कोलकाता, 31 मई (आईएएनएस)। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की एक विशेष अदालत ने बुधवार को कहा कि पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी रहीं अर्पिता मुखर्जी अपने दो आवासों से बरामद भारी नकदी की जिम्मेदारी लेने से इनकार नहीं कर सकतीं। कोर्ट ने करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में अर्पिता की जमानत याचिका खारिज कर दी और उनकी न्यायिक हिरासत 19 जून तक बढ़ा दी।
इस मामले में सोमवार को सुनवाई होने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था।
पार्थ चटर्जी शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में कथित संलिप्तता के कारण अब न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया है। उन्होंने अर्पिता मुखर्जी के आवासों का उपयोग घोटाले की आय जमा करने के लिए किया था।
हालांकि, बुधवार को सुनाए गए आदेश से यह स्पष्ट था कि न्यायाधीश ने इस आधार पर उसके तर्क को स्वीकार नहीं किया था, लेकिन यह देखा कि अलग-अलग सबूतों से यह साबित हो गया है कि वह सीधे तौर पर सिस्टम में शामिल थी और इस बात से काफी वाकिफ थी। उनके आवास पर भारी मात्रा में नकदी जमा है।
न्यायाधीश ने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है कि अर्पिता अपने आवासों पर भारी मात्रा में नकदी रखे जाने और सोने के भंडार के बारे में नहीं जानती थी और उसके वकील का यह दावा कि उसकी मुवक्किल सिर्फ साजिश का शिकार हुई, स्वीकार करने लायक नहीं है।
उन्होंने यह भी पाया कि केंद्रीय एजेंसियों ने अदालत में उनके खिलाफ जो दस्तावेज पेश किए हैं, वे गंभीर प्रकृति के हैं। उनके अनुसार, अर्पिता की जमानत याचिका सिर्फ इस आधार पर मंजूर नहीं की जा सकती कि याचिकाकर्ता एक महिला है।
पिछले साल जुलाई में प्रवर्तन निदेशालय ने उनके दो आवासों से लगभग 50 करोड़ रुपये बरामद किए थे, पहला दक्षिण कोलकाता के टॉलीगंज क्षेत्र में और दूसरा कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके बेलघरिया में। नकदी के अलावा भारी मात्रा में सोना भी बरामद किया गया था।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम