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Home ताज़ा समाचार

आनंद विहार रेलवे स्टेशन बनेगा विश्व स्तरीय टर्मिनल

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February 19, 2023
in ताज़ा समाचार
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आनंद विहार रेलवे स्टेशन बनेगा विश्व स्तरीय टर्मिनल
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नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पूर्वी राज्यों को दिल्ली से जोड़ने वाले रेल टर्मिनल आनंद विहार को वैश्विक स्तर का बनाया जाएगा। इसके लिए एक अनुमान के मुताबिक 240 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।

आनंद विहार रेलवे टर्मिनल (एएनवीटी) का औपचारिक उद्घाटन 19 दिसम्बर, 2009 को किया था। 42 हेक्टेयर में फैले इस टर्मिनल का उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी, और दिल्ली की मुख्मंत्री शीला दीक्षित ने किया था। उत्तर रेलवे का ये टर्मिनल दिल्ली सबसे चार बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है।

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दिल्ली के पूर्वी भाग में स्थित, आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन मुख्य रूप से दिल्ली से पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों का संचालन करता है। यहां से पूर्व की ओर उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए चलने वाली रेलगाड़ियों को रवाना किया जाता है।

पहले पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों को यमुना नदी पर बने पुल को पार करना पड़ता था। लंबी दूरी की ट्रेन पहले केवल तीन स्टेशनों से ही चला करती थी। इसमें दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली), नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन ही शमिल थे।

इन स्टेशनों में यात्रियों की इतनी बड़ी भीड़ को संभालने की मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं थी। इसलिए आनंद विहार को अन्य प्रमुख यात्री टर्मिनलों के बोझ को कम करने के लिए बनाया गया था और इसी लिए इसके लिए यमुना के पार वाली जगह को टर्मिनल के लिए चुना गया।

केवल यात्री ही नहीं पूर्वी भारत में पार्सल और सामान आयात व निर्यात करने के लिए भी आज रेलवे इस टर्मिनल पर पूरी तरह से रेलवे पर निर्भर है। इसके साथ ही ये स्टेशन उत्तरी राज्यों के लिए दिल्ली से संपर्क जोड़ने वाला स्टेशन है।

इस स्टेशन पर 7 प्लेफॉर्म और 12 पटरियां हैं। टर्मिनल में तीन लाख से अधिक यात्रियों और प्रतिदिन 270 ट्रेनों को संभालने की क्षमता है।

टिकट बुकिंग कार्यालय और काउंटर, विकलांग लोगों के लिए प्रतीक्षालय, आरक्षण हॉल, शौचालय और सामान कार्यालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ साथ विदेशी मुद्रा काउंटर, टच-स्क्रीन इन्क्वारी सिस्टम, एटीएम, फूड प्लाजा, रिटायरिंग रूम एक कम्प्यूटरीकृत टिकट सुविधा और एक बड़ी पाकिर्ंग जैसी सुविधाएं भी हैं।

इस स्टेशन को बनाने का ऐलान पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री नितीश कुमार ने साल 2003 में कर दी थी। इसके बाद दिसंबर 2003 में, उत्तर रेलवे ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन परियोजना के चरण-1 के लिए सलाहकारों को नियुक्त करने के लिए एक निविदा जारी की और काम पूरा होते होते 2009 में उद्घाटन किया गया।

उस समय ये इस दो मंजिला रेलवे स्टेशन के पर तीन प्लैटफार्म, एक कोच रखरखाव यार्ड और शाहिबाबाद जंक्शन के लिए सहायक लाइनें शामिल थीं। इस फेज को पूरा होने में करीब 850 करोड़ रुपए की लागत और पांच साल का समय लगा।

इस रेलवे टर्मिनल को आनंद विहार अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल (विवेकानंद बस टर्मिनल) और नजदीक ही स्थित दिल्ली मैट्रो के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के साथ जोड़ा गया है, इस प्रकार यह दिल्ली के प्रमुख वनस्पॉट परिवहन केंद्र के रूप में परिवर्तित हो गया है।

हालांकि 16 मई 2010 तक नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मचने तक अपनी स्टेशन क्षमता से कम काम करता रहा, लेकिन बाद में इस स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या में इजाफा किया गया। इसके बाद उत्तर रेलवे ने जुलाई के मध्य तक लगभग छह और नियमित ट्रेनों को आनंद विहार में स्थानांतरित करने का फैसला लिया। उसी समय स्टेशन पर 3 से प्लेटफार्मों की संख्या को 7 तक बढ़ा दिया गया।

आज ये रेलवे स्टेश सफाई के मामले में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को भी पीछे छोड़ता है। सफाई को लेकर आनंद विहार टर्मिनल देश में 26वें नंबर पर है और नई दिल्ली 165 वें स्थान पर।

दो साल पहले फिट-इंडिया अभियान के तहत लोगों को फिटनेस के प्रति जागरूक करने के लिए रेल मंत्रालय ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर इस अनूठी स्क्वाट मशीनों को लगवाया था। स्क्वाट मशीन के सामने निर्धारित जगह पर खड़े होकर मशीन पर लगे कैमरे से अपने चेहरे का स्कैन करवाना होता है और उठक-बैठक समयबद्ध पाए जाने पर टिकट मिल जाती है।

मौजूदा स्टेशनों में यात्रियों के बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे ने अतिरिक्त प्रमुख यात्री टर्मिनलों की आवश्यकता की पहचान की है। फिलहाल आनंद विहार टर्मिनल में प्रवेश और निकास के लिए एक ही रास्ता है। पुनर्विकास योजना के तहत प्रवेश और निकास के अलग-अलग रास्ते बनाए जाएंगे।

रेलवे सूत्रों के अनुसार मास्टरप्लान का प्रस्ताव देने के लिए वैश्विक परामर्शदाताओं को आमंत्रित करने के लिए निविदा बनाई जा रही है। रेल अधिकारियों का दावा है कि आने वाले समय में इस स्टेशन पर न सिर्फ यात्रियों के जरूरत की सारी चीजें उपलब्ध होंगी, बल्कि दूर से सभी लोग इसकी खूबसूरती का दीदार कर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। विश्व स्तरीय टर्मिनल है तो यात्रियों को यहां मिलने वाली सुविधाएं भी विश्व स्तरीय होंगी।

इसके लिए पुनर्विकास काम शुरू होने की तिथि से तीन साल में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। एक अनुमान के अनुसार टर्मिनल के विकास पर करीब 240 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

इसके साथ ही इस स्टेशन परिसर में ही रिहायशी सुविधा, थ्री स्टार के साथ बजट होटल, मॉल, कॉमर्शियल के साथ कोचिंग इंस्टीट्यूट एरिया भी विकसित किया जाएगा। कोरोना काल से पहले ही आनंद विहार स्टेशन विकसित करने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया था।

इसके अलावा, आनंद विहार के रेलवे ओवर ब्रिज को और चौड़ा बनाने की योजना बनाई गई है क्योंकि मौजूदा पुल का ढांचा यातायात के संचालन के लिए सक्षम नहीं है। इसके साथ ही सिग्नल-फ्री कॉरिडोर की भी योजना है।

जो पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार को पश्चिमी दिल्ली के जखीरा से जोड़ेगा, पहली बार इसे 2012 में शुरू किया गया था, लेकिन इसके निष्पादन में देरी हुई, मुख्य रूप से रेलवे की आपत्तियों के कारण कॉरिडोर का एक बड़ा हिस्सा रेलवे ट्रैक के साथ चलेगा।

भारतीय रेल के अनुसार आम बजट 2023-24 के मद्देनजर राजधानी दिल्ली में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 13 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें आनंद विहार टर्मिनल भी शामिल है।

–आईएएनएस

पीटीके/एसकेपी

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नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पूर्वी राज्यों को दिल्ली से जोड़ने वाले रेल टर्मिनल आनंद विहार को वैश्विक स्तर का बनाया जाएगा। इसके लिए एक अनुमान के मुताबिक 240 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।

आनंद विहार रेलवे टर्मिनल (एएनवीटी) का औपचारिक उद्घाटन 19 दिसम्बर, 2009 को किया था। 42 हेक्टेयर में फैले इस टर्मिनल का उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी, और दिल्ली की मुख्मंत्री शीला दीक्षित ने किया था। उत्तर रेलवे का ये टर्मिनल दिल्ली सबसे चार बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है।

दिल्ली के पूर्वी भाग में स्थित, आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन मुख्य रूप से दिल्ली से पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों का संचालन करता है। यहां से पूर्व की ओर उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए चलने वाली रेलगाड़ियों को रवाना किया जाता है।

पहले पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों को यमुना नदी पर बने पुल को पार करना पड़ता था। लंबी दूरी की ट्रेन पहले केवल तीन स्टेशनों से ही चला करती थी। इसमें दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली), नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन ही शमिल थे।

इन स्टेशनों में यात्रियों की इतनी बड़ी भीड़ को संभालने की मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं थी। इसलिए आनंद विहार को अन्य प्रमुख यात्री टर्मिनलों के बोझ को कम करने के लिए बनाया गया था और इसी लिए इसके लिए यमुना के पार वाली जगह को टर्मिनल के लिए चुना गया।

केवल यात्री ही नहीं पूर्वी भारत में पार्सल और सामान आयात व निर्यात करने के लिए भी आज रेलवे इस टर्मिनल पर पूरी तरह से रेलवे पर निर्भर है। इसके साथ ही ये स्टेशन उत्तरी राज्यों के लिए दिल्ली से संपर्क जोड़ने वाला स्टेशन है।

इस स्टेशन पर 7 प्लेफॉर्म और 12 पटरियां हैं। टर्मिनल में तीन लाख से अधिक यात्रियों और प्रतिदिन 270 ट्रेनों को संभालने की क्षमता है।

टिकट बुकिंग कार्यालय और काउंटर, विकलांग लोगों के लिए प्रतीक्षालय, आरक्षण हॉल, शौचालय और सामान कार्यालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ साथ विदेशी मुद्रा काउंटर, टच-स्क्रीन इन्क्वारी सिस्टम, एटीएम, फूड प्लाजा, रिटायरिंग रूम एक कम्प्यूटरीकृत टिकट सुविधा और एक बड़ी पाकिर्ंग जैसी सुविधाएं भी हैं।

इस स्टेशन को बनाने का ऐलान पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री नितीश कुमार ने साल 2003 में कर दी थी। इसके बाद दिसंबर 2003 में, उत्तर रेलवे ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन परियोजना के चरण-1 के लिए सलाहकारों को नियुक्त करने के लिए एक निविदा जारी की और काम पूरा होते होते 2009 में उद्घाटन किया गया।

उस समय ये इस दो मंजिला रेलवे स्टेशन के पर तीन प्लैटफार्म, एक कोच रखरखाव यार्ड और शाहिबाबाद जंक्शन के लिए सहायक लाइनें शामिल थीं। इस फेज को पूरा होने में करीब 850 करोड़ रुपए की लागत और पांच साल का समय लगा।

इस रेलवे टर्मिनल को आनंद विहार अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल (विवेकानंद बस टर्मिनल) और नजदीक ही स्थित दिल्ली मैट्रो के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के साथ जोड़ा गया है, इस प्रकार यह दिल्ली के प्रमुख वनस्पॉट परिवहन केंद्र के रूप में परिवर्तित हो गया है।

हालांकि 16 मई 2010 तक नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मचने तक अपनी स्टेशन क्षमता से कम काम करता रहा, लेकिन बाद में इस स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या में इजाफा किया गया। इसके बाद उत्तर रेलवे ने जुलाई के मध्य तक लगभग छह और नियमित ट्रेनों को आनंद विहार में स्थानांतरित करने का फैसला लिया। उसी समय स्टेशन पर 3 से प्लेटफार्मों की संख्या को 7 तक बढ़ा दिया गया।

आज ये रेलवे स्टेश सफाई के मामले में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को भी पीछे छोड़ता है। सफाई को लेकर आनंद विहार टर्मिनल देश में 26वें नंबर पर है और नई दिल्ली 165 वें स्थान पर।

दो साल पहले फिट-इंडिया अभियान के तहत लोगों को फिटनेस के प्रति जागरूक करने के लिए रेल मंत्रालय ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर इस अनूठी स्क्वाट मशीनों को लगवाया था। स्क्वाट मशीन के सामने निर्धारित जगह पर खड़े होकर मशीन पर लगे कैमरे से अपने चेहरे का स्कैन करवाना होता है और उठक-बैठक समयबद्ध पाए जाने पर टिकट मिल जाती है।

मौजूदा स्टेशनों में यात्रियों के बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे ने अतिरिक्त प्रमुख यात्री टर्मिनलों की आवश्यकता की पहचान की है। फिलहाल आनंद विहार टर्मिनल में प्रवेश और निकास के लिए एक ही रास्ता है। पुनर्विकास योजना के तहत प्रवेश और निकास के अलग-अलग रास्ते बनाए जाएंगे।

रेलवे सूत्रों के अनुसार मास्टरप्लान का प्रस्ताव देने के लिए वैश्विक परामर्शदाताओं को आमंत्रित करने के लिए निविदा बनाई जा रही है। रेल अधिकारियों का दावा है कि आने वाले समय में इस स्टेशन पर न सिर्फ यात्रियों के जरूरत की सारी चीजें उपलब्ध होंगी, बल्कि दूर से सभी लोग इसकी खूबसूरती का दीदार कर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। विश्व स्तरीय टर्मिनल है तो यात्रियों को यहां मिलने वाली सुविधाएं भी विश्व स्तरीय होंगी।

इसके लिए पुनर्विकास काम शुरू होने की तिथि से तीन साल में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। एक अनुमान के अनुसार टर्मिनल के विकास पर करीब 240 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

इसके साथ ही इस स्टेशन परिसर में ही रिहायशी सुविधा, थ्री स्टार के साथ बजट होटल, मॉल, कॉमर्शियल के साथ कोचिंग इंस्टीट्यूट एरिया भी विकसित किया जाएगा। कोरोना काल से पहले ही आनंद विहार स्टेशन विकसित करने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया था।

इसके अलावा, आनंद विहार के रेलवे ओवर ब्रिज को और चौड़ा बनाने की योजना बनाई गई है क्योंकि मौजूदा पुल का ढांचा यातायात के संचालन के लिए सक्षम नहीं है। इसके साथ ही सिग्नल-फ्री कॉरिडोर की भी योजना है।

जो पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार को पश्चिमी दिल्ली के जखीरा से जोड़ेगा, पहली बार इसे 2012 में शुरू किया गया था, लेकिन इसके निष्पादन में देरी हुई, मुख्य रूप से रेलवे की आपत्तियों के कारण कॉरिडोर का एक बड़ा हिस्सा रेलवे ट्रैक के साथ चलेगा।

भारतीय रेल के अनुसार आम बजट 2023-24 के मद्देनजर राजधानी दिल्ली में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 13 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें आनंद विहार टर्मिनल भी शामिल है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पूर्वी राज्यों को दिल्ली से जोड़ने वाले रेल टर्मिनल आनंद विहार को वैश्विक स्तर का बनाया जाएगा। इसके लिए एक अनुमान के मुताबिक 240 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।

आनंद विहार रेलवे टर्मिनल (एएनवीटी) का औपचारिक उद्घाटन 19 दिसम्बर, 2009 को किया था। 42 हेक्टेयर में फैले इस टर्मिनल का उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी, और दिल्ली की मुख्मंत्री शीला दीक्षित ने किया था। उत्तर रेलवे का ये टर्मिनल दिल्ली सबसे चार बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है।

दिल्ली के पूर्वी भाग में स्थित, आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन मुख्य रूप से दिल्ली से पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों का संचालन करता है। यहां से पूर्व की ओर उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए चलने वाली रेलगाड़ियों को रवाना किया जाता है।

पहले पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों को यमुना नदी पर बने पुल को पार करना पड़ता था। लंबी दूरी की ट्रेन पहले केवल तीन स्टेशनों से ही चला करती थी। इसमें दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली), नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन ही शमिल थे।

इन स्टेशनों में यात्रियों की इतनी बड़ी भीड़ को संभालने की मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं थी। इसलिए आनंद विहार को अन्य प्रमुख यात्री टर्मिनलों के बोझ को कम करने के लिए बनाया गया था और इसी लिए इसके लिए यमुना के पार वाली जगह को टर्मिनल के लिए चुना गया।

केवल यात्री ही नहीं पूर्वी भारत में पार्सल और सामान आयात व निर्यात करने के लिए भी आज रेलवे इस टर्मिनल पर पूरी तरह से रेलवे पर निर्भर है। इसके साथ ही ये स्टेशन उत्तरी राज्यों के लिए दिल्ली से संपर्क जोड़ने वाला स्टेशन है।

इस स्टेशन पर 7 प्लेफॉर्म और 12 पटरियां हैं। टर्मिनल में तीन लाख से अधिक यात्रियों और प्रतिदिन 270 ट्रेनों को संभालने की क्षमता है।

टिकट बुकिंग कार्यालय और काउंटर, विकलांग लोगों के लिए प्रतीक्षालय, आरक्षण हॉल, शौचालय और सामान कार्यालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ साथ विदेशी मुद्रा काउंटर, टच-स्क्रीन इन्क्वारी सिस्टम, एटीएम, फूड प्लाजा, रिटायरिंग रूम एक कम्प्यूटरीकृत टिकट सुविधा और एक बड़ी पाकिर्ंग जैसी सुविधाएं भी हैं।

इस स्टेशन को बनाने का ऐलान पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री नितीश कुमार ने साल 2003 में कर दी थी। इसके बाद दिसंबर 2003 में, उत्तर रेलवे ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन परियोजना के चरण-1 के लिए सलाहकारों को नियुक्त करने के लिए एक निविदा जारी की और काम पूरा होते होते 2009 में उद्घाटन किया गया।

उस समय ये इस दो मंजिला रेलवे स्टेशन के पर तीन प्लैटफार्म, एक कोच रखरखाव यार्ड और शाहिबाबाद जंक्शन के लिए सहायक लाइनें शामिल थीं। इस फेज को पूरा होने में करीब 850 करोड़ रुपए की लागत और पांच साल का समय लगा।

इस रेलवे टर्मिनल को आनंद विहार अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल (विवेकानंद बस टर्मिनल) और नजदीक ही स्थित दिल्ली मैट्रो के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के साथ जोड़ा गया है, इस प्रकार यह दिल्ली के प्रमुख वनस्पॉट परिवहन केंद्र के रूप में परिवर्तित हो गया है।

हालांकि 16 मई 2010 तक नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मचने तक अपनी स्टेशन क्षमता से कम काम करता रहा, लेकिन बाद में इस स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या में इजाफा किया गया। इसके बाद उत्तर रेलवे ने जुलाई के मध्य तक लगभग छह और नियमित ट्रेनों को आनंद विहार में स्थानांतरित करने का फैसला लिया। उसी समय स्टेशन पर 3 से प्लेटफार्मों की संख्या को 7 तक बढ़ा दिया गया।

आज ये रेलवे स्टेश सफाई के मामले में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को भी पीछे छोड़ता है। सफाई को लेकर आनंद विहार टर्मिनल देश में 26वें नंबर पर है और नई दिल्ली 165 वें स्थान पर।

दो साल पहले फिट-इंडिया अभियान के तहत लोगों को फिटनेस के प्रति जागरूक करने के लिए रेल मंत्रालय ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर इस अनूठी स्क्वाट मशीनों को लगवाया था। स्क्वाट मशीन के सामने निर्धारित जगह पर खड़े होकर मशीन पर लगे कैमरे से अपने चेहरे का स्कैन करवाना होता है और उठक-बैठक समयबद्ध पाए जाने पर टिकट मिल जाती है।

मौजूदा स्टेशनों में यात्रियों के बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे ने अतिरिक्त प्रमुख यात्री टर्मिनलों की आवश्यकता की पहचान की है। फिलहाल आनंद विहार टर्मिनल में प्रवेश और निकास के लिए एक ही रास्ता है। पुनर्विकास योजना के तहत प्रवेश और निकास के अलग-अलग रास्ते बनाए जाएंगे।

रेलवे सूत्रों के अनुसार मास्टरप्लान का प्रस्ताव देने के लिए वैश्विक परामर्शदाताओं को आमंत्रित करने के लिए निविदा बनाई जा रही है। रेल अधिकारियों का दावा है कि आने वाले समय में इस स्टेशन पर न सिर्फ यात्रियों के जरूरत की सारी चीजें उपलब्ध होंगी, बल्कि दूर से सभी लोग इसकी खूबसूरती का दीदार कर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। विश्व स्तरीय टर्मिनल है तो यात्रियों को यहां मिलने वाली सुविधाएं भी विश्व स्तरीय होंगी।

इसके लिए पुनर्विकास काम शुरू होने की तिथि से तीन साल में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। एक अनुमान के अनुसार टर्मिनल के विकास पर करीब 240 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

इसके साथ ही इस स्टेशन परिसर में ही रिहायशी सुविधा, थ्री स्टार के साथ बजट होटल, मॉल, कॉमर्शियल के साथ कोचिंग इंस्टीट्यूट एरिया भी विकसित किया जाएगा। कोरोना काल से पहले ही आनंद विहार स्टेशन विकसित करने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया था।

इसके अलावा, आनंद विहार के रेलवे ओवर ब्रिज को और चौड़ा बनाने की योजना बनाई गई है क्योंकि मौजूदा पुल का ढांचा यातायात के संचालन के लिए सक्षम नहीं है। इसके साथ ही सिग्नल-फ्री कॉरिडोर की भी योजना है।

जो पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार को पश्चिमी दिल्ली के जखीरा से जोड़ेगा, पहली बार इसे 2012 में शुरू किया गया था, लेकिन इसके निष्पादन में देरी हुई, मुख्य रूप से रेलवे की आपत्तियों के कारण कॉरिडोर का एक बड़ा हिस्सा रेलवे ट्रैक के साथ चलेगा।

भारतीय रेल के अनुसार आम बजट 2023-24 के मद्देनजर राजधानी दिल्ली में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 13 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें आनंद विहार टर्मिनल भी शामिल है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पूर्वी राज्यों को दिल्ली से जोड़ने वाले रेल टर्मिनल आनंद विहार को वैश्विक स्तर का बनाया जाएगा। इसके लिए एक अनुमान के मुताबिक 240 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।

आनंद विहार रेलवे टर्मिनल (एएनवीटी) का औपचारिक उद्घाटन 19 दिसम्बर, 2009 को किया था। 42 हेक्टेयर में फैले इस टर्मिनल का उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी, और दिल्ली की मुख्मंत्री शीला दीक्षित ने किया था। उत्तर रेलवे का ये टर्मिनल दिल्ली सबसे चार बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है।

दिल्ली के पूर्वी भाग में स्थित, आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन मुख्य रूप से दिल्ली से पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों का संचालन करता है। यहां से पूर्व की ओर उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए चलने वाली रेलगाड़ियों को रवाना किया जाता है।

पहले पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों को यमुना नदी पर बने पुल को पार करना पड़ता था। लंबी दूरी की ट्रेन पहले केवल तीन स्टेशनों से ही चला करती थी। इसमें दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली), नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन ही शमिल थे।

इन स्टेशनों में यात्रियों की इतनी बड़ी भीड़ को संभालने की मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं थी। इसलिए आनंद विहार को अन्य प्रमुख यात्री टर्मिनलों के बोझ को कम करने के लिए बनाया गया था और इसी लिए इसके लिए यमुना के पार वाली जगह को टर्मिनल के लिए चुना गया।

केवल यात्री ही नहीं पूर्वी भारत में पार्सल और सामान आयात व निर्यात करने के लिए भी आज रेलवे इस टर्मिनल पर पूरी तरह से रेलवे पर निर्भर है। इसके साथ ही ये स्टेशन उत्तरी राज्यों के लिए दिल्ली से संपर्क जोड़ने वाला स्टेशन है।

इस स्टेशन पर 7 प्लेफॉर्म और 12 पटरियां हैं। टर्मिनल में तीन लाख से अधिक यात्रियों और प्रतिदिन 270 ट्रेनों को संभालने की क्षमता है।

टिकट बुकिंग कार्यालय और काउंटर, विकलांग लोगों के लिए प्रतीक्षालय, आरक्षण हॉल, शौचालय और सामान कार्यालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ साथ विदेशी मुद्रा काउंटर, टच-स्क्रीन इन्क्वारी सिस्टम, एटीएम, फूड प्लाजा, रिटायरिंग रूम एक कम्प्यूटरीकृत टिकट सुविधा और एक बड़ी पाकिर्ंग जैसी सुविधाएं भी हैं।

इस स्टेशन को बनाने का ऐलान पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री नितीश कुमार ने साल 2003 में कर दी थी। इसके बाद दिसंबर 2003 में, उत्तर रेलवे ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन परियोजना के चरण-1 के लिए सलाहकारों को नियुक्त करने के लिए एक निविदा जारी की और काम पूरा होते होते 2009 में उद्घाटन किया गया।

उस समय ये इस दो मंजिला रेलवे स्टेशन के पर तीन प्लैटफार्म, एक कोच रखरखाव यार्ड और शाहिबाबाद जंक्शन के लिए सहायक लाइनें शामिल थीं। इस फेज को पूरा होने में करीब 850 करोड़ रुपए की लागत और पांच साल का समय लगा।

इस रेलवे टर्मिनल को आनंद विहार अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल (विवेकानंद बस टर्मिनल) और नजदीक ही स्थित दिल्ली मैट्रो के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के साथ जोड़ा गया है, इस प्रकार यह दिल्ली के प्रमुख वनस्पॉट परिवहन केंद्र के रूप में परिवर्तित हो गया है।

हालांकि 16 मई 2010 तक नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मचने तक अपनी स्टेशन क्षमता से कम काम करता रहा, लेकिन बाद में इस स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या में इजाफा किया गया। इसके बाद उत्तर रेलवे ने जुलाई के मध्य तक लगभग छह और नियमित ट्रेनों को आनंद विहार में स्थानांतरित करने का फैसला लिया। उसी समय स्टेशन पर 3 से प्लेटफार्मों की संख्या को 7 तक बढ़ा दिया गया।

आज ये रेलवे स्टेश सफाई के मामले में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को भी पीछे छोड़ता है। सफाई को लेकर आनंद विहार टर्मिनल देश में 26वें नंबर पर है और नई दिल्ली 165 वें स्थान पर।

दो साल पहले फिट-इंडिया अभियान के तहत लोगों को फिटनेस के प्रति जागरूक करने के लिए रेल मंत्रालय ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर इस अनूठी स्क्वाट मशीनों को लगवाया था। स्क्वाट मशीन के सामने निर्धारित जगह पर खड़े होकर मशीन पर लगे कैमरे से अपने चेहरे का स्कैन करवाना होता है और उठक-बैठक समयबद्ध पाए जाने पर टिकट मिल जाती है।

मौजूदा स्टेशनों में यात्रियों के बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे ने अतिरिक्त प्रमुख यात्री टर्मिनलों की आवश्यकता की पहचान की है। फिलहाल आनंद विहार टर्मिनल में प्रवेश और निकास के लिए एक ही रास्ता है। पुनर्विकास योजना के तहत प्रवेश और निकास के अलग-अलग रास्ते बनाए जाएंगे।

रेलवे सूत्रों के अनुसार मास्टरप्लान का प्रस्ताव देने के लिए वैश्विक परामर्शदाताओं को आमंत्रित करने के लिए निविदा बनाई जा रही है। रेल अधिकारियों का दावा है कि आने वाले समय में इस स्टेशन पर न सिर्फ यात्रियों के जरूरत की सारी चीजें उपलब्ध होंगी, बल्कि दूर से सभी लोग इसकी खूबसूरती का दीदार कर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। विश्व स्तरीय टर्मिनल है तो यात्रियों को यहां मिलने वाली सुविधाएं भी विश्व स्तरीय होंगी।

इसके लिए पुनर्विकास काम शुरू होने की तिथि से तीन साल में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। एक अनुमान के अनुसार टर्मिनल के विकास पर करीब 240 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

इसके साथ ही इस स्टेशन परिसर में ही रिहायशी सुविधा, थ्री स्टार के साथ बजट होटल, मॉल, कॉमर्शियल के साथ कोचिंग इंस्टीट्यूट एरिया भी विकसित किया जाएगा। कोरोना काल से पहले ही आनंद विहार स्टेशन विकसित करने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया था।

इसके अलावा, आनंद विहार के रेलवे ओवर ब्रिज को और चौड़ा बनाने की योजना बनाई गई है क्योंकि मौजूदा पुल का ढांचा यातायात के संचालन के लिए सक्षम नहीं है। इसके साथ ही सिग्नल-फ्री कॉरिडोर की भी योजना है।

जो पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार को पश्चिमी दिल्ली के जखीरा से जोड़ेगा, पहली बार इसे 2012 में शुरू किया गया था, लेकिन इसके निष्पादन में देरी हुई, मुख्य रूप से रेलवे की आपत्तियों के कारण कॉरिडोर का एक बड़ा हिस्सा रेलवे ट्रैक के साथ चलेगा।

भारतीय रेल के अनुसार आम बजट 2023-24 के मद्देनजर राजधानी दिल्ली में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 13 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें आनंद विहार टर्मिनल भी शामिल है।

–आईएएनएस

पीटीके/एसकेपी

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नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पूर्वी राज्यों को दिल्ली से जोड़ने वाले रेल टर्मिनल आनंद विहार को वैश्विक स्तर का बनाया जाएगा। इसके लिए एक अनुमान के मुताबिक 240 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।

आनंद विहार रेलवे टर्मिनल (एएनवीटी) का औपचारिक उद्घाटन 19 दिसम्बर, 2009 को किया था। 42 हेक्टेयर में फैले इस टर्मिनल का उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी, और दिल्ली की मुख्मंत्री शीला दीक्षित ने किया था। उत्तर रेलवे का ये टर्मिनल दिल्ली सबसे चार बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है।

दिल्ली के पूर्वी भाग में स्थित, आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन मुख्य रूप से दिल्ली से पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों का संचालन करता है। यहां से पूर्व की ओर उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए चलने वाली रेलगाड़ियों को रवाना किया जाता है।

पहले पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों को यमुना नदी पर बने पुल को पार करना पड़ता था। लंबी दूरी की ट्रेन पहले केवल तीन स्टेशनों से ही चला करती थी। इसमें दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली), नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन ही शमिल थे।

इन स्टेशनों में यात्रियों की इतनी बड़ी भीड़ को संभालने की मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं थी। इसलिए आनंद विहार को अन्य प्रमुख यात्री टर्मिनलों के बोझ को कम करने के लिए बनाया गया था और इसी लिए इसके लिए यमुना के पार वाली जगह को टर्मिनल के लिए चुना गया।

केवल यात्री ही नहीं पूर्वी भारत में पार्सल और सामान आयात व निर्यात करने के लिए भी आज रेलवे इस टर्मिनल पर पूरी तरह से रेलवे पर निर्भर है। इसके साथ ही ये स्टेशन उत्तरी राज्यों के लिए दिल्ली से संपर्क जोड़ने वाला स्टेशन है।

इस स्टेशन पर 7 प्लेफॉर्म और 12 पटरियां हैं। टर्मिनल में तीन लाख से अधिक यात्रियों और प्रतिदिन 270 ट्रेनों को संभालने की क्षमता है।

टिकट बुकिंग कार्यालय और काउंटर, विकलांग लोगों के लिए प्रतीक्षालय, आरक्षण हॉल, शौचालय और सामान कार्यालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ साथ विदेशी मुद्रा काउंटर, टच-स्क्रीन इन्क्वारी सिस्टम, एटीएम, फूड प्लाजा, रिटायरिंग रूम एक कम्प्यूटरीकृत टिकट सुविधा और एक बड़ी पाकिर्ंग जैसी सुविधाएं भी हैं।

इस स्टेशन को बनाने का ऐलान पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री नितीश कुमार ने साल 2003 में कर दी थी। इसके बाद दिसंबर 2003 में, उत्तर रेलवे ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन परियोजना के चरण-1 के लिए सलाहकारों को नियुक्त करने के लिए एक निविदा जारी की और काम पूरा होते होते 2009 में उद्घाटन किया गया।

उस समय ये इस दो मंजिला रेलवे स्टेशन के पर तीन प्लैटफार्म, एक कोच रखरखाव यार्ड और शाहिबाबाद जंक्शन के लिए सहायक लाइनें शामिल थीं। इस फेज को पूरा होने में करीब 850 करोड़ रुपए की लागत और पांच साल का समय लगा।

इस रेलवे टर्मिनल को आनंद विहार अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल (विवेकानंद बस टर्मिनल) और नजदीक ही स्थित दिल्ली मैट्रो के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के साथ जोड़ा गया है, इस प्रकार यह दिल्ली के प्रमुख वनस्पॉट परिवहन केंद्र के रूप में परिवर्तित हो गया है।

हालांकि 16 मई 2010 तक नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मचने तक अपनी स्टेशन क्षमता से कम काम करता रहा, लेकिन बाद में इस स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या में इजाफा किया गया। इसके बाद उत्तर रेलवे ने जुलाई के मध्य तक लगभग छह और नियमित ट्रेनों को आनंद विहार में स्थानांतरित करने का फैसला लिया। उसी समय स्टेशन पर 3 से प्लेटफार्मों की संख्या को 7 तक बढ़ा दिया गया।

आज ये रेलवे स्टेश सफाई के मामले में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को भी पीछे छोड़ता है। सफाई को लेकर आनंद विहार टर्मिनल देश में 26वें नंबर पर है और नई दिल्ली 165 वें स्थान पर।

दो साल पहले फिट-इंडिया अभियान के तहत लोगों को फिटनेस के प्रति जागरूक करने के लिए रेल मंत्रालय ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर इस अनूठी स्क्वाट मशीनों को लगवाया था। स्क्वाट मशीन के सामने निर्धारित जगह पर खड़े होकर मशीन पर लगे कैमरे से अपने चेहरे का स्कैन करवाना होता है और उठक-बैठक समयबद्ध पाए जाने पर टिकट मिल जाती है।

मौजूदा स्टेशनों में यात्रियों के बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे ने अतिरिक्त प्रमुख यात्री टर्मिनलों की आवश्यकता की पहचान की है। फिलहाल आनंद विहार टर्मिनल में प्रवेश और निकास के लिए एक ही रास्ता है। पुनर्विकास योजना के तहत प्रवेश और निकास के अलग-अलग रास्ते बनाए जाएंगे।

रेलवे सूत्रों के अनुसार मास्टरप्लान का प्रस्ताव देने के लिए वैश्विक परामर्शदाताओं को आमंत्रित करने के लिए निविदा बनाई जा रही है। रेल अधिकारियों का दावा है कि आने वाले समय में इस स्टेशन पर न सिर्फ यात्रियों के जरूरत की सारी चीजें उपलब्ध होंगी, बल्कि दूर से सभी लोग इसकी खूबसूरती का दीदार कर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। विश्व स्तरीय टर्मिनल है तो यात्रियों को यहां मिलने वाली सुविधाएं भी विश्व स्तरीय होंगी।

इसके लिए पुनर्विकास काम शुरू होने की तिथि से तीन साल में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। एक अनुमान के अनुसार टर्मिनल के विकास पर करीब 240 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

इसके साथ ही इस स्टेशन परिसर में ही रिहायशी सुविधा, थ्री स्टार के साथ बजट होटल, मॉल, कॉमर्शियल के साथ कोचिंग इंस्टीट्यूट एरिया भी विकसित किया जाएगा। कोरोना काल से पहले ही आनंद विहार स्टेशन विकसित करने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया था।

इसके अलावा, आनंद विहार के रेलवे ओवर ब्रिज को और चौड़ा बनाने की योजना बनाई गई है क्योंकि मौजूदा पुल का ढांचा यातायात के संचालन के लिए सक्षम नहीं है। इसके साथ ही सिग्नल-फ्री कॉरिडोर की भी योजना है।

जो पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार को पश्चिमी दिल्ली के जखीरा से जोड़ेगा, पहली बार इसे 2012 में शुरू किया गया था, लेकिन इसके निष्पादन में देरी हुई, मुख्य रूप से रेलवे की आपत्तियों के कारण कॉरिडोर का एक बड़ा हिस्सा रेलवे ट्रैक के साथ चलेगा।

भारतीय रेल के अनुसार आम बजट 2023-24 के मद्देनजर राजधानी दिल्ली में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 13 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें आनंद विहार टर्मिनल भी शामिल है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पूर्वी राज्यों को दिल्ली से जोड़ने वाले रेल टर्मिनल आनंद विहार को वैश्विक स्तर का बनाया जाएगा। इसके लिए एक अनुमान के मुताबिक 240 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।

आनंद विहार रेलवे टर्मिनल (एएनवीटी) का औपचारिक उद्घाटन 19 दिसम्बर, 2009 को किया था। 42 हेक्टेयर में फैले इस टर्मिनल का उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी, और दिल्ली की मुख्मंत्री शीला दीक्षित ने किया था। उत्तर रेलवे का ये टर्मिनल दिल्ली सबसे चार बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है।

दिल्ली के पूर्वी भाग में स्थित, आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन मुख्य रूप से दिल्ली से पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों का संचालन करता है। यहां से पूर्व की ओर उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए चलने वाली रेलगाड़ियों को रवाना किया जाता है।

पहले पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों को यमुना नदी पर बने पुल को पार करना पड़ता था। लंबी दूरी की ट्रेन पहले केवल तीन स्टेशनों से ही चला करती थी। इसमें दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली), नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन ही शमिल थे।

इन स्टेशनों में यात्रियों की इतनी बड़ी भीड़ को संभालने की मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं थी। इसलिए आनंद विहार को अन्य प्रमुख यात्री टर्मिनलों के बोझ को कम करने के लिए बनाया गया था और इसी लिए इसके लिए यमुना के पार वाली जगह को टर्मिनल के लिए चुना गया।

केवल यात्री ही नहीं पूर्वी भारत में पार्सल और सामान आयात व निर्यात करने के लिए भी आज रेलवे इस टर्मिनल पर पूरी तरह से रेलवे पर निर्भर है। इसके साथ ही ये स्टेशन उत्तरी राज्यों के लिए दिल्ली से संपर्क जोड़ने वाला स्टेशन है।

इस स्टेशन पर 7 प्लेफॉर्म और 12 पटरियां हैं। टर्मिनल में तीन लाख से अधिक यात्रियों और प्रतिदिन 270 ट्रेनों को संभालने की क्षमता है।

टिकट बुकिंग कार्यालय और काउंटर, विकलांग लोगों के लिए प्रतीक्षालय, आरक्षण हॉल, शौचालय और सामान कार्यालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ साथ विदेशी मुद्रा काउंटर, टच-स्क्रीन इन्क्वारी सिस्टम, एटीएम, फूड प्लाजा, रिटायरिंग रूम एक कम्प्यूटरीकृत टिकट सुविधा और एक बड़ी पाकिर्ंग जैसी सुविधाएं भी हैं।

इस स्टेशन को बनाने का ऐलान पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री नितीश कुमार ने साल 2003 में कर दी थी। इसके बाद दिसंबर 2003 में, उत्तर रेलवे ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन परियोजना के चरण-1 के लिए सलाहकारों को नियुक्त करने के लिए एक निविदा जारी की और काम पूरा होते होते 2009 में उद्घाटन किया गया।

उस समय ये इस दो मंजिला रेलवे स्टेशन के पर तीन प्लैटफार्म, एक कोच रखरखाव यार्ड और शाहिबाबाद जंक्शन के लिए सहायक लाइनें शामिल थीं। इस फेज को पूरा होने में करीब 850 करोड़ रुपए की लागत और पांच साल का समय लगा।

इस रेलवे टर्मिनल को आनंद विहार अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल (विवेकानंद बस टर्मिनल) और नजदीक ही स्थित दिल्ली मैट्रो के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के साथ जोड़ा गया है, इस प्रकार यह दिल्ली के प्रमुख वनस्पॉट परिवहन केंद्र के रूप में परिवर्तित हो गया है।

हालांकि 16 मई 2010 तक नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मचने तक अपनी स्टेशन क्षमता से कम काम करता रहा, लेकिन बाद में इस स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या में इजाफा किया गया। इसके बाद उत्तर रेलवे ने जुलाई के मध्य तक लगभग छह और नियमित ट्रेनों को आनंद विहार में स्थानांतरित करने का फैसला लिया। उसी समय स्टेशन पर 3 से प्लेटफार्मों की संख्या को 7 तक बढ़ा दिया गया।

आज ये रेलवे स्टेश सफाई के मामले में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को भी पीछे छोड़ता है। सफाई को लेकर आनंद विहार टर्मिनल देश में 26वें नंबर पर है और नई दिल्ली 165 वें स्थान पर।

दो साल पहले फिट-इंडिया अभियान के तहत लोगों को फिटनेस के प्रति जागरूक करने के लिए रेल मंत्रालय ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर इस अनूठी स्क्वाट मशीनों को लगवाया था। स्क्वाट मशीन के सामने निर्धारित जगह पर खड़े होकर मशीन पर लगे कैमरे से अपने चेहरे का स्कैन करवाना होता है और उठक-बैठक समयबद्ध पाए जाने पर टिकट मिल जाती है।

मौजूदा स्टेशनों में यात्रियों के बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे ने अतिरिक्त प्रमुख यात्री टर्मिनलों की आवश्यकता की पहचान की है। फिलहाल आनंद विहार टर्मिनल में प्रवेश और निकास के लिए एक ही रास्ता है। पुनर्विकास योजना के तहत प्रवेश और निकास के अलग-अलग रास्ते बनाए जाएंगे।

रेलवे सूत्रों के अनुसार मास्टरप्लान का प्रस्ताव देने के लिए वैश्विक परामर्शदाताओं को आमंत्रित करने के लिए निविदा बनाई जा रही है। रेल अधिकारियों का दावा है कि आने वाले समय में इस स्टेशन पर न सिर्फ यात्रियों के जरूरत की सारी चीजें उपलब्ध होंगी, बल्कि दूर से सभी लोग इसकी खूबसूरती का दीदार कर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। विश्व स्तरीय टर्मिनल है तो यात्रियों को यहां मिलने वाली सुविधाएं भी विश्व स्तरीय होंगी।

इसके लिए पुनर्विकास काम शुरू होने की तिथि से तीन साल में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। एक अनुमान के अनुसार टर्मिनल के विकास पर करीब 240 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

इसके साथ ही इस स्टेशन परिसर में ही रिहायशी सुविधा, थ्री स्टार के साथ बजट होटल, मॉल, कॉमर्शियल के साथ कोचिंग इंस्टीट्यूट एरिया भी विकसित किया जाएगा। कोरोना काल से पहले ही आनंद विहार स्टेशन विकसित करने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया था।

इसके अलावा, आनंद विहार के रेलवे ओवर ब्रिज को और चौड़ा बनाने की योजना बनाई गई है क्योंकि मौजूदा पुल का ढांचा यातायात के संचालन के लिए सक्षम नहीं है। इसके साथ ही सिग्नल-फ्री कॉरिडोर की भी योजना है।

जो पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार को पश्चिमी दिल्ली के जखीरा से जोड़ेगा, पहली बार इसे 2012 में शुरू किया गया था, लेकिन इसके निष्पादन में देरी हुई, मुख्य रूप से रेलवे की आपत्तियों के कारण कॉरिडोर का एक बड़ा हिस्सा रेलवे ट्रैक के साथ चलेगा।

भारतीय रेल के अनुसार आम बजट 2023-24 के मद्देनजर राजधानी दिल्ली में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 13 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें आनंद विहार टर्मिनल भी शामिल है।

–आईएएनएस

पीटीके/एसकेपी

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नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पूर्वी राज्यों को दिल्ली से जोड़ने वाले रेल टर्मिनल आनंद विहार को वैश्विक स्तर का बनाया जाएगा। इसके लिए एक अनुमान के मुताबिक 240 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।

आनंद विहार रेलवे टर्मिनल (एएनवीटी) का औपचारिक उद्घाटन 19 दिसम्बर, 2009 को किया था। 42 हेक्टेयर में फैले इस टर्मिनल का उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी, और दिल्ली की मुख्मंत्री शीला दीक्षित ने किया था। उत्तर रेलवे का ये टर्मिनल दिल्ली सबसे चार बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है।

दिल्ली के पूर्वी भाग में स्थित, आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन मुख्य रूप से दिल्ली से पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों का संचालन करता है। यहां से पूर्व की ओर उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए चलने वाली रेलगाड़ियों को रवाना किया जाता है।

पहले पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों को यमुना नदी पर बने पुल को पार करना पड़ता था। लंबी दूरी की ट्रेन पहले केवल तीन स्टेशनों से ही चला करती थी। इसमें दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली), नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन ही शमिल थे।

इन स्टेशनों में यात्रियों की इतनी बड़ी भीड़ को संभालने की मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं थी। इसलिए आनंद विहार को अन्य प्रमुख यात्री टर्मिनलों के बोझ को कम करने के लिए बनाया गया था और इसी लिए इसके लिए यमुना के पार वाली जगह को टर्मिनल के लिए चुना गया।

केवल यात्री ही नहीं पूर्वी भारत में पार्सल और सामान आयात व निर्यात करने के लिए भी आज रेलवे इस टर्मिनल पर पूरी तरह से रेलवे पर निर्भर है। इसके साथ ही ये स्टेशन उत्तरी राज्यों के लिए दिल्ली से संपर्क जोड़ने वाला स्टेशन है।

इस स्टेशन पर 7 प्लेफॉर्म और 12 पटरियां हैं। टर्मिनल में तीन लाख से अधिक यात्रियों और प्रतिदिन 270 ट्रेनों को संभालने की क्षमता है।

टिकट बुकिंग कार्यालय और काउंटर, विकलांग लोगों के लिए प्रतीक्षालय, आरक्षण हॉल, शौचालय और सामान कार्यालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ साथ विदेशी मुद्रा काउंटर, टच-स्क्रीन इन्क्वारी सिस्टम, एटीएम, फूड प्लाजा, रिटायरिंग रूम एक कम्प्यूटरीकृत टिकट सुविधा और एक बड़ी पाकिर्ंग जैसी सुविधाएं भी हैं।

इस स्टेशन को बनाने का ऐलान पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री नितीश कुमार ने साल 2003 में कर दी थी। इसके बाद दिसंबर 2003 में, उत्तर रेलवे ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन परियोजना के चरण-1 के लिए सलाहकारों को नियुक्त करने के लिए एक निविदा जारी की और काम पूरा होते होते 2009 में उद्घाटन किया गया।

उस समय ये इस दो मंजिला रेलवे स्टेशन के पर तीन प्लैटफार्म, एक कोच रखरखाव यार्ड और शाहिबाबाद जंक्शन के लिए सहायक लाइनें शामिल थीं। इस फेज को पूरा होने में करीब 850 करोड़ रुपए की लागत और पांच साल का समय लगा।

इस रेलवे टर्मिनल को आनंद विहार अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल (विवेकानंद बस टर्मिनल) और नजदीक ही स्थित दिल्ली मैट्रो के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के साथ जोड़ा गया है, इस प्रकार यह दिल्ली के प्रमुख वनस्पॉट परिवहन केंद्र के रूप में परिवर्तित हो गया है।

हालांकि 16 मई 2010 तक नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मचने तक अपनी स्टेशन क्षमता से कम काम करता रहा, लेकिन बाद में इस स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या में इजाफा किया गया। इसके बाद उत्तर रेलवे ने जुलाई के मध्य तक लगभग छह और नियमित ट्रेनों को आनंद विहार में स्थानांतरित करने का फैसला लिया। उसी समय स्टेशन पर 3 से प्लेटफार्मों की संख्या को 7 तक बढ़ा दिया गया।

आज ये रेलवे स्टेश सफाई के मामले में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को भी पीछे छोड़ता है। सफाई को लेकर आनंद विहार टर्मिनल देश में 26वें नंबर पर है और नई दिल्ली 165 वें स्थान पर।

दो साल पहले फिट-इंडिया अभियान के तहत लोगों को फिटनेस के प्रति जागरूक करने के लिए रेल मंत्रालय ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर इस अनूठी स्क्वाट मशीनों को लगवाया था। स्क्वाट मशीन के सामने निर्धारित जगह पर खड़े होकर मशीन पर लगे कैमरे से अपने चेहरे का स्कैन करवाना होता है और उठक-बैठक समयबद्ध पाए जाने पर टिकट मिल जाती है।

मौजूदा स्टेशनों में यात्रियों के बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे ने अतिरिक्त प्रमुख यात्री टर्मिनलों की आवश्यकता की पहचान की है। फिलहाल आनंद विहार टर्मिनल में प्रवेश और निकास के लिए एक ही रास्ता है। पुनर्विकास योजना के तहत प्रवेश और निकास के अलग-अलग रास्ते बनाए जाएंगे।

रेलवे सूत्रों के अनुसार मास्टरप्लान का प्रस्ताव देने के लिए वैश्विक परामर्शदाताओं को आमंत्रित करने के लिए निविदा बनाई जा रही है। रेल अधिकारियों का दावा है कि आने वाले समय में इस स्टेशन पर न सिर्फ यात्रियों के जरूरत की सारी चीजें उपलब्ध होंगी, बल्कि दूर से सभी लोग इसकी खूबसूरती का दीदार कर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। विश्व स्तरीय टर्मिनल है तो यात्रियों को यहां मिलने वाली सुविधाएं भी विश्व स्तरीय होंगी।

इसके लिए पुनर्विकास काम शुरू होने की तिथि से तीन साल में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। एक अनुमान के अनुसार टर्मिनल के विकास पर करीब 240 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

इसके साथ ही इस स्टेशन परिसर में ही रिहायशी सुविधा, थ्री स्टार के साथ बजट होटल, मॉल, कॉमर्शियल के साथ कोचिंग इंस्टीट्यूट एरिया भी विकसित किया जाएगा। कोरोना काल से पहले ही आनंद विहार स्टेशन विकसित करने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया था।

इसके अलावा, आनंद विहार के रेलवे ओवर ब्रिज को और चौड़ा बनाने की योजना बनाई गई है क्योंकि मौजूदा पुल का ढांचा यातायात के संचालन के लिए सक्षम नहीं है। इसके साथ ही सिग्नल-फ्री कॉरिडोर की भी योजना है।

जो पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार को पश्चिमी दिल्ली के जखीरा से जोड़ेगा, पहली बार इसे 2012 में शुरू किया गया था, लेकिन इसके निष्पादन में देरी हुई, मुख्य रूप से रेलवे की आपत्तियों के कारण कॉरिडोर का एक बड़ा हिस्सा रेलवे ट्रैक के साथ चलेगा।

भारतीय रेल के अनुसार आम बजट 2023-24 के मद्देनजर राजधानी दिल्ली में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 13 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें आनंद विहार टर्मिनल भी शामिल है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पूर्वी राज्यों को दिल्ली से जोड़ने वाले रेल टर्मिनल आनंद विहार को वैश्विक स्तर का बनाया जाएगा। इसके लिए एक अनुमान के मुताबिक 240 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।

आनंद विहार रेलवे टर्मिनल (एएनवीटी) का औपचारिक उद्घाटन 19 दिसम्बर, 2009 को किया था। 42 हेक्टेयर में फैले इस टर्मिनल का उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी, और दिल्ली की मुख्मंत्री शीला दीक्षित ने किया था। उत्तर रेलवे का ये टर्मिनल दिल्ली सबसे चार बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है।

दिल्ली के पूर्वी भाग में स्थित, आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन मुख्य रूप से दिल्ली से पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों का संचालन करता है। यहां से पूर्व की ओर उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए चलने वाली रेलगाड़ियों को रवाना किया जाता है।

पहले पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनों को यमुना नदी पर बने पुल को पार करना पड़ता था। लंबी दूरी की ट्रेन पहले केवल तीन स्टेशनों से ही चला करती थी। इसमें दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली), नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन ही शमिल थे।

इन स्टेशनों में यात्रियों की इतनी बड़ी भीड़ को संभालने की मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं थी। इसलिए आनंद विहार को अन्य प्रमुख यात्री टर्मिनलों के बोझ को कम करने के लिए बनाया गया था और इसी लिए इसके लिए यमुना के पार वाली जगह को टर्मिनल के लिए चुना गया।

केवल यात्री ही नहीं पूर्वी भारत में पार्सल और सामान आयात व निर्यात करने के लिए भी आज रेलवे इस टर्मिनल पर पूरी तरह से रेलवे पर निर्भर है। इसके साथ ही ये स्टेशन उत्तरी राज्यों के लिए दिल्ली से संपर्क जोड़ने वाला स्टेशन है।

इस स्टेशन पर 7 प्लेफॉर्म और 12 पटरियां हैं। टर्मिनल में तीन लाख से अधिक यात्रियों और प्रतिदिन 270 ट्रेनों को संभालने की क्षमता है।

टिकट बुकिंग कार्यालय और काउंटर, विकलांग लोगों के लिए प्रतीक्षालय, आरक्षण हॉल, शौचालय और सामान कार्यालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ साथ विदेशी मुद्रा काउंटर, टच-स्क्रीन इन्क्वारी सिस्टम, एटीएम, फूड प्लाजा, रिटायरिंग रूम एक कम्प्यूटरीकृत टिकट सुविधा और एक बड़ी पाकिर्ंग जैसी सुविधाएं भी हैं।

इस स्टेशन को बनाने का ऐलान पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री नितीश कुमार ने साल 2003 में कर दी थी। इसके बाद दिसंबर 2003 में, उत्तर रेलवे ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन परियोजना के चरण-1 के लिए सलाहकारों को नियुक्त करने के लिए एक निविदा जारी की और काम पूरा होते होते 2009 में उद्घाटन किया गया।

उस समय ये इस दो मंजिला रेलवे स्टेशन के पर तीन प्लैटफार्म, एक कोच रखरखाव यार्ड और शाहिबाबाद जंक्शन के लिए सहायक लाइनें शामिल थीं। इस फेज को पूरा होने में करीब 850 करोड़ रुपए की लागत और पांच साल का समय लगा।

इस रेलवे टर्मिनल को आनंद विहार अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल (विवेकानंद बस टर्मिनल) और नजदीक ही स्थित दिल्ली मैट्रो के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के साथ जोड़ा गया है, इस प्रकार यह दिल्ली के प्रमुख वनस्पॉट परिवहन केंद्र के रूप में परिवर्तित हो गया है।

हालांकि 16 मई 2010 तक नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मचने तक अपनी स्टेशन क्षमता से कम काम करता रहा, लेकिन बाद में इस स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या में इजाफा किया गया। इसके बाद उत्तर रेलवे ने जुलाई के मध्य तक लगभग छह और नियमित ट्रेनों को आनंद विहार में स्थानांतरित करने का फैसला लिया। उसी समय स्टेशन पर 3 से प्लेटफार्मों की संख्या को 7 तक बढ़ा दिया गया।

आज ये रेलवे स्टेश सफाई के मामले में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को भी पीछे छोड़ता है। सफाई को लेकर आनंद विहार टर्मिनल देश में 26वें नंबर पर है और नई दिल्ली 165 वें स्थान पर।

दो साल पहले फिट-इंडिया अभियान के तहत लोगों को फिटनेस के प्रति जागरूक करने के लिए रेल मंत्रालय ने आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर इस अनूठी स्क्वाट मशीनों को लगवाया था। स्क्वाट मशीन के सामने निर्धारित जगह पर खड़े होकर मशीन पर लगे कैमरे से अपने चेहरे का स्कैन करवाना होता है और उठक-बैठक समयबद्ध पाए जाने पर टिकट मिल जाती है।

मौजूदा स्टेशनों में यात्रियों के बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे ने अतिरिक्त प्रमुख यात्री टर्मिनलों की आवश्यकता की पहचान की है। फिलहाल आनंद विहार टर्मिनल में प्रवेश और निकास के लिए एक ही रास्ता है। पुनर्विकास योजना के तहत प्रवेश और निकास के अलग-अलग रास्ते बनाए जाएंगे।

रेलवे सूत्रों के अनुसार मास्टरप्लान का प्रस्ताव देने के लिए वैश्विक परामर्शदाताओं को आमंत्रित करने के लिए निविदा बनाई जा रही है। रेल अधिकारियों का दावा है कि आने वाले समय में इस स्टेशन पर न सिर्फ यात्रियों के जरूरत की सारी चीजें उपलब्ध होंगी, बल्कि दूर से सभी लोग इसकी खूबसूरती का दीदार कर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। विश्व स्तरीय टर्मिनल है तो यात्रियों को यहां मिलने वाली सुविधाएं भी विश्व स्तरीय होंगी।

इसके लिए पुनर्विकास काम शुरू होने की तिथि से तीन साल में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। एक अनुमान के अनुसार टर्मिनल के विकास पर करीब 240 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

इसके साथ ही इस स्टेशन परिसर में ही रिहायशी सुविधा, थ्री स्टार के साथ बजट होटल, मॉल, कॉमर्शियल के साथ कोचिंग इंस्टीट्यूट एरिया भी विकसित किया जाएगा। कोरोना काल से पहले ही आनंद विहार स्टेशन विकसित करने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया था।

इसके अलावा, आनंद विहार के रेलवे ओवर ब्रिज को और चौड़ा बनाने की योजना बनाई गई है क्योंकि मौजूदा पुल का ढांचा यातायात के संचालन के लिए सक्षम नहीं है। इसके साथ ही सिग्नल-फ्री कॉरिडोर की भी योजना है।

जो पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार को पश्चिमी दिल्ली के जखीरा से जोड़ेगा, पहली बार इसे 2012 में शुरू किया गया था, लेकिन इसके निष्पादन में देरी हुई, मुख्य रूप से रेलवे की आपत्तियों के कारण कॉरिडोर का एक बड़ा हिस्सा रेलवे ट्रैक के साथ चलेगा।

भारतीय रेल के अनुसार आम बजट 2023-24 के मद्देनजर राजधानी दिल्ली में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 13 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें आनंद विहार टर्मिनल भी शामिल है।

–आईएएनएस

पीटीके/एसकेपी

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