नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली का पहला रेलवे स्टेशन सराय रोहिल्ला का अगले तीन साल में कायाकल्प हो जाएगा।
सराय रोहिल्ला (डीईई) रेलवे स्टेशन की स्थापना साल 1872 में नई दिल्ली के निर्माण से भी पहले की गई थी। ये यह राजपूताना-मालवा रेलवे पर उन दिनों इस क्षेत्र से पहला स्टेशन था, जिसका मार्ग अलवर और जयपुर से होकर अहमदाबाद की ओर जाता था।
अधिकांश दिल्लीवासियों के लिए सराय रोहिल्ला रेवाड़ी, जयपुर और अजमेर की ओर नैरो गेज लाइन पर एक रेलवे स्टेशन का पर्यायवाची नाम भर है। लेकिन देश के पश्चिमी भाग में सड़क किनारे ये सराय पुराने समय में दिल्ली-अजमेर मार्ग पर एक व्यस्ततम पड़ाव था। यह जगह मुगल काल में यात्रियों के लिए सराय रूप में प्रयोग होती थी। अधिकांश लोग रोहिल्ला को मुगल शासन के दौरान रोहिलखंड के रोहिल्लाओं से भी जोड़ते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस इलाके में एक रुहुल्लाह खान थे जोकि बाद में रोहिल्ला हो गया। जिसके नाम पर बाद में बस्ती का नाम पड़ा।
दिलचस्प बात यह है कि रुहुल्लाह खान के बारे में ज्यादातर लोगों को कुछ नहीं पता है सिवाय इसके कि वह मुमताज महल के दूर के रिश्तेदार खलील उल्लाह खान के तीन बेटों में से एक थे। खलील उल्लाह खान शाहजहां के शासनकाल में दिल्ली प्रांत का गवर्नर था।
आज सराय रोहिल्ला स्टेशन के दक्षिण-पश्चिम की ओर अहाता ठाकुर दास और विपरीत दिशा में एक रेलवे कॉलोनी है। साथ ही एक छोटा सा क्षेत्र, जिसे अभी भी सराय रोहिल्ला कहा जा सकता है, वास्तव में ये स्टेशन के उत्तर-पूर्व में आधा किमी दूर है। सराय रोहिल्ला (डीईई) पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर है।
इस स्टेशन का प्रबंधन उत्तर रेलवे जोन के दिल्ली मंडल द्वारा किया जाता है। दिल्ली से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात जाने वाली बहुत सी गाड़ियां यहां रुकती हैं। लगभग 24 ट्रेन यहां रुकती हैं और इतनी ही ट्रेन बनकर चलती हैं। इसमें पोरबंदर एक्सप्रेस, रानीखेत एक्सप्रेस, राजस्थान संपर्क क्रांति, कॉर्बेट पार्क लिंक एक्स्प्रेस, मसूरी एक्स्प्रेस, दुरंतो और अन्य वातानुकूलित रेलगाड़ियां शामिल हैं। इस स्टेशन पर 7 प्लेटफॉर्म और 12 पटरियां हैं। यह स्टेशन मुख्यत: मीटर गेज की रेलवे लाइन के लिए निश्चित था। यह स्टेशन अन्य बड़े स्टेशन जैसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, दिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन और हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा भी है।
दिल्ली सराय रोहिल्ला टर्मिनल रेलवे स्टेशन की स्थापना जब 1872 में हुई थी तब दिल्ली से जयपुर और अजमेर तक मीटर गेज रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी। यह दिल्ली के ठीक बाहर एक छोटा सा स्टेशन था क्योंकि उस समय दिल्ली चारदीवारी तक ही सीमित थी। दिल्ली से रेवाड़ी, पंजाब, राजस्थान और गुजरात तक जाने वाली, सभी मीटर-गेज ट्रेनें इस स्टेशन से होकर गुजरती हैं। दिल्ली जंक्शन से सराय रोहिल्ला टर्मिनल तक का ट्रैक डबल था। सराय रोहिल्ला से रेवाड़ी तक के सिंगल ट्रैक को रेवाड़ी तक दोगुना कर दिया गया था, जहां से सिंगल ट्रैक पांच दिशाओं में अलग हो गए थे।
हालांकि साल 1991 में अजमेर-दिल्ली लाइन मीटर गेज को 5 फीट 6 इंच (1,676 मिमी ) ब्रॉड गेज में बदलना शुरू किया गया। दो वर्षों के भीतर, सराय रोहिल्ला से दिल्ली रेलवे स्टेशन तक दोनों पटरियों को ब्रॉड गेज में बदल दिया गया और दिल्ली स्टेशन से सभी मीटर गेज ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, सभी मीटर-गेज ट्रेनें समाप्त हो गईं और सराय रोहिल्ला से शुरू हुईं, जो रेलवे टर्मिनस बन गया।
सितंबर 2006 तक, सराय रोहिल्ला से रेवाड़ी तक के दूसरे मीटर-गेज ट्रैक को भी ब्रॉड गेज में बदल दिया गया और सभी मीटर-गेज ट्रेनों ने रेवाड़ी और सराय रोहिल्ला के बीच परिचालन बंद कर दिया।
आज सराय रोहिल्ला एक भीड़भाड़ वाली कॉलोनी में है, जिसके एक तरफ झोंपड़ियों की कतारें कम छत वाले पक्के घरों में बदल गई हैं और दूसरी तरफ बेतरतीब इमारतों से चलने वाली कार्यशालाएं और कारखाने हैं। भीड़ भाड़ वाले इलाके में स्टेशन आने जाने का रास्ता भी पूरी तरह से व्यवस्थित नहीं है। यात्री स्टेशन तक पहुंचने की कोशिश में अपना कीमती समय गंवा देते हैं। खासबात ये है कि सराय रोहिल्ला से पांच मिनन की दूरी पर शास्त्री नगर मेट्रो स्टेशन है जो यात्रियों के लिए काफी सहूलियत भरा है।
पिछले कुछ समय से सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास का काम किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी परियोजनाओं की तर्ज पर इसे बनाया जायेगा। रेलवे की योजना के अनुसार, 300 एकड़ से 800 एकड़ के आसपास के क्षेत्रों का पुनर्विकास किया जा रहा है। रेलभूमि विकास प्राधिकारण (आरडीएल) ने पिछले महीने जनवरी में सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन के एकीकृत पुनर्विकास के लिए तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता अध्ययन, विस्तृत मास्टर प्लानिंग, शहरी डिजाइनिंग, इंजीनियरिंग और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए परामर्श अनुबंध के लिए ई-प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। जिसकी अनुमानित लागत 49 लाख रुपए हैं और लगभाग सात महीने में इस काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अगर जरूरत पड़ी तो पास की बस्ती और इमारतों की संरचनाओं का भी पुनर्वास किया जायेगा।
इसके साथ ही साल 2023-24 के बजट में एक बार फिर अमृत भारत योजना के तहत सराय रोहिल्ला रेलवे को आधुनिकृत करने का ऐलान किया गया है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक अगले तीन साल में सराय रोहिल्ला स्टेशन के नवीनीकरण का काम कर लिया जायेगा।
–आईएएनएस
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