गुवाहाटी, 15 जनवरी (आईएएनएस)। पूरे असम में लोगों ने सोमवार को माघ या भोगाली बिहू मनाया, जो मकर संक्रांति के साथ मेल खाने वाला फसल उत्सव है।
असमिया संस्कृति और इतिहास में इस त्योहार की प्रासंगिकता कृषि में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका से उत्पन्न होती है और यह सर्दियों के बाद बसंत के आगमन की भी शुरुआत करता है।
यह बिहू के तीन प्रकारों में से एक है, अन्य दो क्रमशः बोहाग और काटी हैं जो अप्रैल और अक्टूबर में मनाए जाते हैं।
माघ बिहू से पहले की रात, जिसे ‘उरुका’ कहा जाता है, तब परिवार एक साथ आते हैं और पारंपरिक शाकाहारी और मांसाहारी वस्तुओं सहित दावत तैयार करते हैं।
उरुका दावत के बाद, कुछ लोग रात को भेलाघरों में रुकते हैं, जो खेतों में अस्थायी झोपड़ियां होती हैं।
अगली सुबह, हर कोई जल्दी उठता है, स्नान करता है और ‘मीजी’ नामक अलाव जलाने में भाग लेता है।
अग्नि देवता को प्रसाद के रूप में सुपारी और ‘पीठा’ (पारंपरिक चावल केक) मीजी पर डाले जाते हैं।
इस दिन, राज्य के विभिन्न हिस्सों में मुर्गों की लड़ाई, भैंस दौड़, बुलबुल प्रतियोगिता और अंडा फेंकने सहित अन्य खेल प्रतियोगिताएं भी होती हैं।
–आईएएनएस
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