नई दिल्ली, 1 फरवरी (आईएएनएस)। भारतपे के पूर्व एमडी अश्नीर ग्रोवर और उनकी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की एफआईआर के बाद उनके खिलाफ जारी लुक-आउट सर्कुलर (एलओसी) को चुनौती देने के लिए गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
भारतपे ने 2,800 पन्नों के अपने मुकदमे में कथित धोखाधड़ी और धन के दुरुपयोग के लिए ग्रोवर, उनकी पत्नी और उनके भाई से 88.67 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा किया है।
फंड के दुरुपयोग के आरोप में ग्रोवर और उनकी पत्नी को कंपनी से बर्खास्त किए जाने के कुछ महीनों बाद भारतपे ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
मांगे गए नुकसान में ऐसे विक्रेताओं के बिलों के खिलाफ किए गए 71.7 करोड़ रुपये के भुगतान का दावा जो वास्तव में थे ही नहीं, जीएसटी अधिकारियों को भुगतान किए गए 1.66 करोड़ रुपये के जुर्माने का दावा, कथित तौर पर भर्ती सेवाएं प्रदान करने वाले विक्रेताओं को किए गए कुल 7.6 करोड़ रुपये का भुगतान, एक फर्निशिंग कंपनी को दिए गए 1.85 करोड़ रुपये, 59.7 लाख रुपये तक के व्यक्तिगत व्यय के लिए भुगतान और ट्वीट तथा उनके द्वारा दिए गए अन्य बयानों के कारण कंपनी की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए पाँच करोड़ रुपये का भुगतान शामिल है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने गुरुवार को कार्यवाही स्थगित करते हुए इस चरण में हस्तक्षेप करने से परहेज किया।
अदालत ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है और एफआईआर रद्द करने की दंपति की याचिका फैसले का इंतजार कर रही है।
अदालत ने कहा, “अभी अदालत का इस मामले में हस्तक्षेप करना जल्दबाजी होगी। मैं इसे स्थगित कर रहा हूं। उन्हें जांच करने में कुछ समय लगेगा। जांच अभी शुरुआती चरण में है। आपकी धारा 482 (सीआरपीसी की) याचिका लंबित है।”
जांच में पूर्ण सहयोग के वकील के दावे के बावजूद, अदालत ने लुकआउट सर्कुलर से जुड़े मामलों में रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते समय संतुलन की आवश्यकता का हवाला दिया।
अदालत ने कहा, “आज, यह कहना कि एलओसी पूरी तरह से अनुचित है, सही नहीं है। मुझे इसे मई के मध्य में प्राप्त करने दीजिए। राशि केवल सात करोड़ रुपये है।”
न्यायाधीश ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 मई की तारीख तय की है।
अपने मुकदमे में, फिनटेक कंपनी ने दावा किया कि राजस्थान स्थित एक ट्रैवल कंपनी ने दो बार विदेशी दौरों के लिए चालान काटा था, एक बार ग्रोवर और उनकी पत्नी के लिए और दूसरी बार उनके बच्चों के लिए। परिवार ने विदेश यात्रा के लिए भी कंपनी के फंड का इस्तेमाल किया।
मुकदमे में आगे दावा किया गया कि ग्रोवर्स ने कंपनी के फंड का इस्तेमाल अपने पॉश डुप्लेक्स का किराया और सिक्यूरिटी डिपॉजिट तथा घरेलू उपकरणों के भुगतान के लिए भी किया। मुकदमे में दावा किया गया कि डुप्लेक्स को पहले ग्रोवर्स ने कंपनी के गेस्ट हाउस के रूप में अपने कब्जे में ले लिया था, लेकिन अंततः उन्होंने वहां रहना शुरू कर दिया।
–आईएएनएस
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