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Home ताज़ा समाचार

आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल केस : एनआईए की विशेष अदालत ने एक आरोपी को 7 साल कैद की सजा सुनाई

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October 10, 2023
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

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एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

–आईएएनएस

एफजेड/एबीएम

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

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अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

–आईएएनएस

एफजेड/एबीएम

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में एनआईए की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी तत्वों की भर्ती और वित्त पोषण में शामिल आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल से संबंधित एक मामले में अदनान हसन को दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई।

अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

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अदालत ने अदनान हसन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

एनआईए के अनुसार, मामला तीन भारतीय नागरिकों शेख अजहर अल इस्लाम सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हसन से जुड़ी आपराधिक साजिश से संबंधित है।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ये व्यक्ति अन्य अज्ञात सहयोगियों के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के सदस्य हैं।

उनकी साजिश का उद्देश्य आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अतिसंवेदनशील युवाओं की पहचान करना, प्रेरित करना, कट्टरपंथी बनाना, भर्ती करना और प्रशिक्षण देना था।”

मंगलवार को हसन को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत सांठगांठ में सक्रिय भागीदारी के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

शुरुआत में एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 28 जनवरी 2016 को आईपीसी और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच से पता चला है कि आरोपी हसन ने व्यक्तियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए पोस्ट, समाचार लेख, टिप्पणियां, वीडियो, चित्र और इस्लामी विद्वानों की टिप्पणियों सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और तरीकों का इस्तेमाल किया।

अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने आरोपी अब्दुल्ला बसिथ और अन्य सहयोगियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हसन को आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत में इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 29 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था।”

इसके बाद सबूतों के आधार पर 25 जुलाई 2016 को हसन के खिलाफ दिल्ली में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष यूएपीए और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की गई थी।

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