सतना, देशबन्धु। सरकार काफी बजट खर्च कर के भवन का निर्माण तो करा दिया है लेकिन इन अस्पताल में इलाज करने मरीज को परेशानी का सामना करना पड़ता है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि जब डॉक्टरों के राउंड का समय होता है वह नदारत रहते हैं और ओपीडी के समय में वह राउंड पर निकलते हैं। जिसके चलते ओपीड़ी में आये मरीजों को सिर्फ और सिर्फ परेशानी हांथ लगती है।
दूर दराज गांवों से रामनगर सीएचसी मरीज इस लिए आता है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ चिकित्सकीय स्टाफ द्वारा बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। लेकिन यहां आने के बाद उन्हे डॉक्टर ही नहीं मिलते। ड्यूटी समय पर जब उन्हे ओपीडी मे होना चाहिए तो कमरे में ताले लटकते रहते हैं।
झोलाछाप डॉक्टर विकल्प
डॉक्टर नहीं मिलने के चलते मजबूर होकर मरीजों को आखरी में झोला छाप डॉक्टरों से इलाज करने मजबूर हो रहे हैं। एक ऐसा ही वाकया शुक्रवार को रामनगर सीएचसी का सामने आया। यहां बच्चे का इलाज करने एक परिवार डॉक्टर के निजी आवास के बाहर बैठा रहा लेकिन उसे कोई यह बताने वाला नहीं रहा कि डॉक्टर हैं कि नहीं। बताया गया है कि 7 मार्च की सुबह 9 से 10 बजे के बीच रामनगर स्थित चिकित्सक आवासों का दरवाजा बंद रहा। प्रभारी चिकित्सक अस्पताल के कार्यों से बाहर है जबकि यहां पर एक और चिकित्सक डॉ. अमित पटेल
ड्यूटी पर है। बीमार बच्ची का इलाज कराने के लिए एक परिवार काफी देर से निजी आवास के बाहर इंतजार कर रहा था, लेकिन उनको यह बताने वाला भी कोई नही था कि डॉक्टर साहब है या नही।
राउंड पर नहीं आते
बताया गया है कि अस्पताल में जब डॉक्टरों के राउंड का समय होता है तब डॉक्टरों की नीद पूरी होती है, फिर ओपीडी के टाइम में भर्ती मरीजों का हाल जाना जाता है। कुल मिलाकर के मन माफिक यहां सबकुछ चल रहा है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि इस दिशा की तरफ सीएमएचओ भी नहीं देते। जिसके चलते चिकित्सकों में समय को लेकर बिलकुल भी भय नहीं रह गया है। ऐसे में सवाल यही है कि जब व्लाक स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का यह हाल है, तो पीएचसी के क्या चल रहा होगा।
अटैचमेंट का ले रहे लाभ
मैहर जिले अंतर्गत समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर लाखों की आबादी जुड़ी हुई है। जिसके चलते यहां पर चिकित्साधिकारी पदस्थ किया गया है बताया गया है कि वह तकरीबन एक वर्ष से अटैचमेंट का लाभ ले रहे है। तो दूसरी ओर अगर आयुष के अमले की करें तो वह भी नाम मात्र का है। कुल मिलाकर के कागजों में स्वास्थ्य सेवाएं चल रही हैं।
बाहर जाना पड़ता है इलाज कराने
बताया गया है कि देवराजनगर स्थित विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी द्वारा आकस्मिक तौर पर अल्प समय के लिए किन्ही अन्य चिकित्सकों की तैनाती कर दी जाती है। हालत यह है कि इलाज कराने के लिए यहां के मरीजों को सतना, रीवा, जबलपुर, भोपाल या नागपुर जाना पड़ता है।