अमरावती, 19 जनवरी (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार द्वारा विभिन्न विभागों के लिए सलाहकारों की नियुक्ति में गड़बड़ी पाई और इसे एक खतरनाक मामला करार दिया।
मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डी.वी.एस.एस. सोमयाजुलू, बंदोबस्ती विभाग के सलाहकार के रूप में जे. श्रीकांत की और कर्मचारी कल्याण के सलाहकार के रूप में एन. चंद्रशेखर रेड्डी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अदालत ने पूछा कि क्या कर्मचारियों के टीए और डीए के लिए सलाहकार नियुक्त किया जाएगा?
महाधिवक्ता एस. श्रीराम ने अदालत को बताया कि सरकार योग्य व्यक्तियों को सलाहकार के रूप में नियुक्त कर रही है। उन्होंने तर्क दिया कि सरकार अंतिम निर्णय लेने से पहले इन व्यक्तियों की सलाह ले रही है।
हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह सलाहकारों की नियुक्ति से संबंधित सभी रिकॉर्ड सरकार को सौंपे। पीठ ने हैरानी जताई कि ये सलाहकार वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों से बेहतर सलाह कैसे दे सकते हैं।
इसने यह भी पूछा था कि कितने सलाहकार नियुक्त किए जा सकते हैं और किस स्तर पर। इसने पात्रता मानदंड पर भी सवाल उठाए और पूछा कि क्या विभागों में सलाहकार नियुक्त किए जा सकते हैं?
आंध्र प्रदेश ब्राह्मण सेवा संघ समाख्या के प्रवक्ता एच.के. राजशेखर राव ने बंदोबस्ती विभाग के सलाहकार के रूप में श्रीकांत की नियुक्ति को अतिरिक्त-संवैधानिक करार देते हुए एक जनहित याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि किसी विभाग में सलाहकार की नियुक्ति का प्रावधान संविधान के किसी भी अनुच्छेद में नहीं पाया जा सकता।
पीठ ने सरकार से पूछा था कि उनकी विशेषज्ञता क्या है, जिसके कारण उन्हें विभाग के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
यह देखा गया था कि मुख्यमंत्री जैसे व्यक्ति का सलाहकार होना किसी विभाग के सलाहकार से अलग है। इसने पूछा, क्या हम सेवा संवर्ग के बाहर एक नया संवर्ग बना रहे हैं?
पिछले साल अगस्त में अदालत ने श्रीकांत की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद उन्हें हटा दिया गया था।
–आईएएनएस
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