रुड़की, 11 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के शोधकर्ताओं ने एक नए जीवाणुरोधी छोटे अणु की पहचान की है जो दवा प्रतिरोधी संक्रमणों से लड़ने में मदद कर सकता है।
अणु आईआईटीआर00693 की खोज एक कठोर स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बाद की गई है। इसने ग्राम-पॉजिटिव और ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया की एक विस्तृत श्रृंखला के खिलाफ शक्तिशाली जीवाणुरोधी गतिविधि दिखाई है, जिसमें कुछ सबसे अधिक समस्याग्रस्त दवा-प्रतिरोधी स्ट्रेन भी शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि त्वचा को संक्रमित करने वाले रोगजनकों (पैथोजन) के बीच एंटीबायोटिक प्रतिरोध का उदय सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक तत्काल खतरा बन गया है और इसने नए उपचारों की खोज को बढ़ावा दिया है। वर्तमान में उपयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं की शक्ति को बढ़ाना दवा प्रतिरोधी रोगजनकों के कारण होने वाले संक्रमण के उपचार के लिए एक विकल्प है।
उन्होंने पाया कि आईआईटीआर00693 एंटीबायोटिक दवाओं की गतिविधि को बढ़ाता है जो बैक्टीरिया के संक्रमण के उपचार में उपयोग की जाती हैं, विशेष रूप से दो नोटोरियस मल्टीड्रग-प्रतिरोधी त्वचा-संक्रमित रोगजनकों (पैथोजन), अर्थात स्टैफिलोकोकस ऑरियस और स्यूडोमोनास एरुगिनोसा के खिलाफ आदि।
शोधकर्ताओं ने समझाया कि आईआईटीआर00693 दोहरी तलवार की तरह काम करता है, यह न केवल सबसे जिद्दी बैक्टीरिया को मारता है बल्कि प्रतिरोध के उद्भव को भी रोकता है, यह सुनिश्चित करता है कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रभावी रहे।
आईआईटी रुड़की में बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर रंजना पठानिया ने कहा कि हमने एक छोटे अणु की पहचान करने का लक्ष्य रखा है जो वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक दवाओं को प्रबल कर सकता है। आईआईटीआर00693, एक नोवल जीवाणुरोधी छोटा अणु, स्टैफिलोकोकस ऑरियस और स्यूडोमोनास एरुगिनोसा के खिलाफ पॉलीमीक्सिन बी की जीवाणुरोधी गतिविधि को प्रबल करता है।
टीम ने इस बातचीत की क्रिया के तरीके और एस. ऑरियस और पी. एरुगिनोसा के कारण होने वाले नरम-ऊतक संक्रमण से निपटने के लिए अणु की क्षमता की विस्तार से जांच की।
आईआईटी रुड़की में डपार्टमेंट ऑफ बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग की महक सैनी ने कहा कि परिणाम बताते हैं कि आईआईटीआर00693 में उच्चतम सुरक्षा सूचकांक और प्रभावकारिता है। आईआईटीआर00693 और पॉलीमीक्सिन बी के बीच ग्राम-पॉजिटिव एस ऑरियस के बीच तालमेल पेचीदा था, क्योंकि पॉलीमीक्सिन बी विशेष रूप से ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया के खिलाफ सक्रिय है।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के.के. पंत ने एक बयान में कहा कि शोधकर्ताओं की टीम का लक्ष्य अब अणु को एक व्यवहार्य चिकित्सीय एजेंट के रूप में विकसित करना है जिसे नैदानिक परीक्षणों में परीक्षण किया जा सकता है। आगे कहा कि यह नए एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह अणु की सुरक्षा, प्रभावकारिता और नरम और त्वचा के ऊतकों के संक्रमण में संभावित दुष्प्रभावों के मूल्यांकन की अनुमति देगा।
–आईएएनएस
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