पटना, 20 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मंगलवार को ‘लेटरल एंट्री’ के तहत बहाली के लिए केंद्रीय लोकसेवा आयोग द्वारा निकाले गए विज्ञापन को वापस कराने की पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि संविधान प्रदत्त आरक्षण को अक्षुण्ण रखना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है।
सम्राट चौधरी ने कहा कि यह एक साहसिक निर्णय है। पीएम मोदी के रहते एससी, एसटी और ओबीसी के हितों की कोई अनदेखी नहीं कर सकता है। कांग्रेस के शासनकाल में लेटरल एंट्री के माध्यम से सीधी बहाली की अवधारणा बनाई गई थी, जिसमें आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं था। कांग्रेस तो शुरू से ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी आरक्षण की विरोधी रही है। प्रधानमंत्री रहते हुए जवाहर लाल नेहरू ने 1961 में और राजीव गांधी ने विपक्ष के नेता रहते हुए लोकसभा में ओबीसी आरक्षण का विरोध किया था।
उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री सभी के लिए खुली है। सभी वर्ग के लोग इसमें आ सकते हैं। क्या जब कांग्रेस की सरकार लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती कर रही थी, तो उसमें आरक्षण की व्यवस्था थी?
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने आगे कहा कि अचानक कांग्रेस सहित राजद और अन्य विपक्षी पार्टियों का ओबीसी के प्रति प्रेम उमड़ आया है। वे एससी, एसटी और ओबीसी के छात्रों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्ष झूठ फैलाकर लोगों में जातीय उन्माद पैदा करने का प्रयास कर रहा है, जिस पर पीएम मोदी ने पानी फेर दिया है। विपक्ष यूपीएससी जैसी संस्थाओं की छवि खराब करने की भी कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को लेटरल एंट्री के जरिए ही 1976 में फाइनेंस सेक्रेटरी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया को योजना आयोग का उपाध्यक्ष और सोनिया गांधी को नेशनल एडवाइजरी काउंसिल का चीफ बनाया गया था। उस समय कांग्रेस को आरक्षण की याद क्यों नहीं आई?
–आईएएनएस
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