कोलकाता, 19 मई (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी द्वारा दायर याचिका पर फास्ट-ट्रैक आधार पर सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिका में न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों को पश्चिम बंगाल में स्कूल-भर्ती मामले से संबंधित एक मामले में बनर्जी से पूछताछ करने की अनुमति दी गई थी।
जस्टिस सुब्रत तालुकदार और जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य की खंडपीठ ने यह कहते हुए मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया कि शुक्रवार को कुछ अन्य लंबित मामलों की सुनवाई होनी है।
यह मामला अब वापस कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनाम के पास तय करने के लिए भेज दिया गया है।
गुरुवार शाम को बनर्जी के वकील ने फास्ट-ट्रैक सुनवाई की अपील के साथ मुख्य न्यायाधीश से संपर्क किया था।
कलकत्ता उच्च न्यायालय 22 मई से ग्रीष्मावकाश के लिए जा रहा है और आने वाले सप्ताहांत में बंद है।
हालांकि, न्यायमूर्ति तालुकदार ने उसी समय मौखिक रूप से बनर्जी के वकील को सलाह दी कि यदि वे आवश्यक समझें, तो वेकेशन बेंच से संपर्क करें।
गुरुवार को न्यायमूर्ति सिन्हा की पीठ ने मामले में केंद्रीय एजेंसियों को बनर्जी और निष्कासित युवा तृणमूल कांग्रेस के नेता कुंतल घोष से पूछताछ करने की अनुमति देते हुए दोनों पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
बनर्जी का नाम तब सामने आया, जब घोष ने कथित घोटाले में तृणमूल महासचिव का नाम लेने के लिए केंद्रीय एजेंसियों पर दबाव डालने का आरोप लगाते हुए एक स्थानीय पुलिस स्टेशन के साथ-साथ एक निचली अदालत के न्यायाधीश को पत्र लिखा।
प्रारंभ में, न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने केंद्रीय एजेंसियों को बनर्जी से पूछताछ करने का अधिकार दिया था। लेकिन उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले से जुड़े दो मामले जस्टिस सिन्हा की बेंच को ट्रांसफर कर दिए गए।
–आईएएनएस
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