कमजोर कर दिया है। आरएफई/आरएल ने सूचना दी है कि चरमपंथी समूह के अफगानिस्तान में तालिबान और उसके प्रमुख विदेशी सहयोगियों के हितों पर हमला जारी रखने की संभावना है

आईएस-के ने 12 दिसंबर को मध्य काबुल में एक चीनी स्वामित्व वाले होटल पर एक घातक हमला किया। तालिबान ने कहा कि उसने सभी तीन हमलावरों को मार डाला। हमले में दो विदेशी नागरिक मामूली रूप से घायल हो गए।

बीजिंग ने यह कहकर तालिबान का खंडन किया कि हमले में कम से कम पांच चीनी घायल हो गए। अफगानिस्तान में एक प्रमुख चीनी व्यवसायी के अनुसार हमले के समय 30 से अधिक चीनी नागरिक होटल में थे। काबुल के आपातकालीन अस्पताल ने कहा कि उसे तीन शव और 18 घायल मिले हैं।

–आईएएनएस

सीबीटी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। काबुल लोंगन होटल पर हमला पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में चीनी हितों पर पहला बड़ा हमला था। आरएफई/आरएल ने बताया कि हमले ने अफगानिस्तान में बीजिंग की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने में मदद की है।

गौरतलब है कि चीन दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जो तालिबान सरकार के साथ व्यापार करने को तैयार है, जिसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। चीनी नागरिक तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गए हैं। चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को मंत्रालयों का दौरा करना और तालिबान के अधिकारियों के साथ बातचीत करना आम हो गया है।

हाल के महीनों में रूसी और पाकिस्तानी दूतावासों पर हमले के बाद काबुल में चीनी स्वामित्व वाले होटल पर इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) चरमपंथी समूह का हमला हुआ है। चीन, रूस और पाकिस्तान उन कुछ देशों में से हैं, जिन्होंने काबुल में राजनयिक मिशन बनाए रखा है। आएफई/आरएल ने बताया कि वे तालिबान के प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक भागीदारों में से भी हैं।

पर्यवेक्षकों ने कहा है कि आईएस-के हमले बीजिंग, मास्को और इस्लामाबाद के साथ तालिबान के संबंधों को कमजोर करने का प्रयास हो सकते हैं और काबुल अधिकारियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों को विफल कर सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आईएस-के ने अपना तात्कालिक लक्ष्य हासिल कर लिया है।

होटल हमले के बाद बीजिंग ने अपने नागरिकों को जितनी जल्दी हो सके अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी। इस कदम से चीनी प्रवासियों का पलायन देखा जा सकता है।

आईएस-के उग्रवादियों ने तालिबान के शासन और वैधता के लिए सीधा खतरा पैदा कर दिया है। पिछले 16 महीनों में आईएस-के ने घातक हमले किए हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान के नए शासकों को कमजोर कर दिया है। आरएफई/आरएल ने सूचना दी है कि चरमपंथी समूह के अफगानिस्तान में तालिबान और उसके प्रमुख विदेशी सहयोगियों के हितों पर हमला जारी रखने की संभावना है

आईएस-के ने 12 दिसंबर को मध्य काबुल में एक चीनी स्वामित्व वाले होटल पर एक घातक हमला किया। तालिबान ने कहा कि उसने सभी तीन हमलावरों को मार डाला। हमले में दो विदेशी नागरिक मामूली रूप से घायल हो गए।

बीजिंग ने यह कहकर तालिबान का खंडन किया कि हमले में कम से कम पांच चीनी घायल हो गए। अफगानिस्तान में एक प्रमुख चीनी व्यवसायी के अनुसार हमले के समय 30 से अधिक चीनी नागरिक होटल में थे। काबुल के आपातकालीन अस्पताल ने कहा कि उसे तीन शव और 18 घायल मिले हैं।

–आईएएनएस

सीबीटी

Related Posts

ताज़ा समाचार

के. अन्नामलाई ने करूर भगदड़ की सीबीआई जांच करने की मांग की

September 29, 2025
ताज़ा समाचार

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के आरपीएफ ने छह दिनों में 21 लोगों को बचाया

September 29, 2025
ताज़ा समाचार

मध्य प्रदेश के मंदिर में मधुमक्खियों ने श्रद्धालुओं पर किया हमला, एक ही परिवार के 8 लोग घायल

September 29, 2025
ताज़ा समाचार

दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने मुद्रा हेरफेर के मुद्दे पर चर्चा की

September 29, 2025
ताज़ा समाचार

बिहार को तीन नई अमृत भारत और चार पैसेंजर ट्रेनों की मिलेगी सौगात, अश्विनी वैष्णव दिखाएंगे हरी झंडी

September 29, 2025
ताज़ा समाचार

हृदयनाथ मंगेशकर ने लता दीदी की जयंती को बनाया खास, कहा- ‘नए कलाकारों को प्रोत्साहित करना हमारा संकल्प’

September 29, 2025
Next Post
शिलांग : पीएम मोदी ने नॉर्थ ईस्ट काउंसिल के गोल्डन जुबली समारोह में की शिरकत

शिलांग : पीएम मोदी ने नॉर्थ ईस्ट काउंसिल के गोल्डन जुबली समारोह में की शिरकत

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

115205
Total views : 6022576
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In