गुरुग्राम, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। हरियाणा के गुरुग्राम जिले में आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी चिंता का सबब बन गई है। कई लोग ‘इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त’ द्वारा हमला किए जाने के डर में जी रहे हैं।
बढ़ते शहरीकरण ने समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है। स्थानीय लोगों ने कहा कि अक्सर खतरनाक कुत्ते सड़कों और फुटपाथों को अवरुद्ध कर देते हैं और संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। वे खाने और चिकन की हड्डियों की तलाश में कचरे पर मुँह मारते हैं।
एक आईटी पेशेवर अमन दीक्षित कहते हैं, “मुझे अपनी जान का डर है। हम टहलने के लिए भी घर से बाहर नहीं निकल सकते। ये आवारा कुत्ते अचानक लोगों को काट लेते हैं। हमारी कारों पर भी खरोंचें डाल रहे हैं।”
इस समस्या से निपटने के लिए गुरुग्राम नगर निगम (एमसीजी) ने पिछले साल एक आदेश जारी किया था कि कुत्तों के मालिकों को अपने पालतू जानवरों (प्रति परिवार एक) को पंजीकृत करना होगा। यदि वे टैग के बिना सार्वजनिक स्थानों पर पाए जाते हैं तो उन्हें हिरासत में लिया जाएगा और एक सप्ताह के भीतर दावा नहीं किए जाने पर नसबंदी कर दी जाएगी।
हालाँकि, पालतू जानवरों के मालिकों और पशु प्रेमियों के भारी विरोध के बीच नागरिक निकाय ने अपने आदेश में संशोधन किया और अधिकारियों ने कहा कि इसका इरादा कभी भी लावारिस कुत्तों को मारने का नहीं था।
इसके बाद, एमसीजी ने गुरुग्राम में 11 से अधिक विदेशी कुत्तों की नस्लों पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश पारित किए।
आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए एमसीजी द्वारा उठाए गए कदमों में आवश्यक शुल्क के भुगतान पर तत्काल प्रभाव से पालतू जानवरों का पंजीकरण शामिल है।
निवासियों ने शिकायत की है कि खराब नसबंदी अभियान के कारण, शहर में आवारा कुत्तों की आबादी बढ़ रही है, और सिविल अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 15 कुत्ते के काटने के मामले आते हैं।
विपुल वर्ल्ड सिटी आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष जय वीर यादव ने आईएएनएस को बताया, “आवारा जानवरों की आबादी को नियंत्रित करना एक कठिन काम है जिसे अकेले अधिकारियों द्वारा आसानी से नहीं किया जा सकता। पहली और सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता यह है कि हर क्षेत्र में पूरे साल समय-समय पर कुत्तों की नसबंदी की जानी चाहिए। सरकार को हेल्पलाइन नंबर डिस्प्ले करना चाहिए ताकि लोग शिकायत दर्ज कर सकें और उन पर तेजी से कार्रवाई हो।”
गुरुग्राम के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीरेंद्र यादव ने कहा, “गुरुग्राम में कुत्तों की आबादी लोगों के लिए प्रमुख खतरों में से एक है। विभाग जिले के निवासियों की सुरक्षा के लिए प्रयास कर रहा है। रेबीज जैसी संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए हमने पिछले दो साल में कुत्तों का परीक्षण शुरू किया है। खतरे को कम करने के लिए, हमने कई कदम उठाए हैं और कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया है और विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए हैं।”
विशेषज्ञों के मुताबिक, एमसीजी को अपनी क्षमता बढ़ाने और प्रतिदिन 800-1000 आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण शुरू करने की जरूरत है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि कचरे का अनुचित निपटान, सड़कों पर छोड़े गए पालतू जानवर और, सबसे महत्वपूर्ण बात, कुत्तों की अपर्याप्त नसबंदी और टीकाकरण समस्या के प्राथमिक कारण हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाय लागू करने में विफल रही है।
एमसीजी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि शहर में लगभग एक लाख 64 हजार आवारा कुत्ते और कम से कम 15 हजार पालतू कुत्ते हैं।
हालाँकि, 2014 और अगस्त 2023 के बीच के आंकड़ों के अनुसार निगम ने 2.90 करोड़ रुपये की लागत से 45 हजार 238 आवारा कुत्तों की नसबंदी करके इस पहल का नेतृत्व किया।
निवासियों ने यह भी कहा कि अधिकारियों को पशुपालन अधिकारियों, कुत्तों के प्रशिक्षकों और पशु चिकित्सकों की मदद लेनी चाहिए।
सेक्टर -12 निवासी नीरू मलिक ने कहा, “अधिकारियों को इस मामले में आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। लोगों को शिक्षित करने की जरूरत है क्योंकि आवारा कुत्ते बच्चों को काटते हैं, जगह-जगह कूड़ा फैलाते हैं और रात में आपस में लड़कर उपद्रव मचाते हैं। आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वालों को ऐसा करने से रोका जाना चाहिए क्योंकि इससे बड़ी संख्या में कुत्ते भोजन की तलाश में एक विशेष सड़क पर चले जाते हैं। अधिकारियों को नागरिकों को अनावश्यक चोटों से बचाने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है।”
अधिवक्ता आशुतोष राघव के अनुसार, “पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के नियम 20 के तहत आदेश के अनुसार, देखभाल करने वालों/कुत्ते को खिलाने वालों के परामर्श से सामुदायिक जानवरों के लिए भोजन स्थान निर्धारित करना प्रत्येक हाउसिंग सोसायटी की जिम्मेदारी है। इससे मानव-पशु संघर्ष, कुत्ते के काटने के मामलों आदि को कम करने में मदद मिलेगी।”
इसके अलावा, कई लोग अपने पालतू जानवरों को खुला छोड़ देते हैं जिससे आवारा कुत्तों की आबादी में बढ़ रही है। यह नैतिक रूप से गलत है। उन्होंने कहा कि अगर आप अपने पालतू जानवर की देखभाल नहीं कर सकते तो उसे सरेंडर करने के भी विकल्प हैं।
इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 पारित किया गया जो आवारा कुत्तों सहित जानवरों के प्रति क्रूरता को प्रतिबंधित करता है। उन्होंने कहा, अधिनियम कहता है कि जानवर का प्रत्येक मालिक उसकी भलाई के लिए जिम्मेदार है, और पालतू जानवरों को आवारा बनने के लिए छोड़ देना गैरकानूनी है।
गुरुग्राम के सिविल लाइन्स इलाके में अगस्त 2022 में एक 36 वर्षीय महिला पर पिटबुल ने हमला किया और कम से कम आधे घंटे तक बार-बार काटा, जिससे उसकी गर्दन और पूरे शरीर पर गंभीर चोटें आईं।
एक जर्मन शेफर्ड पालतू कुत्ते के मालिक पर नवंबर 2022 में मामला दर्ज किया गया था। उसने एक कॉलेज छात्रा पर हमला किया था, जिससे उसके मुंह और हाथ पर चोटें आई थीं। घटना पुराने गुरुग्राम की है।
गुरुग्राम के यूनीवर्ल्ड गार्डन सिटी-2 में फरवरी 2023 में एक 12 वर्षीय लड़की उस समय बाल-बाल बच गई जब एक लैब्राडोर कुत्ते ने उस पर छलांग लगा दी और हमला कर दिया।
गुरुग्राम के सेक्टर 50 में अगस्त 2023 में एक आवासीय सोसायटी की लिफ्ट के अंदर एक पालतू कुत्ते ने एक महिला और छह महीने के बच्चे पर हमला कर दिया। दोनों बुरी तरह घायल हो गयेऍ
–आईएएनएस
एकेजे