नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी से संसद के दोनों सदनों में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा में सहयोग की अपील की है।
अमित शाह ने खड़गे और चौधरी को संबोधित पत्र की प्रतियों के साथ एक ट्वीट किया, ”आज, मैंने दोनों सदनों के विपक्षी नेताओं, लोकसभा के अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा के मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर मणिपुर मुद्दे की चर्चा में उनके अमूल्य सहयोग की अपील की।”
अमित शाह ने इस मामले पर अन्य विपक्षी दलों से भी सहयोग मांगा है। उन्होंने कहा कि सरकार मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सभी दलों से सहयोग चाहती है। मुझे उम्मीद है कि सभी दल इस महत्वपूर्ण मुद्दे को सुलझाने में सहयोग करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष मांग कर रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में आएं और मणिपुर मुद्दे पर बयान दें।
ज्ञात हो कि मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा भड़क उठी और तब से अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
–आईएएनएस
एसटीपी/एसजीके
नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी से संसद के दोनों सदनों में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा में सहयोग की अपील की है।
अमित शाह ने खड़गे और चौधरी को संबोधित पत्र की प्रतियों के साथ एक ट्वीट किया, ”आज, मैंने दोनों सदनों के विपक्षी नेताओं, लोकसभा के अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा के मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर मणिपुर मुद्दे की चर्चा में उनके अमूल्य सहयोग की अपील की।”
अमित शाह ने इस मामले पर अन्य विपक्षी दलों से भी सहयोग मांगा है। उन्होंने कहा कि सरकार मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सभी दलों से सहयोग चाहती है। मुझे उम्मीद है कि सभी दल इस महत्वपूर्ण मुद्दे को सुलझाने में सहयोग करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष मांग कर रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में आएं और मणिपुर मुद्दे पर बयान दें।
ज्ञात हो कि मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा भड़क उठी और तब से अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
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