नई दिल्ली, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। साल 2024 की विदाई का समय करीब आ चुका है और 2025 दस्तक देने वाला है। भारत जैसे समृद्ध लोकतांत्रिक देश में यह साल कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रमों का साक्षी रहा। इस दौरान देश के साथ तमाम राज्यों में चुनावी उत्सव देखने को मिला। वहीं, कई मुद्दों की गूंज सड़क से लेकर संसद तक सुनाई दी।
साल 2024 का लोकसभा चुनाव इस साल का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक पर्व रहा। इस चुनाव को इस साल की सबसे बड़ी राजनीतिक घटनाओं में से एक के रूप में याद किया जाएगा। चुनाव की प्रक्रिया 19 अप्रैल से 1 जून 2024 तक सात चरणों में संपन्न हुई, जिसमें मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इस चुनावी महासंग्राम के परिणाम ने सभी को चौंका दिया और देशभर में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी।
एक तरफ जहां एनडीए ‘अबकी बार, 400 पार’ का नारा देकर चुनावी समर में उतरी थी, वहीं दूसरी तरफ एनडीए को हराने के लिए विपक्षी दलों ने ‘इंडिया’ ब्लॉक बनाया। चुनावी नतीजे सामने आए तो एनडीए 400 के आंकड़े से बहुत पीछे रह गई, लेकिन नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने में कामयाब रहे। उत्तर प्रदेश में ‘इंडिया’ ब्लॉक के बैनर तले चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए भाजपा को बड़ा झटका दिया। इस चुनाव में भाजपा ने कुल 543 में से 240 सीटें हासिल कीं, जबकि कांग्रेस ने 99 सीटें जीती। चुनावी नतीजे से यह साफ संकेत मिलता है कि देश में पीएम मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है, लेकिन विपक्षी दलों को लोकसभा चुनाव में मिली बढ़त भविष्य में राजनीति की दिशा को प्रभावित कर सकती है।
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी तीसरी बार सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आप ने अपनी तैयारियां युद्ध स्तर पर शुरू कर दी हैं। तिहाड़ जेल से बाहर निकलने के बाद आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ा दांव चलते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपनी जगह आतिशी को दिल्ली की जिम्मेदारी सौंप दी। केजरीवाल के इस कदम को इस साल के बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है।
साल 2024 में भारतीय राजनीति में एक और महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला, जब नेहरू-गांधी परिवार की एक प्रमुख सदस्य प्रियंका गांधी वाड्रा ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। हालांकि उन्होंने कांग्रेस पार्टी के भीतर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत पहले ही कर दी थी, लेकिन इस साल उन्होंने वायनाड लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज कर संसद में प्रवेश किया है।
साल 2024 के विधानसभा चुनावों में ओडिशा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजू जनता दल को करारी हार का सामना करना पड़ा। नवीन पटनायक ने पहली बार 5 मार्च 2000 को सीएम पद की शपथ ली थी और 23 साल से ज्यादा समय तक पद पर रहे। नवीन पटनायक को ओडिशा की राजनीति में एक महानायक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने शासनकाल में राज्य में कई सामाजिक कल्याण योजनाएं लागू कीं, जिनसे बड़े पैमाने पर आम जनमानस को लाभ मिला।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए यह साल तमाम सियासी संभावनाओं को लेकर आया। लोकसभा चुनाव 2024 उनके लिए बेहद खास इसलिए रहा क्योंकि उन्होंने पिछली बार अमेठी सीट हारने के बाद उत्तर प्रदेश से शानदार वापसी की। अब राज्यसभा की सदस्य बन चुकीं अपनी मां सोनिया गांधी की परंपरागत रायबरेली सीट पर उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की। साथ ही कांग्रेस ने अमेठी सीट भी भाजपा से छीन ली।
इस साल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। इससे पहले साल 2014 में जब जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य था तब वहां विधानसभा चुनाव हुए थे। राज्य में विधानसभा चुनाव न कराए जाने की वजह से राजनीतिक असमंजस और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ था। साल 2019 में अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने और जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद राज्य में लंबे समय से चुनाव की मांग हो रही थी।
जम्मू-कश्मीर में हाल में 90 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) को 42 और भाजपा को 29 सीटें मिली थीं। एनसी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को छह सीटें मिलीं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को तीन सीटें मिलीं। माकपा, आम आदमी पार्टी (आप) और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) को एक-एक सीट मिली जबकि सात निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए। सात में से छह निर्दलीय भी एनसी में शामिल हो गए हैं।
साल 2024 झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। इस साल उन्हें कई राजनीतिक और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। तमाम सियासी झंझावातों से जूझते हुए उन्होंने विधानसभा चुनाव में दोबारा जीत हासिल कर इतिहास रचने का काम किया। जनवरी में उन्हें कथित घोटाले के आरोप में सलाखों के पीछे जाना पड़ा। उन्होंने अपनी जगह चंपई सोरेन को झारखंड का सीएम बना दिया गया। हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिली और उन्होंने दोबारा झारखंड के सीएम का पद संभाला। उसके बाद उनके नेतृत्व में गठबंधन ने झारखंड विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार महायुति गठबंधन को प्रचंड बहुमत मिला, जिसके बाद राज्य में बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के नेतृत्व में एक मजबूत सरकार का गठन किया गया। एकनाथ शिंदे की जगह देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। वहीं अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को झटका लगा। वह जीत को लेकर आश्वस्त थी लेकिन पार्टी के अति आत्मविश्वास को वहां की जनता ने नकार दिया। भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए यहां तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली है। विधानसभा चुनाव नतीजे के बाद कांग्रेस पार्टी ने ईवीएम का रोना शुरू कर दिया जिसे लेकर जमकर सियासत देखने को मिली।
लोकसभा और राज्यसभा में देश के तमाम मुद्दों के साथ बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार, मणिपुर में कानून-व्यवस्था और दिल्ली की कानून-व्यवस्था पर खूब हंगामा देखने के मिला। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों और अत्याचारों को लेकर भारतीय संसद में गहरी चिंता जताई गई।
वहीं, मणिपुर में जातीय हिंसा और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी संसद में चर्चा हुई। दिल्ली में बढ़ते अपराधों, खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर संसद में कई बार हंगामा हुआ है। विपक्षी दलों ने दिल्ली की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए और इसके लिए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहराया।
–आईएएनएस
एकेएस/एकेजे