यरूशलम, 20 मार्च (आईएएनएस)। इजरायल ने गाजा के डेर अल-बलाह में संयुक्त राष्ट्र के अतिथिगृहों पर हमले में एक बल्गेरियाई संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी की मौत पर ‘दुख’ जताया। हालांकि उसने कहा कि शुरुआती जांच में इस घटना में इजरायल की कोई संलिप्तता नहीं पाई गई।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि यूएन ऑफिस फॉर प्रोजेक्ट सर्विस (यूएनओपीएस) में कार्यरत कर्मचारी की मौत तब हुई दो संयुक्त राष्ट्र फैसिलिटी पर हमला हुआ।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पांच अन्य कर्मियों को गंभीर चोटें आईं।
इजरायली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मार्मोरस्टीन ने कहा कि शुरुआती जांच में इजरायली सैन्य अभियानों और हमले के बीच ‘कोई संबंध नहीं पाया गया और घटना की परिस्थितियों की जांच की जा रही है।”
ओरेन मार्मोरस्टीन ने कहा, “उन्होंने बताया कि इजरायल ने पीड़ित के शव और घायलों को घटनास्थल से निकालने में मदद की।”
प्रवक्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि घायलों को इजरायली अस्पतालों में इलाज मिलेगा।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हमले की निंदा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “यूएन के सभी परिसरों की लोकेशन संघर्ष में शामिल पक्षों को पता हैं, और इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उन पर है।”
गुटेरेस ने पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि इस मौत के साथ ही 7 अक्टूबर 2023 से गाजा में मारे गए संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों की संख्या कम से कम 280 हो जाएगी।
यूएनओपीएस प्रमुख जॉर्ज मोरेरा दा सिल्वा ने कहा, “इन परिसरों के बारे में इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) को अच्छी तरह से मालूम था और ये ‘संघर्ष-मुक्त’ थे।” उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि उस समय संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी अंदर मौजूद थे।
इससे पहले बुधवार को, इजरायली सेना ने परिसरों को निशाना बनाने से इनकार किया। इसने एक बयान में कहा, “रिपोर्टों के विपरीत, आईडीएफ ने डेर अल-बलाह में संयुक्त राष्ट्र परिसर को निशाना नहीं बनाया।”
यह घटना तब हुई जब इजरायल ने गाजा में सैन्य अभियान फिर से शुरू किया, जिसके बारे में उसका दावा है कि यह हमास के आतंकवादियों के खिलाफ है। गाजा स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार से 400 से अधिक फिलिस्तीनी मौतों की सूचना दी, जिनमें कम से कम 170 बच्चे और 80 महिलाएं शामिल हैं।
इजरायल की सेना ने कहा कि अभियान का उद्देश्य “हमास के खतरों को खत्म करना” था और “रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त होने तक” जारी रहेगा।
–आईएएनएस
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