चेन्नई, 22 फरवरी (आईएएनएस)। इरोड पूर्व में 27 फरवरी को होने वाले उपचुनाव के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में कांग्रेस और डीएमके अंतिम चरण के दौरान व्यापक प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं।
निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली कांग्रेस को किसी भी कीमत पर सीट जीतनी है क्योंकि उसके विधायक ई. थिरुमहान एवरा के निधन के कारण उपचुनाव की जरूरत पड़ी है।
कांग्रेस-डीएमके ने इस सीट के लिए ईवीकेएस एलंगोवन को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं एआईएडीएमके मोर्चे का प्रतिनिधित्व पूर्व विधायक के.एस. थेन्नारसू कर रहे हैं।
टीएनसीसी अध्यक्ष के.एस. अलागिरी सहित कई वरिष्ठ नेता कांग्रेस उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं। 2021 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के थिरुमहान एवरा ने 8,924 मतों के अंतर से यह सीट जीती थी।
अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने कांग्रेस के उम्मीदवार को पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। कमल हासन की मक्कल नीति मैयम (एमएनएम) के उम्मीदवार ने 2021 के विधानसभा चुनावों में 10,000 वोट हासिल किए।
थेन्नारासू ने आईएएनएस से कहा कि अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) खेमा बिल्कुल भी चिंतित नहीं है। आगे कहा कि राजनीति में आप मतदाता को कम नहीं आंक सकते हैं और चुनाव में मतदान करना उसकी पसंद है। पिछले चुनावों में उन्होंने जो चुना था, यह उसके बिल्कुल विपरीत हो सकता है और इस प्रकार पिछले चुनाव में नेतृत्व के बारे में ये सभी बातें ज्यादा मायने नहीं रखती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक ने राज्य में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नीट (एनईईटी) को समाप्त करने में डीएमके की विफलता को उजागर किया है जो एक प्रमुख चुनावी वादा था। डीएमके सरकार ने अभी तक गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं को 1000 रुपये मासिक पेंशन प्रदान नहीं की है जो एक और चुनावी वादा था।
अन्नाद्रमुक मोर्चा कानून व्यवस्था की विफलता और पुलिस की मनमानी पर भी प्रकाश डाल रहा है, जिसमें लॉकअप यातना और मौतें शामिल हैं। हालांकि, डीएमके-कांग्रेस के मोर्चे पर बढ़त है क्योंकि तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक लगभग विभाजित हो गई है और ओपीएस और ईपीएस गुट एक-दूसरे को नहीं देख रहे हैं।
अल्पसंख्यक मुस्लिम वोटों की मजबूत उपस्थिति भी कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में डाली जाएगी क्योंकि अन्नाद्रमुक भाजपा के साथ राजनीतिक गठबंधन में है। रिपोर्ट के अनुसार, कथित तौर पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं द्वारा जेएनयू में तमिल छात्रों पर हमले को डीएमके द्वारा बड़े पैमाने पर उठाया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आखिरी चरण में प्रचार के साथ कांग्रेस और डीएमके जीत हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है, और पार्टी कार्यकर्ता ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिल रहे हैं।
–आईएएनएस
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