नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। दक्षिण पूर्व अफ्रीका के देश मलावी ने 85 साल के पीटर मुथारिका को सत्ता की कमान सौंपी है। मलावीवासियों उन्हें 56.8 फीसदी वोट देकर शीर्ष पद पर बिठाने का फैसला लिया जबकि उनके प्रतिद्वंदी ‘मलावी कांग्रेस पार्टी’ (एमसीपी) के लाजरस चकवेरा को महज 33 फीसदी वोट से संतुष्ट होना पड़ा।
जब प्रोफेसर आर्थर पीटर मुथारिका ने 16 सितंबर के आम चुनावों के लिए डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) से राजनीतिक मंच पर अपनी वापसी की घोषणा की, तो बहुत कम लोगों ने यह उम्मीद की थी कि लॉ के पूर्व प्रोफेसर इतने निर्णायक ढंग से राजनीतिक पटकथा को पुनः लिख देंगे। रिजल्ट बुधवार (24 सितंबर) को डिक्लेयर किया गया।
मलावीवासियों ने मौजूदा राष्ट्रपति चकवेरा को दरकिनार कर बुजुर्ग मुथारिका को देश के लिए चुना। मलावी के न्यासा टाइम्स के मुताबिक ये देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है, महंगाई चरम पर है और आवश्यक वस्तुओं की कमी से लोग बेहाल हैं। यही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इन्हें कोई मदद मिल नहीं रही है।
मलावी की अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी के बाद कभी उबर नहीं पाई। पिछले तीन वर्षों से, मुद्रास्फीति 20% से ऊपर रही है और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर जनसंख्या की तुलना में धीमी रही है। इस बीच, विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन, उर्वरक और दवाओं की नियमित कमी से देश जूझ रहा है।
राजनीतिक अस्थिरता और करप्शन के तमाम मामलों के बीच मुथारिका को चुना जाना कइयों के लिए हैरत की बात नहीं है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि उनकी जीत की मुनादी पहले ही एग्जिट पोल्स में की गई थी।
मुथारिका की शानदार जीत मलावी में लगातार तीसरे चुनाव में सत्ता परिवर्तन का प्रतीक है। चकवेरा ने पिछले मतदान में मुथारिका को हराया था, जिसे “टिप-एक्स चुनाव” के रूप में जाना जाता है, इसे 2020 में फिर से कराया गया था क्योंकि देश की अदालत को लगा था कि परिणामों को प्रभावित किया गया है।
पूर्व लॉ प्रोफेसर मुथारिका पर देश की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने 2018 में करोड़ों डॉलर के एक ठेके से 2,00,000 डॉलर की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया गया था जिसका विरोध भी हुआ था। मुथारिका का दावा था कि यह पैसा उनकी पार्टी को “ईमानदारी से दिया गया दान” था।
–आईएएनएस
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