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अमेरिकी पुरस्कार जीत चुके जामिया के प्रोफेसर ने की फेफड़ों के कैंसर पर रिसर्च

by
November 21, 2024
in राष्ट्रीय
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अमेरिकी पुरस्कार जीत चुके जामिया के प्रोफेसर ने की फेफड़ों के कैंसर पर रिसर्च
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नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर मोहम्मद महफूजुल हक ने हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर पर महत्वपूर्ण रिसर्च की है। उनकी यह रिसर्च फेफड़ों के कैंसर का उपचार विकसित करने में सहयोगी है। यह रिसर्च विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। प्रोफेसर मोहम्मद के कार्य को सरकार व चिकित्सा जगत की महत्वपूर्ण संस्थाओं से स्वीकार्यता मिली है।

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जामिया मिलिया इस्लामिया ने बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. डॉ. मोहम्मद महफूजुल हक को लगभग 65 लाख रुपये का प्रतिष्ठित अनुसंधान अनुदान दिया है। डॉ. हक एक प्रसिद्ध आणविक एंजाइमोलॉजिस्ट हैं। उनका शोध नाइट्रिक ऑक्साइड सिंथेस और अन्य फ्लेवोप्रोटीन की जैव रसायन, संरचना और कार्य पर केंद्रित है। यह हृदय रोगों, पल्मोनेरी उच्च रक्तचाप और कैंसर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. हक 2017 में जामिया मिलिया इस्लामिया के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में शामिल हुए और 2017 से 2020 तक उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। जामिया मिलिया इस्लामिया में अपनी नियुक्ति से पूर्व प्रो. हक ने क्लीवलैंड, ओहियो, यूएसए में प्रतिष्ठित क्लीवलैंड क्लिनिक में आणविक चिकित्सा में संकाय सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रशंसा हास‍िल की है और कई पुरस्कार जीते हैं। भारत सरकार की विभिन्न फंडिंग एजेंसियों से अनेक फंड भी प्राप्त किए हैं। 65 लाख रुपये का यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी अनुदान आणविक एंजाइमोलॉजी के क्षेत्र में प्रो. हक के उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित करता है। साथ ही यह अनुदान हृदय रोगों और फेफड़ों के कैंसर के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व अनुसंधान का समर्थन करेगा।

भारत में चिकित्सा अनुसंधान के लिए सर्वोच्च सम्मानों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त आईसीएमआर अनुदान, प्रो. हक और उनकी टीम को फेफड़ों के कैंसर रोग जनन में आणविक तंत्रों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, संभावित रूप से चिकित्सीय लक्ष्यों की पहचान करने और फेफड़ों के कैंसर से निपटने के लिए नई उपचार रणनीतियों को विकसित करने के लिए है। इस परियोजना का उद्देश्य फेफड़ों के कैंसर में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना है। साथ ही साथ ऐसे परिणाम लाना हैं, जो भारत और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने डॉ. हक को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह हमारे संस्थान के लिए गर्व का क्षण है। आईसीएमआर द्वारा प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक को अनुदान रूपी सम्मान मिलना शोध और नवाचार में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम इस काम के परिवर्तनकारी प्रभाव की आशा करते हैं।”

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के बारे में बात करते हुए प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक ने कहा, “आईसीएमआर से यह अनुदान प्राप्त कर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह हमारे शोध को आगे बढ़ाने और लाखों लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। मैं अपनी टीम, अपने संस्थान जामिया मिलिया इस्लामिया और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के समर्थन और प्रोत्साहन के लिए उनका आभारी हूं।”

यह अनुदान तीन वर्षों के लिए रिसर्च को वित्त पोषण प्रदान करेगा। जिससे उन्नत प्रयोग, अग्रणी विशेषज्ञों के साथ सहयोग एवं नवीन दृष्टिकोणों के विकास में सुविधा होगी। यह पहल अत्याधुनिक शोध को बढ़ावा देने और भारत के सामने आने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मिशन के अनुरूप है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर मोहम्मद महफूजुल हक ने हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर पर महत्वपूर्ण रिसर्च की है। उनकी यह रिसर्च फेफड़ों के कैंसर का उपचार विकसित करने में सहयोगी है। यह रिसर्च विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। प्रोफेसर मोहम्मद के कार्य को सरकार व चिकित्सा जगत की महत्वपूर्ण संस्थाओं से स्वीकार्यता मिली है।

जामिया मिलिया इस्लामिया ने बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. डॉ. मोहम्मद महफूजुल हक को लगभग 65 लाख रुपये का प्रतिष्ठित अनुसंधान अनुदान दिया है। डॉ. हक एक प्रसिद्ध आणविक एंजाइमोलॉजिस्ट हैं। उनका शोध नाइट्रिक ऑक्साइड सिंथेस और अन्य फ्लेवोप्रोटीन की जैव रसायन, संरचना और कार्य पर केंद्रित है। यह हृदय रोगों, पल्मोनेरी उच्च रक्तचाप और कैंसर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. हक 2017 में जामिया मिलिया इस्लामिया के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में शामिल हुए और 2017 से 2020 तक उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। जामिया मिलिया इस्लामिया में अपनी नियुक्ति से पूर्व प्रो. हक ने क्लीवलैंड, ओहियो, यूएसए में प्रतिष्ठित क्लीवलैंड क्लिनिक में आणविक चिकित्सा में संकाय सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रशंसा हास‍िल की है और कई पुरस्कार जीते हैं। भारत सरकार की विभिन्न फंडिंग एजेंसियों से अनेक फंड भी प्राप्त किए हैं। 65 लाख रुपये का यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी अनुदान आणविक एंजाइमोलॉजी के क्षेत्र में प्रो. हक के उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित करता है। साथ ही यह अनुदान हृदय रोगों और फेफड़ों के कैंसर के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व अनुसंधान का समर्थन करेगा।

भारत में चिकित्सा अनुसंधान के लिए सर्वोच्च सम्मानों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त आईसीएमआर अनुदान, प्रो. हक और उनकी टीम को फेफड़ों के कैंसर रोग जनन में आणविक तंत्रों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, संभावित रूप से चिकित्सीय लक्ष्यों की पहचान करने और फेफड़ों के कैंसर से निपटने के लिए नई उपचार रणनीतियों को विकसित करने के लिए है। इस परियोजना का उद्देश्य फेफड़ों के कैंसर में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना है। साथ ही साथ ऐसे परिणाम लाना हैं, जो भारत और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने डॉ. हक को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह हमारे संस्थान के लिए गर्व का क्षण है। आईसीएमआर द्वारा प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक को अनुदान रूपी सम्मान मिलना शोध और नवाचार में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम इस काम के परिवर्तनकारी प्रभाव की आशा करते हैं।”

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के बारे में बात करते हुए प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक ने कहा, “आईसीएमआर से यह अनुदान प्राप्त कर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह हमारे शोध को आगे बढ़ाने और लाखों लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। मैं अपनी टीम, अपने संस्थान जामिया मिलिया इस्लामिया और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के समर्थन और प्रोत्साहन के लिए उनका आभारी हूं।”

यह अनुदान तीन वर्षों के लिए रिसर्च को वित्त पोषण प्रदान करेगा। जिससे उन्नत प्रयोग, अग्रणी विशेषज्ञों के साथ सहयोग एवं नवीन दृष्टिकोणों के विकास में सुविधा होगी। यह पहल अत्याधुनिक शोध को बढ़ावा देने और भारत के सामने आने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मिशन के अनुरूप है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर मोहम्मद महफूजुल हक ने हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर पर महत्वपूर्ण रिसर्च की है। उनकी यह रिसर्च फेफड़ों के कैंसर का उपचार विकसित करने में सहयोगी है। यह रिसर्च विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। प्रोफेसर मोहम्मद के कार्य को सरकार व चिकित्सा जगत की महत्वपूर्ण संस्थाओं से स्वीकार्यता मिली है।

जामिया मिलिया इस्लामिया ने बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. डॉ. मोहम्मद महफूजुल हक को लगभग 65 लाख रुपये का प्रतिष्ठित अनुसंधान अनुदान दिया है। डॉ. हक एक प्रसिद्ध आणविक एंजाइमोलॉजिस्ट हैं। उनका शोध नाइट्रिक ऑक्साइड सिंथेस और अन्य फ्लेवोप्रोटीन की जैव रसायन, संरचना और कार्य पर केंद्रित है। यह हृदय रोगों, पल्मोनेरी उच्च रक्तचाप और कैंसर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. हक 2017 में जामिया मिलिया इस्लामिया के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में शामिल हुए और 2017 से 2020 तक उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। जामिया मिलिया इस्लामिया में अपनी नियुक्ति से पूर्व प्रो. हक ने क्लीवलैंड, ओहियो, यूएसए में प्रतिष्ठित क्लीवलैंड क्लिनिक में आणविक चिकित्सा में संकाय सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रशंसा हास‍िल की है और कई पुरस्कार जीते हैं। भारत सरकार की विभिन्न फंडिंग एजेंसियों से अनेक फंड भी प्राप्त किए हैं। 65 लाख रुपये का यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी अनुदान आणविक एंजाइमोलॉजी के क्षेत्र में प्रो. हक के उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित करता है। साथ ही यह अनुदान हृदय रोगों और फेफड़ों के कैंसर के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व अनुसंधान का समर्थन करेगा।

भारत में चिकित्सा अनुसंधान के लिए सर्वोच्च सम्मानों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त आईसीएमआर अनुदान, प्रो. हक और उनकी टीम को फेफड़ों के कैंसर रोग जनन में आणविक तंत्रों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, संभावित रूप से चिकित्सीय लक्ष्यों की पहचान करने और फेफड़ों के कैंसर से निपटने के लिए नई उपचार रणनीतियों को विकसित करने के लिए है। इस परियोजना का उद्देश्य फेफड़ों के कैंसर में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना है। साथ ही साथ ऐसे परिणाम लाना हैं, जो भारत और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने डॉ. हक को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह हमारे संस्थान के लिए गर्व का क्षण है। आईसीएमआर द्वारा प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक को अनुदान रूपी सम्मान मिलना शोध और नवाचार में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम इस काम के परिवर्तनकारी प्रभाव की आशा करते हैं।”

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के बारे में बात करते हुए प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक ने कहा, “आईसीएमआर से यह अनुदान प्राप्त कर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह हमारे शोध को आगे बढ़ाने और लाखों लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। मैं अपनी टीम, अपने संस्थान जामिया मिलिया इस्लामिया और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के समर्थन और प्रोत्साहन के लिए उनका आभारी हूं।”

यह अनुदान तीन वर्षों के लिए रिसर्च को वित्त पोषण प्रदान करेगा। जिससे उन्नत प्रयोग, अग्रणी विशेषज्ञों के साथ सहयोग एवं नवीन दृष्टिकोणों के विकास में सुविधा होगी। यह पहल अत्याधुनिक शोध को बढ़ावा देने और भारत के सामने आने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मिशन के अनुरूप है।

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जामिया मिलिया इस्लामिया ने बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. डॉ. मोहम्मद महफूजुल हक को लगभग 65 लाख रुपये का प्रतिष्ठित अनुसंधान अनुदान दिया है। डॉ. हक एक प्रसिद्ध आणविक एंजाइमोलॉजिस्ट हैं। उनका शोध नाइट्रिक ऑक्साइड सिंथेस और अन्य फ्लेवोप्रोटीन की जैव रसायन, संरचना और कार्य पर केंद्रित है। यह हृदय रोगों, पल्मोनेरी उच्च रक्तचाप और कैंसर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. हक 2017 में जामिया मिलिया इस्लामिया के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में शामिल हुए और 2017 से 2020 तक उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। जामिया मिलिया इस्लामिया में अपनी नियुक्ति से पूर्व प्रो. हक ने क्लीवलैंड, ओहियो, यूएसए में प्रतिष्ठित क्लीवलैंड क्लिनिक में आणविक चिकित्सा में संकाय सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रशंसा हास‍िल की है और कई पुरस्कार जीते हैं। भारत सरकार की विभिन्न फंडिंग एजेंसियों से अनेक फंड भी प्राप्त किए हैं। 65 लाख रुपये का यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी अनुदान आणविक एंजाइमोलॉजी के क्षेत्र में प्रो. हक के उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित करता है। साथ ही यह अनुदान हृदय रोगों और फेफड़ों के कैंसर के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व अनुसंधान का समर्थन करेगा।

भारत में चिकित्सा अनुसंधान के लिए सर्वोच्च सम्मानों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त आईसीएमआर अनुदान, प्रो. हक और उनकी टीम को फेफड़ों के कैंसर रोग जनन में आणविक तंत्रों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, संभावित रूप से चिकित्सीय लक्ष्यों की पहचान करने और फेफड़ों के कैंसर से निपटने के लिए नई उपचार रणनीतियों को विकसित करने के लिए है। इस परियोजना का उद्देश्य फेफड़ों के कैंसर में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना है। साथ ही साथ ऐसे परिणाम लाना हैं, जो भारत और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने डॉ. हक को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह हमारे संस्थान के लिए गर्व का क्षण है। आईसीएमआर द्वारा प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक को अनुदान रूपी सम्मान मिलना शोध और नवाचार में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम इस काम के परिवर्तनकारी प्रभाव की आशा करते हैं।”

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के बारे में बात करते हुए प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक ने कहा, “आईसीएमआर से यह अनुदान प्राप्त कर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह हमारे शोध को आगे बढ़ाने और लाखों लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। मैं अपनी टीम, अपने संस्थान जामिया मिलिया इस्लामिया और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के समर्थन और प्रोत्साहन के लिए उनका आभारी हूं।”

यह अनुदान तीन वर्षों के लिए रिसर्च को वित्त पोषण प्रदान करेगा। जिससे उन्नत प्रयोग, अग्रणी विशेषज्ञों के साथ सहयोग एवं नवीन दृष्टिकोणों के विकास में सुविधा होगी। यह पहल अत्याधुनिक शोध को बढ़ावा देने और भारत के सामने आने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मिशन के अनुरूप है।

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जामिया मिलिया इस्लामिया ने बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. डॉ. मोहम्मद महफूजुल हक को लगभग 65 लाख रुपये का प्रतिष्ठित अनुसंधान अनुदान दिया है। डॉ. हक एक प्रसिद्ध आणविक एंजाइमोलॉजिस्ट हैं। उनका शोध नाइट्रिक ऑक्साइड सिंथेस और अन्य फ्लेवोप्रोटीन की जैव रसायन, संरचना और कार्य पर केंद्रित है। यह हृदय रोगों, पल्मोनेरी उच्च रक्तचाप और कैंसर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. हक 2017 में जामिया मिलिया इस्लामिया के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में शामिल हुए और 2017 से 2020 तक उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। जामिया मिलिया इस्लामिया में अपनी नियुक्ति से पूर्व प्रो. हक ने क्लीवलैंड, ओहियो, यूएसए में प्रतिष्ठित क्लीवलैंड क्लिनिक में आणविक चिकित्सा में संकाय सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रशंसा हास‍िल की है और कई पुरस्कार जीते हैं। भारत सरकार की विभिन्न फंडिंग एजेंसियों से अनेक फंड भी प्राप्त किए हैं। 65 लाख रुपये का यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी अनुदान आणविक एंजाइमोलॉजी के क्षेत्र में प्रो. हक के उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित करता है। साथ ही यह अनुदान हृदय रोगों और फेफड़ों के कैंसर के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व अनुसंधान का समर्थन करेगा।

भारत में चिकित्सा अनुसंधान के लिए सर्वोच्च सम्मानों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त आईसीएमआर अनुदान, प्रो. हक और उनकी टीम को फेफड़ों के कैंसर रोग जनन में आणविक तंत्रों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, संभावित रूप से चिकित्सीय लक्ष्यों की पहचान करने और फेफड़ों के कैंसर से निपटने के लिए नई उपचार रणनीतियों को विकसित करने के लिए है। इस परियोजना का उद्देश्य फेफड़ों के कैंसर में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना है। साथ ही साथ ऐसे परिणाम लाना हैं, जो भारत और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने डॉ. हक को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह हमारे संस्थान के लिए गर्व का क्षण है। आईसीएमआर द्वारा प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक को अनुदान रूपी सम्मान मिलना शोध और नवाचार में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम इस काम के परिवर्तनकारी प्रभाव की आशा करते हैं।”

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के बारे में बात करते हुए प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक ने कहा, “आईसीएमआर से यह अनुदान प्राप्त कर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह हमारे शोध को आगे बढ़ाने और लाखों लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। मैं अपनी टीम, अपने संस्थान जामिया मिलिया इस्लामिया और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के समर्थन और प्रोत्साहन के लिए उनका आभारी हूं।”

यह अनुदान तीन वर्षों के लिए रिसर्च को वित्त पोषण प्रदान करेगा। जिससे उन्नत प्रयोग, अग्रणी विशेषज्ञों के साथ सहयोग एवं नवीन दृष्टिकोणों के विकास में सुविधा होगी। यह पहल अत्याधुनिक शोध को बढ़ावा देने और भारत के सामने आने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मिशन के अनुरूप है।

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नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर मोहम्मद महफूजुल हक ने हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर पर महत्वपूर्ण रिसर्च की है। उनकी यह रिसर्च फेफड़ों के कैंसर का उपचार विकसित करने में सहयोगी है। यह रिसर्च विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। प्रोफेसर मोहम्मद के कार्य को सरकार व चिकित्सा जगत की महत्वपूर्ण संस्थाओं से स्वीकार्यता मिली है।

जामिया मिलिया इस्लामिया ने बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. डॉ. मोहम्मद महफूजुल हक को लगभग 65 लाख रुपये का प्रतिष्ठित अनुसंधान अनुदान दिया है। डॉ. हक एक प्रसिद्ध आणविक एंजाइमोलॉजिस्ट हैं। उनका शोध नाइट्रिक ऑक्साइड सिंथेस और अन्य फ्लेवोप्रोटीन की जैव रसायन, संरचना और कार्य पर केंद्रित है। यह हृदय रोगों, पल्मोनेरी उच्च रक्तचाप और कैंसर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. हक 2017 में जामिया मिलिया इस्लामिया के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में शामिल हुए और 2017 से 2020 तक उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। जामिया मिलिया इस्लामिया में अपनी नियुक्ति से पूर्व प्रो. हक ने क्लीवलैंड, ओहियो, यूएसए में प्रतिष्ठित क्लीवलैंड क्लिनिक में आणविक चिकित्सा में संकाय सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रशंसा हास‍िल की है और कई पुरस्कार जीते हैं। भारत सरकार की विभिन्न फंडिंग एजेंसियों से अनेक फंड भी प्राप्त किए हैं। 65 लाख रुपये का यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी अनुदान आणविक एंजाइमोलॉजी के क्षेत्र में प्रो. हक के उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित करता है। साथ ही यह अनुदान हृदय रोगों और फेफड़ों के कैंसर के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व अनुसंधान का समर्थन करेगा।

भारत में चिकित्सा अनुसंधान के लिए सर्वोच्च सम्मानों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त आईसीएमआर अनुदान, प्रो. हक और उनकी टीम को फेफड़ों के कैंसर रोग जनन में आणविक तंत्रों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, संभावित रूप से चिकित्सीय लक्ष्यों की पहचान करने और फेफड़ों के कैंसर से निपटने के लिए नई उपचार रणनीतियों को विकसित करने के लिए है। इस परियोजना का उद्देश्य फेफड़ों के कैंसर में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना है। साथ ही साथ ऐसे परिणाम लाना हैं, जो भारत और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने डॉ. हक को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह हमारे संस्थान के लिए गर्व का क्षण है। आईसीएमआर द्वारा प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक को अनुदान रूपी सम्मान मिलना शोध और नवाचार में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम इस काम के परिवर्तनकारी प्रभाव की आशा करते हैं।”

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के बारे में बात करते हुए प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक ने कहा, “आईसीएमआर से यह अनुदान प्राप्त कर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह हमारे शोध को आगे बढ़ाने और लाखों लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। मैं अपनी टीम, अपने संस्थान जामिया मिलिया इस्लामिया और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के समर्थन और प्रोत्साहन के लिए उनका आभारी हूं।”

यह अनुदान तीन वर्षों के लिए रिसर्च को वित्त पोषण प्रदान करेगा। जिससे उन्नत प्रयोग, अग्रणी विशेषज्ञों के साथ सहयोग एवं नवीन दृष्टिकोणों के विकास में सुविधा होगी। यह पहल अत्याधुनिक शोध को बढ़ावा देने और भारत के सामने आने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मिशन के अनुरूप है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर मोहम्मद महफूजुल हक ने हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर पर महत्वपूर्ण रिसर्च की है। उनकी यह रिसर्च फेफड़ों के कैंसर का उपचार विकसित करने में सहयोगी है। यह रिसर्च विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। प्रोफेसर मोहम्मद के कार्य को सरकार व चिकित्सा जगत की महत्वपूर्ण संस्थाओं से स्वीकार्यता मिली है।

जामिया मिलिया इस्लामिया ने बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. डॉ. मोहम्मद महफूजुल हक को लगभग 65 लाख रुपये का प्रतिष्ठित अनुसंधान अनुदान दिया है। डॉ. हक एक प्रसिद्ध आणविक एंजाइमोलॉजिस्ट हैं। उनका शोध नाइट्रिक ऑक्साइड सिंथेस और अन्य फ्लेवोप्रोटीन की जैव रसायन, संरचना और कार्य पर केंद्रित है। यह हृदय रोगों, पल्मोनेरी उच्च रक्तचाप और कैंसर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. हक 2017 में जामिया मिलिया इस्लामिया के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में शामिल हुए और 2017 से 2020 तक उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। जामिया मिलिया इस्लामिया में अपनी नियुक्ति से पूर्व प्रो. हक ने क्लीवलैंड, ओहियो, यूएसए में प्रतिष्ठित क्लीवलैंड क्लिनिक में आणविक चिकित्सा में संकाय सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रशंसा हास‍िल की है और कई पुरस्कार जीते हैं। भारत सरकार की विभिन्न फंडिंग एजेंसियों से अनेक फंड भी प्राप्त किए हैं। 65 लाख रुपये का यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी अनुदान आणविक एंजाइमोलॉजी के क्षेत्र में प्रो. हक के उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित करता है। साथ ही यह अनुदान हृदय रोगों और फेफड़ों के कैंसर के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व अनुसंधान का समर्थन करेगा।

भारत में चिकित्सा अनुसंधान के लिए सर्वोच्च सम्मानों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त आईसीएमआर अनुदान, प्रो. हक और उनकी टीम को फेफड़ों के कैंसर रोग जनन में आणविक तंत्रों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, संभावित रूप से चिकित्सीय लक्ष्यों की पहचान करने और फेफड़ों के कैंसर से निपटने के लिए नई उपचार रणनीतियों को विकसित करने के लिए है। इस परियोजना का उद्देश्य फेफड़ों के कैंसर में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना है। साथ ही साथ ऐसे परिणाम लाना हैं, जो भारत और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने डॉ. हक को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह हमारे संस्थान के लिए गर्व का क्षण है। आईसीएमआर द्वारा प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक को अनुदान रूपी सम्मान मिलना शोध और नवाचार में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम इस काम के परिवर्तनकारी प्रभाव की आशा करते हैं।”

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के बारे में बात करते हुए प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक ने कहा, “आईसीएमआर से यह अनुदान प्राप्त कर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह हमारे शोध को आगे बढ़ाने और लाखों लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। मैं अपनी टीम, अपने संस्थान जामिया मिलिया इस्लामिया और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के समर्थन और प्रोत्साहन के लिए उनका आभारी हूं।”

यह अनुदान तीन वर्षों के लिए रिसर्च को वित्त पोषण प्रदान करेगा। जिससे उन्नत प्रयोग, अग्रणी विशेषज्ञों के साथ सहयोग एवं नवीन दृष्टिकोणों के विकास में सुविधा होगी। यह पहल अत्याधुनिक शोध को बढ़ावा देने और भारत के सामने आने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मिशन के अनुरूप है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर मोहम्मद महफूजुल हक ने हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर पर महत्वपूर्ण रिसर्च की है। उनकी यह रिसर्च फेफड़ों के कैंसर का उपचार विकसित करने में सहयोगी है। यह रिसर्च विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। प्रोफेसर मोहम्मद के कार्य को सरकार व चिकित्सा जगत की महत्वपूर्ण संस्थाओं से स्वीकार्यता मिली है।

जामिया मिलिया इस्लामिया ने बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. डॉ. मोहम्मद महफूजुल हक को लगभग 65 लाख रुपये का प्रतिष्ठित अनुसंधान अनुदान दिया है। डॉ. हक एक प्रसिद्ध आणविक एंजाइमोलॉजिस्ट हैं। उनका शोध नाइट्रिक ऑक्साइड सिंथेस और अन्य फ्लेवोप्रोटीन की जैव रसायन, संरचना और कार्य पर केंद्रित है। यह हृदय रोगों, पल्मोनेरी उच्च रक्तचाप और कैंसर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. हक 2017 में जामिया मिलिया इस्लामिया के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में शामिल हुए और 2017 से 2020 तक उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। जामिया मिलिया इस्लामिया में अपनी नियुक्ति से पूर्व प्रो. हक ने क्लीवलैंड, ओहियो, यूएसए में प्रतिष्ठित क्लीवलैंड क्लिनिक में आणविक चिकित्सा में संकाय सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रशंसा हास‍िल की है और कई पुरस्कार जीते हैं। भारत सरकार की विभिन्न फंडिंग एजेंसियों से अनेक फंड भी प्राप्त किए हैं। 65 लाख रुपये का यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी अनुदान आणविक एंजाइमोलॉजी के क्षेत्र में प्रो. हक के उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित करता है। साथ ही यह अनुदान हृदय रोगों और फेफड़ों के कैंसर के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व अनुसंधान का समर्थन करेगा।

भारत में चिकित्सा अनुसंधान के लिए सर्वोच्च सम्मानों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त आईसीएमआर अनुदान, प्रो. हक और उनकी टीम को फेफड़ों के कैंसर रोग जनन में आणविक तंत्रों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, संभावित रूप से चिकित्सीय लक्ष्यों की पहचान करने और फेफड़ों के कैंसर से निपटने के लिए नई उपचार रणनीतियों को विकसित करने के लिए है। इस परियोजना का उद्देश्य फेफड़ों के कैंसर में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना है। साथ ही साथ ऐसे परिणाम लाना हैं, जो भारत और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने डॉ. हक को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह हमारे संस्थान के लिए गर्व का क्षण है। आईसीएमआर द्वारा प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक को अनुदान रूपी सम्मान मिलना शोध और नवाचार में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम इस काम के परिवर्तनकारी प्रभाव की आशा करते हैं।”

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के बारे में बात करते हुए प्रो. मोहम्मद महफूजुल हक ने कहा, “आईसीएमआर से यह अनुदान प्राप्त कर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह हमारे शोध को आगे बढ़ाने और लाखों लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। मैं अपनी टीम, अपने संस्थान जामिया मिलिया इस्लामिया और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के समर्थन और प्रोत्साहन के लिए उनका आभारी हूं।”

यह अनुदान तीन वर्षों के लिए रिसर्च को वित्त पोषण प्रदान करेगा। जिससे उन्नत प्रयोग, अग्रणी विशेषज्ञों के साथ सहयोग एवं नवीन दृष्टिकोणों के विकास में सुविधा होगी। यह पहल अत्याधुनिक शोध को बढ़ावा देने और भारत के सामने आने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मिशन के अनुरूप है।

–आईएएनएस

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