पणजी, 22 नवंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध अभिनेता विजय सेतुपति ने बुधवार को कहा कि अभिनय का कोई फॉर्मूला नहीं है, हालांकि व्यक्ति को किरदार में पूरी तरह से डूब जाना चाहिए।
यहां कला अकादमी में 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में एक आकर्षक ‘इन-कन्वर्सेशन’ सत्र के दौरान, सेतुपति ने अपनी सिनेमाई यात्रा के अनुभवों और विचारों को साझा किया।
सेतुपति ने 50 से अधिक फिल्मों में अभिनय करने के बाद पहली बार सीनू रामासामी की ‘थेनमेरकु पारुवाकात्रु’ में मुख्य भूमिका निभाई, जिसने तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीते।
विभिन्न भूमिकाओं में अपनी छवि के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए, सेतुपति ने इस बात पर जोर दिया कि दर्शक फिल्म के स्टार के बजाय कहानी और पात्रों की ओर आकर्षित होते हैं।
उन्होंने मन को स्वतंत्रता देने और “प्रवाह के साथ चलने” के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “अभिनय का कोई फॉर्मूला नहीं है और व्यक्ति को किरदार में पूरी तरह से डूब जाना चाहिए।”
‘सुपर डीलक्स’ में एक ट्रांसजेंडर की अपनी भूमिका पर चर्चा करते हुए सेतुपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उन्होंने ट्रांसजेंडर लोगों द्वारा सामना किए गए वास्तविक जीवन के संघर्षों को चित्रित करने की कोशिश की। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।
प्रतिभागियों के साथ बातचीत करते हुए, उन्होंने जमीन से जुड़े रहने के लिए सीखने की भावना को जीवित रखने के महत्व पर प्रकाश डाला।
जब सेतुपति से खलनायक के रूप में उनकी पसंद की भूमिकाओं के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने विशिष्ट भूमिकाओं तक सीमित रहने से बचने की इच्छा व्यक्त की।
–आईएएनएस
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