लखनऊ, 3 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश विधानसभा शुक्रवार को अदालत का रूप ले लेगी और एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी (पूर्व सर्कल अधिकारी, कानपुर नगर) और पांच सेवारत पुलिसकर्मियों को दी जाने वाली कारावास की अवधि तय करने के लिए सुनवाई करेगी। इन पर 15 सितंबर, 2004 को कानपुर नगर में सदन के एक सदस्य व कानपुर के तत्कालीन भाजपा विधायक सलिल विश्नोई के विशेषाधिकार हनन का आरोप है।
विधानसभा अधिकारियों के अनुसार, सदन में एक डॉक रखा जाएगा और प्रमुख सचिव (गृह) और डीजीपी को आरोपी को सदन को सौंपने के लिए कहा गया है।
यह 34 साल बाद होगा, जब सदन विशेषाधिकार हनन मामले में सुनवाई करने के लिए अदालत में बदल जाएगा।
विधानसभा ने 2 मार्च, 1989 को तत्कालीन यूपी तराई विकास जनजाति निगम के एक अधिकारी शंकर दत्त ओझा को तलब किया था, जिन पर सदन के सदस्य हरदेव के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप था।
गौरतलब है कि 15 सितंबर, 2004 को विश्नोई कानपुर में बिजली कटौती के खिलाफ जिलाधिकारी (कानपुर नगर) को ज्ञापन सौंपने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे, जब पुलिस कर्मियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित होने के बाद प्रमुख सचिव (गृह) और डीजीपी को विधानसभा के समक्ष पुलिसकर्मियों को पेश करने का निर्देश दिया।
संसदीय मामलों के मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें सिफारिश की गई थी कि इन कर्मियों को सदन के समक्ष पेश किया जाए और उनके कारावास पर विचार किया जाए।
शुक्रवार को सदन के समक्ष पेश होने वालों में तत्कालीन सीओ बाबूपुरवा, कानपुर नगर, अब्दुल समद (जो दूसरी सेवा में चले गए और एक आईएएस अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हुए), तत्कालीन एसएचओ, किदवई नगर पुलिस स्टेशन, ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन एसआई, कोतवाली थाने के तत्कालीन सिपाही त्रिलोकी सिंह, किदवई नगर थाने के तत्कालीन आरक्षक छोटे सिंह यादव, काकादेव थाने के तत्कालीन आरक्षक विनोद मिश्रा और काकादेव थाने के तत्कालीन आरक्षक मेहरबान सिंह यादव शामिल हैं।
विश्नोई ने विशेषाधिकार हनन की जानकारी 25 अक्टूबर 2004 को सदन को दी थी।
उन्होंने सदन को विशेषाधिकार हनन की सूचना देते हुए अपने नोटिस के साथ अखबार की कतरनें, फोटोग्राफ और मेडिकल रिपोर्ट संलग्न की।
28 जुलाई 2005 को राज्य विधान सभा के तत्कालीन उपाध्यक्ष और तत्कालीन विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने तत्कालीन सीओ (बाबूपुरवा) अब्दुल समद को कारावास देने और अन्य पुलिसकर्मियों को सदन में बुलाकर फटकार लगाने की अनुशंसा की थी।
विधानसभा अब सभी छह आरोपियों को कारावास और उनमें से पांच की सेवाएं समाप्त करने पर विचार करेगी।
–आईएएनएस
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