नई दिल्ली, 21 दिसम्बर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में दायर अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया है कि आरोपियों में से एक विजय नायर ने कुछ थोक विक्रेताओं को उनके लाइसेंस सरेंडर करने के लिए मजबूर किया और फिर निर्माताओं को उस लाइसेंस के माध्यम से आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया ताकि वह उन व्यक्तियों को सीधे लाभ मार्जिन के लिए अपनी पसंद के थोक विक्रेताओं का चयन कर सकें।
ईडी ने आरोप लगाया कि नायर ने आप के नेताओं की ओर से एक समूह से 100 करोड़ रुपये की घूस ली, जिसे उसने साउथ ग्रुप नाम दिया। इसके प्रमुख सदस्य कथित रूप से मगुनता श्रीनिवासुलु रेड्डी, राघव मगुंटा, सारथ रेड्डी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बेटी के. कविता हैं।
ईडी ने चार्जशीट में कहा- दक्षिण समूह और आप नेताओं के बीच समझौते के एक हिस्से के रूप में दक्षिण समूह द्वारा विजय नायर के माध्यम से आप नेताओं को इन रिश्वतों का अग्रिम भुगतान किया गया था। भुगतान किए गए रिश्वत के खिलाफ, दक्षिण समूह ने बेहिचक पहुंच, अनुचित एहसान, स्थापित थोक व्यवसायों और कई खुदरा क्षेत्रों में हिस्सेदारी हासिल की (नीति में जो अनुमति दी गई थी उससे अधिक)। साउथ ग्रुप द्वारा दी गई रिश्वत की वसूली के लिए साउथ ग्रुप के भागीदारों को आरोपी समीर महेंद्रू के साथ मिलीभगत कर इंडो स्पिरिट्स में 65 फीसदी हिस्सेदारी दी गई थी। नायर द्वारा महेंद्रू के इंडो स्पिरिट्स को पर्नोड रिकार्ड का थोक कारोबार देने के आश्वासन पर इस साझेदारी गठन का निर्देशन किया गया था।
–आईएएनएस
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