अहमदाबाद, 12 जून (आईएएनएस)। गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार को हुए विमान हादसे में भाजपा के वरिष्ठ नेता और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की मौत हो गई। वह 68 वर्ष के थे।
रूपाणी एयर इंडिया की फ्लाइट एआई171 में सवार थे, जो अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जा रही थी। उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद यह विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वह बिजनेस क्लास की 2डी सीट पर बैठे थे।
एक अनुभवी राजनेता, रूपाणी ने अगस्त 2016 से सितंबर 2021 तक गुजरात के 16वें मुख्यमंत्री के रूप में काम किया। उनके शासन में निवेश, बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर जोर दिया गया।
विजय रूपाणी का जन्म 2 अगस्त 1956 को रंगून (अब यांगून) में हुआ था। राजनीतिक उथल-पुथल के कारण उनका परिवार गुजरात के राजकोट आ गया। सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से उन्होंने बीए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह आरएसएस और इसके छात्र संगठन एबीवीपी के माध्यम से छात्र राजनीति में सक्रिय हुए। रूपाणी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1987 में राजकोट में नगरसेवक के रूप में की।
वह 1996 से 1997 तक राजकोट के मेयर रहे और कई बार गुजरात विधानसभा के लिए चुने गए। भाजपा के प्रति उनकी निष्ठा और स्वच्छ छवि ने उन्हें गुजरात की राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बना दिया और अगस्त 2016 में उन्हें मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया, जिन्होंने पद छोड़ दिया था।
रूपाणी 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद भी पद पर बने रहे और कोविड-19 महामारी और प्रमुख औद्योगिक नीति परिवर्तनों सहित चुनौतीपूर्ण समय के दौरान सरकार की कमान संभाली। सीएम के रूप में उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल खाई को पाटने के लिए डिजिटल सेवा सेतु योजना शुरू करने और सुजलाम सुफलाम जल अभियान के माध्यम से जल प्रबंधन में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जाना जाता था।
उनके कार्यकाल में गुजरात औद्योगिक नीति 2020 की शुरुआत और आदिवासी उत्थान के लिए पहल भी देखी गई। उन्होंने सितंबर 2021 में सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और भूपेंद्र पटेल के लिए रास्ता बनाया। हालांकि, रूपाणी एक प्रमुख सलाहकार बने रहे और पार्टी के मामलों और सार्वजनिक सेवा में सक्रिय रहे।
रूपाणी का विवाह सामाजिक कार्यकर्ता और परोपकारी अंजलि रूपाणी से हुआ था। उनके एक बेटा है।
मृदुभाषी स्वभाव, अनुशासित जीवनशैली और मजबूत आध्यात्मिक आधार के रूप में वह अपनी पहचान रखते थे। वह अक्सर मंदिरों में जाते थे और गुजरात भर में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते थे।
–आईएएनएस
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