नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। देश के वरिष्ठ वकीलों द्वारा बुधवार को कहा गया कि अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (डीओजे) द्वारा अदाणी ग्रुप को लेकर दायर किए आरोपपत्र में कोई सबूत पेश नहीं किए गए हैं और न ही बताया है कि लेनदेन किसके साथ हुआ है, जो दिखाता है इस मामले का कोई आधार नहीं है और इसे जल्दबाजी में दायर किया गया है।
राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि अमेरिका से जो अभियोग आया है, इसका कोई आधार नहीं है और न ही उनके पास कोई सबूत हैं। बड़ी बात है कि यह पूरा मामला अदाणी ग्रीन के बॉन्ड इश्यू करने को लेकर है और इसमें न ही अदाणी ग्रुप या न ही अदाणी ग्रीन को आरोपी बनाया गया है।
इसके अलावा जेठमलानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि ये भारत की ग्रोथ स्टोरी को रोकने के लिए यह है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कह चुके हैं कि डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (डीओजे) एक दिखावा है। वे एक निर्वाचित राष्ट्रपति हैं और वे बहुत ही जिम्मेदारी भरा बयान दे रहे हैं। डीओजे अनुचित रूप से जल्दबाजी कर रहा है।
आगे उन्होंने कहा कि इस केस की टाइमिंग पर ध्यान देना चाहिए। जो बाइडेन सत्ता से बाहर हो चुके हैं। ऐसे में उनके शासन के समर्थित अधिकारियों ने देखा कि गौतम अदाणी ने राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ की और शायद इसी कारण से कुछ समय से यह सब चल रहा है। अभियोग में अस्पष्टता और सबूत नहीं होना दिखाता है कि यह सब जल्दबाजी में किया गया है।
भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल, मुकुल रोहतगी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि मैंने अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस का पूरा आरोप पत्र पढ़ा है। इसमें पांच आरोप हैं, जिसमें से एक और पांच में अदाणी के अधिकारियों का नाम नहीं है। पूरे आरोप पत्र में कही भी नहीं लिखा किस आदमी को कब और क्या घूस दी गई है।
अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) द्वारा स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में दी गई जानकारी में कहा गया कि अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (डीओजे) द्वारा दायर आरोप पत्र में अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी, भतीजे सागर अदाणी और सीनियर एग्जीक्यूटिव विनीत जैन पर गलत तरीके से लेन-देन का कोई आरोप नहीं है।
आगे कहा कि अमेरिकी डीओजे के अभियोग पत्र में पांच आरोप हैं। इनमें से किसी में भी गौतम अदाणी, सागर अदाणी और विनीत जैन का कोई उल्लेख नहीं हैं और न ही उन्हें पहले आरोप “एफसीपीए का उल्लंघन करने की साजिश” में शामिल किया गया है और न ही इन तीनों का नाम पांचवें आरोप “न्याय में बाधा डालने की साजिश” में शामिल किया गया है।
–आईएएनएस
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