ईटानगर, 30 मार्च (आईएएनएस)। अरुणाचल प्रदेश सरकार ने 2823 मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाली पांच समाप्त हो चुकी पनबिजली परियोजनाओं को दो केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसयू) को सौंपने का फैसला किया है। मंत्रिमंडल ने बुधवार को समझौते के ज्ञापन (एमओए) को मंजूरी दे दी। अब सीपीएसयू के साथ हस्ताक्षर किए जाने हैं।
दोनों सीपीएसयू के साथ जल्द ही एमओए पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री पेमा खांडू की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य में जलविद्युत के विकास के लिए सीपीएसयू के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी गई।
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया, यह 2820 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाली संभावित पांच पनबिजली परियोजनाओं को खोलने का मार्ग प्रशस्त करेगा। इससे राज्य में भारी निवेश बढ़ेगा और रोजगार पैदा होगा।
अधिकारी के मुताबिक, इन पांच परियोजनाओं के लिए अगले पांच से सात साल में 40,000 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी।
पांच परियोजनाओं में से दो जलविद्युत परियोजनाएं – नयिंग (1,000 मेगावाट) और हिरोंग (500 मेगावाट) – नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (नीपको) को सौंपी जाएंगी और एमिनी (500 मेगावाट), अमुलिन (420 मेगावाट) और मिनंडन (400 मेगावाट) सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड को दी जाएंगी।
अधिकारी ने कहा कि ये परियोजनाएं प्रतिवर्ष लगभग 500 करोड़ रुपये और स्थानीय क्षेत्र विकास (एलएडी) के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये का राजस्व प्रदान करेंगी।
उन्होंने कहा कि 12,343 मेगावॉट उत्पादन क्षमता वाली 13 प्राथमिकता वाली परियोजनाओं पर काम शुरू करने की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। इससे 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा और राज्य को 2,000 करोड़ रुपये का राजस्व और एलएडी के लिए लगभग 350 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष मिलेंगे।
कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश अपनी जलविद्युत के माध्यम से गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता में प्रमुख योगदान देगा।
कैबिनेट ने यह भी मंजूरी दी कि बिजली क्षेत्र से राज्य सरकार द्वारा उत्पन्न राजस्व को सरकारी बॉन्ड में निवेश किया जाएगा, जिसका उपयोग अरुणाचल प्रदेश के विकास के लिए किया जाएगा।
–आईएएनएस
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