नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने गुरुवार को डिजिटल पेमेंट ट्रांजैक्शन ऑथेंटिकेशन के लिए ऑथेंटिकेशन मैकेनिज्म फ्रेमवर्क पर ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी की। यह 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि आम जनता से मिले फीडबैक पर विचार किया गया है और उसे अंतिम दिशा-निर्देशों में शामिल किया गया है। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य तकनीकी प्रगति का उपयोग कर ऑथेंटिकेशन के नए तरीकों को बढ़ावा देना है।
हालांकि, इस फ्रेमवर्क में एसएमएस-बेस्ड ओटीपी को ऑथेंटिकेशन फैक्टर के रूप में बंद करने की बात नहीं कही गई है।
इसका उद्देश्य यह भी है कि जारीकर्ता, मूल ट्रांजैक्शन के फ्रॉड जोखिम के आधार पर न्यूनतम दो-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के अलावा अतिरिक्त जोखिम-आधारित जांच लागू कर सकें और इंटरऑपरेबिलिटी और टेक्नोलॉजी तक खुली पहुंच को बढ़ावा दे सकें, साथ ही जारीकर्ताओं की जिम्मेदारी भी तय की गई है।
आरबीआई कहता है कि भारत में सभी डिजिटल पेमेंट ट्रांजैक्शन को दो ऑथेंटिकेशन फैक्टर के नियम का पालन करना होगा।
हालांकि ऑथेंटिकेशन के लिए कोई खास फैक्टर अनिवार्य नहीं था, लेकिन डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम ने मुख्य रूप से अतिरिक्त फैक्टर के रूप में एसएमएस-बेस्ड वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) को अपनाया है।
आरबीआई के अनुसार, “सभी डिजिटल पेमेंट ट्रांजैक्शन को कम से कम दो अलग-अलग ऑथेंटिकेशन फैक्टर से प्रमाणित किया जाएगा, जब तक कि छूट न दी गई हो। जारीकर्ता अपनी मर्जी से इन दिशा-निर्देशों के अनुसार अपने ग्राहकों को ऑथेंटिकेशन फैक्टर का विकल्प दे सकते हैं।”
इसमें आगे कहा गया है, “यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कार्ड प्रेजेंट ट्रांजैक्शन को छोड़कर, सभी डिजिटल पेमेंट ट्रांजैक्शन के लिए, ऑथेंटिकेशन के कम से कम एक फैक्टर को डायनेमिक रूप से बनाया या प्रमाणित किया जाए, यानी ट्रांजैक्शन के हिस्से के रूप में भेजे गए फैक्टर का प्रमाण उस ट्रांजैक्शन के लिए यूनिक हो। ऑथेंटिकेशन का फैक्टर ऐसा होना चाहिए कि एक फैक्टर में गड़बड़ी दूसरे की विश्वसनीयता को प्रभावित न करे।”
साथ ही, सिस्टम प्रोवाइडर और सिस्टम पार्टिसिपेंट ऑथेंटिकेशन या टोकनलाइजेशन सर्विस प्रदान करेंगे, जो उस ऑपरेटिंग एनवायरनमेंट में काम करने वाले सभी एप्लिकेशन और टोकन रिक्वेस्ट करने वालों के लिए सभी यूज केस और चैनल या टोकन स्टोरेज मैकेनिज्म के लिए सुलभ होगी।
–आईएएनएस
एसकेटी/