जबलपुर. हाईकोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा है कि आवश्यक तथ्यों के बिना धारा 306 के तहत अपराध दर्ज नहीं किया जा सकता है. हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि सिर्फ धारणा के आधार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रकरण दर्ज नही किया जा सकता है. आवश्यक तथ्यों के बिना ही जिला न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ चार्ज भी फ्रेम कर दिया. एकलपीठ ने एफआईआर तथा न्यायालय में लंबित प्रकरण को खारिज करने के निर्देष दिये है.
याचिकाकर्ता हीरालाल अहिरवार,पुरुषोत्तम अहिरवार सहित पांच व्यक्तियों की तरफ से दायर क्रिमिनल रिवीजन में कहा गया था कि सालीचौका रेलवे स्टेशन के समीप कामला प्रसाद अहिरवार उम्र 50 साल ने 5 फरवरी 2022 को ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली थी. जीआरपी गाडरवारा ने मर्ग कायम कर उनके खिलाफ धारा 306 के तहत अपराध दर्ज किया था. प्रकरण के अनुसार पुरुषोत्तम अहिरवार के घर तेरहवीं के कार्यक्रम में शामिल होने कामला प्रसाद गया था. बेटा द्वारा बसोर समाज की लडकी से ष्षादी होने के कारण याचिकाकर्ताओं ने उसे स्वतंत्र रूप से कार्यक्रम में शामिल होने नहीं दिया. उसे सिर्फ खाना खाने की अनुमति थी.
बेटे व पुत्रवधू के खाना खाने की अनुमति नहीं थी. खुद को अपमानित महसूस करते हुए कामता ने आत्महत्या कर ली. याचिकाकर्ताओं की तरफ से तर्क दिया गया कि आत्महत्या के पूर्व कामता ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा था. इसके अलावा खुद को अपमानित किये या महसूस करने के संबंध में किसी से कुछ नहीं कहा था. आवश्यक तथ्यों के बिना ही उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया और न्यायालय ने चार्ज फ्रेम कर दिये.
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि परिजनों के बयान व धारणा के आधार पर आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया था. प्रकरण में आत्महत्या के लिए उकसाने के कोई आवश्यक तथ्य नहीं थे. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए एकलपीठ ने एफआईआर तथा न्यायालय में लंबित प्रकरण को खारिज करने के आदेश जारी किये है.