कोलकाता, 7 सितंबर (आईएएनएस)। कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं को आगे बढ़ाने के लिए ठेकेदारों ने कई व्यावसायिक संस्थाएं बना ली थीं। अस्पताल में चिकित्सा और गैर-चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति और रखरखाव से संबंधित काम के लिए ठेके लेने वाले ठेकेदार बिप्लब सिन्हा फिलहाल पुलिस की हिरासत में हैं।
सिन्हा पहले से ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में हैं। अब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी जांच कर रही है।
प्रवर्तन निदेशालय ने रिपोर्ट (ईसीआईआर) दाखिल करने के बाद मामले में धन शोधन के पहलू से जांच शुरू की है, उन्होंने तीन ऐसी संस्थाओं के कागजात का पता लगाया है, जो सिन्हा द्वारा गठित किए गए और उनके स्वामित्व में हैं। इससे पता चला कि सिन्हा आरजी कर प्राधिकारियों द्वारा जारी निविदाओं की बोलियों में नियमित भागीदार थे।
सूत्रों ने बताया कि कागजी कार्रवाई के अनुसार, निविदा बोलियां लगाते समय इन कंपनियों का बहुत प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया, जहां उन्होंने कम से लेकर अधिक तक तीन अलग-अलग बोलियां लगाई, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी को ही निविदा दी जाए। बोली लगाए जाने में तीन संस्थाएं मां तारा ट्रेडर्स, बाबा लोकनाथ एंटरप्राइजेज और तियाशा एंटरप्राइजेज हैं।
सीबीआई ने कोलकाता की एक विशेष अदालत में पहले ही दावा किया है कि सिन्हा और अन्य गिरफ्तार वेंडर सुमन हाजरा, आरजी कार के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के करीबी और विश्वासपात्र थे, जो अभी सीबीआई की हिरासत में है।
शुक्रवार को ईडी अधिकारियों ने इस मामले में सिन्हा के आवास सहित विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की और तलाशी अभियान चलाया, जहां से जांच अधिकारियों ने उनके स्वामित्व वाली इन तीन व्यावसायिक संस्थाओं से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल किए।
ईडी के अधिकारी संदीप घोष द्वारा अर्जित आय से अधिक संपत्ति मामले की भी जांच कर रहे हैं। जबकि सीबीआई ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश के बाद मामले की जांच का कार्यभार संभाला और ईडी ने ईसीआईआर दायर करके मामले में स्वत: संज्ञान लिया।
–आईएएनएस
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