तिरुवनंतपुरम, 23 मार्च (आईएएनएस)। केरल के शोधकर्ताओं की एक टीम ने खतरनाक रसायनों और कीटनाशकों का उपयोग किए बिना प्राकृतिक तरीके से अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके फसलों की रक्षा करने की एक प्रक्रिया निकाली है।
यहां राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) में एस. मंजुला के नेतृत्व में टीम ने काली मिर्च के पौधों पर अध्ययन किया है और इसने काली मिर्च की फसल की सुरक्षा और बेहतर उपज के लिए बहुत फायदेमंद बताया है।
मंजुला ने कहा कि नई सुरक्ष प्रक्रिया काली मिर्च के पौधों को फुट-रोट रोग से बचाने में कारगर साबित हुई है और इसका पुख्ता सबूत है।
उन्होंने बताया कि ग्लाइकोल चिटोसन (जीसी) पानी में घुलनशील, गैर-विषैला ्रपॉलिमर है, जो पौधे की रक्षा के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग काली मिर्च के पौधों की पत्तियों को कीड़ों से बचाने के लिए किया गया।
मंजुला ने कहा, रोग और कीट व्यावसायिक काली मिर्च की स्थायी पैदावार के लिए गंभीर संकट पैदा करते हैं। यह देखा गया कि जीसी उपचार पौधों को फुट-रोट रोग से बचाने में बहुत कारगर है।
मंजुला ने कहा, पौधे की प्रतिरक्षा प्रणाली की दक्षता में वृद्धि से अस्थिर कीटनाशकों पर भरोसा करने की जरूरत कम हो जाएगी।
अध्ययन का निष्कर्ष हाल ही में फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
आरजीसीबी के निदेशक चंद्रभास नारायण ने कहा कि यह न केवल काली मिर्च के पौधों के लिए, बल्कि पौधरोपण का उद्देश्य पूरा करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण शोध है।
नारायण ने कहा, यह टिकाऊ और स्वाभाविक रूप से पारिस्थितिक है, क्योंकि उच्च जोखिम वाले कीटनाशकों और सिंथेटिक रसायनों का यह बेहतर विकल्प है।
–आईएएनएस
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