नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार के मुखिया के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार (10 अगस्त) की शाम को लोकसभा में चर्चा का जवाब देंगे।
लेकिन, उससे एक दिन पहले बुधवार को सरकार और भाजपा की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए अपना भाषण देंगे।
बताया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बुधवार को अपना हस्तक्षेप भाषण देते हुए अमित शाह विपक्षी दलों के बड़े नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देंगे।
उनके भाषण का केंद्र बिंदु मणिपुर, मणिपुर के हालात, मणिपुर में हुई हिंसा के ऐतिहासिक कारण, कांग्रेस सरकार के दौर में मणिपुर में हुई हिंसा की घटनाएं, हाल की मणिपुर की हिंसा से पहले आए अदालत के फैसले, मणिपुर सहित नॉर्थ ईस्ट के अन्य राज्यों में शांति स्थापित करने के लिए मोदी सरकार द्वारा पिछले 9 साल के दौरान उठाए गए कदम और उपलब्धियां रहेगी।
अमित शाह खासतौर पर 1993 और 1997 की हिंसा का जिक्र करते हुए याद दिलाएंगे कि इन दोनों हिंसा के समय एक बार तो सदन में चर्चा ही नहीं हुई और दूसरी बार चर्चा हुई तो प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की बजाय गृह राज्य मंत्री ने सदन में जवाब दिया था।
–आईएएनएस
एसटीपी/एबीएम
नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार के मुखिया के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार (10 अगस्त) की शाम को लोकसभा में चर्चा का जवाब देंगे।
लेकिन, उससे एक दिन पहले बुधवार को सरकार और भाजपा की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए अपना भाषण देंगे।
बताया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बुधवार को अपना हस्तक्षेप भाषण देते हुए अमित शाह विपक्षी दलों के बड़े नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देंगे।
उनके भाषण का केंद्र बिंदु मणिपुर, मणिपुर के हालात, मणिपुर में हुई हिंसा के ऐतिहासिक कारण, कांग्रेस सरकार के दौर में मणिपुर में हुई हिंसा की घटनाएं, हाल की मणिपुर की हिंसा से पहले आए अदालत के फैसले, मणिपुर सहित नॉर्थ ईस्ट के अन्य राज्यों में शांति स्थापित करने के लिए मोदी सरकार द्वारा पिछले 9 साल के दौरान उठाए गए कदम और उपलब्धियां रहेगी।
अमित शाह खासतौर पर 1993 और 1997 की हिंसा का जिक्र करते हुए याद दिलाएंगे कि इन दोनों हिंसा के समय एक बार तो सदन में चर्चा ही नहीं हुई और दूसरी बार चर्चा हुई तो प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की बजाय गृह राज्य मंत्री ने सदन में जवाब दिया था।
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