नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने पर दिग्गज यूएस निवेशक जिम रोजर्स ने शुक्रवार को कहा कि ट्रंप को दुनिया की ज्यादा समझ नहीं हैं और वह निश्चित रूप से यह नहीं समझते हैं कि एशिया और विशेष रूप से भारत में क्या हो रहा है।
अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ में से 25 प्रतिशत 7 अगस्त से लागू हो चुके हैं और बाकी के 25 प्रतिशत 27 अगस्त से लागू होंगे।
दुनिया के शीर्ष वित्तीय टिप्पणीकारों में से एक रोजर्स ने एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है और वाशिंगटन को अवास्तविक टैरिफ लगाकर दीर्घकालिक व्यापार और निवेश संबंधों को बाधित करने के बजाय वास्तव में नई दिल्ली के साथ काफी अधिक व्यापार करना चाहिए।
रोजर्स ने आईएएनएस से कहा, “ट्रंप उठते हैं, टीवी देखते हैं और फिर तय करते हैं कि क्या करना है। उन्हें दुनिया की ज्यादा समझ नहीं है और एशिया और भारत में क्या हो रहा है, यह तो उन्हें बिल्कुल भी समझ नहीं आता।”
रोजर्स के अनुसार, अगर अमेरिकी राष्ट्रपति वाशिंगटन और नई दिल्ली को उचित प्रयासों से करीब लाने का लक्ष्य रखते हैं, तो दोनों देश वास्तव में 2030 तक व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ा सकते हैं।
रोजर्स ने कहा, “अपने जीवन में पहली बार, मैं देख रहा हूं कि नई दिल्ली के लोग अर्थशास्त्र को समझते हैं। वे समझते हैं कि समृद्धि अच्छी है और सफलता भी अच्छी है। यह भारत के लिए एक बहुत ही रोमांचक और अद्भुत बदलाव है।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत एक बेहद अच्छा देश और बेहद अच्छी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत दुनिया के सबसे अच्छे निवेश स्थलों में से एक बनने जा रहा है और इसकी तुलना निश्चित रूप से चीन से की जाएगी और हो सकता है कि आने वाले वर्षों में यह चीन से भी बेहतर प्रदर्शन करे।
मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर, रोजर्स ने कहा कि अधिक मुक्त व्यापार भारत समेत दुनिया के लिए अच्छा है।
नई दिल्ली ने अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ 13 एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं। देश वर्तमान में अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ कई एफटीए पर बातचीत कर रहा है, जिसमें भारत-यूरोपीय संघ एफटीए, भारत ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए), भारत-पेरू व्यापार समझौता, भारत-श्रीलंका आर्थिक और तकनीकी सहयोग समझौता (ईटीसीए) और भारत-ओमान एफटीए शामिल हैं।
–आईएएनएस
एबीएस/