नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़े लीडर्स वैश्विक स्तर पर नियमों में बदलाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में जरूरी दवाओं के साथ जांच और टीकों तक सभी की आसान पहुंच को लेकर विशेष कदम उठा सकते हैं।
जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
–आईएएनएस
एमकेएस/जीकेटी
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नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़े लीडर्स वैश्विक स्तर पर नियमों में बदलाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में जरूरी दवाओं के साथ जांच और टीकों तक सभी की आसान पहुंच को लेकर विशेष कदम उठा सकते हैं।
जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
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इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़े लीडर्स वैश्विक स्तर पर नियमों में बदलाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में जरूरी दवाओं के साथ जांच और टीकों तक सभी की आसान पहुंच को लेकर विशेष कदम उठा सकते हैं।
जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़े लीडर्स वैश्विक स्तर पर नियमों में बदलाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में जरूरी दवाओं के साथ जांच और टीकों तक सभी की आसान पहुंच को लेकर विशेष कदम उठा सकते हैं।
जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
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जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
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इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
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इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़े लीडर्स वैश्विक स्तर पर नियमों में बदलाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में जरूरी दवाओं के साथ जांच और टीकों तक सभी की आसान पहुंच को लेकर विशेष कदम उठा सकते हैं।
जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
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इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़े लीडर्स वैश्विक स्तर पर नियमों में बदलाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में जरूरी दवाओं के साथ जांच और टीकों तक सभी की आसान पहुंच को लेकर विशेष कदम उठा सकते हैं।
जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़े लीडर्स वैश्विक स्तर पर नियमों में बदलाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में जरूरी दवाओं के साथ जांच और टीकों तक सभी की आसान पहुंच को लेकर विशेष कदम उठा सकते हैं।
जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़े लीडर्स वैश्विक स्तर पर नियमों में बदलाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में जरूरी दवाओं के साथ जांच और टीकों तक सभी की आसान पहुंच को लेकर विशेष कदम उठा सकते हैं।
जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़े लीडर्स वैश्विक स्तर पर नियमों में बदलाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में जरूरी दवाओं के साथ जांच और टीकों तक सभी की आसान पहुंच को लेकर विशेष कदम उठा सकते हैं।
जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।
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जॉर्जटाउन ग्लोबल हेल्थ लॉ विशेषज्ञ सैम हलाबी जेडी और मेडिकल छात्र जॉर्ज ओ’हारा ने उन कदमों की रूपरेखा तैयार की है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित उनकी सिफारिशें राष्ट्रीय नियामक निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बारे में भी बात करती है।
वर्तमान में चिकित्सा उत्पादों पर विनियामक प्राधिकरण उच्च आय वाले देशों पर केंद्रित है, जहां अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी एजेंसियां अनुमोदन प्रक्रिया का नेतृत्व करती हैं। इसके कारण आपातकालीन स्थितियों के दौरान आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण में देरी और अड़चनें आई हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के समय हुआ।
विश्लेषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केवल कुछ ही राष्ट्रीय नियामक संस्थाएं, मुख्य रूप से उच्च आय वाले देशों में, उच्च प्रदर्शन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं। डब्ल्यूएचओ के लगभग तीन चौथाई सदस्य देशों में टीकों सहित चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियामक परिपक्वता का अभाव है।
इन मुद्दों के समाधान के लिए ओ’नील इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल एंड ग्लोबल हेल्थ लॉ में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य कानून केंद्र के निदेशक हलबी और ओ’हारा ने प्रस्ताव दिया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों के साथ सहयोग बढ़ाए, जिन्होंने उन्नत नियामक परिपक्वता हासिल कर ली है।
इसमें आपातकालीन डोजियर समीक्षा और स्वीकृति के लिए क्षेत्रीय पहलों में कोरिया, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के नियम बनाने वाले को एकीकृत करना शामिल होगा।
इसके अतिरिक्त वे सुझाव देते हैं कि क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंक डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध प्राधिकरणों द्वारा स्वीकार्य चिकित्सा उत्पादों के लिए ऋण प्रदान करे। यह दृष्टिकोण कोविड -19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची पर निर्भरता से उत्पन्न बाधाओं और पहुंच संबंधी मुद्दों को कम करेगा।
इसके अलावा, वे सिफारिश करते हैं कि भविष्य के वैश्विक महामारी समझौतों में नियमों की समीक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण के प्रावधान शामिल किए जाएं, जिसमें मजबूत नियामक प्रणालियों वाले देशों के अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि एलएमआईसी के लिए वैक्सीन की पहुंच में तेजी लाई जा सके।
इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य नियमों की जांच को वितरित करने के साथ सहमति प्रक्रियाओं का विस्तार करना है, जिससे भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के लिए वैश्विक तैयारी में सुधार किया जा सके।