प्रयागराज (उप्र), 16 जनवरी (आईएएनएस)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य के स्कूलों से 2020-21 के लिए बच्चों की 15 प्रतिशत फीस वापस करने को कहा, जब महामारी के कारण ऑफलाइन कक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकीं।
मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर की पीठ ने कहा कि सत्र 2020-21 में ली जाने वाली कुल फीस का 15 प्रतिशत अगले सत्र में समायोजित करना होगा। कोरोना काल में ली जा रही स्कूल फीस के नियमन को लेकर कई अभिभावकों की ओर से याचिका दायर की गई थी।
कोर्ट में याचिकाकर्ता अभिभावकों की ओर से इस बात पर जोर दिया गया कि वर्ष 2020-21 में निजी स्कूलों में ऑनलाइन ट्यूशन के अलावा कोई सेवा नहीं दी गई। इस प्रकार, निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस से एक रुपया भी अधिक वसूलना और कुछ नहीं बल्कि शिक्षा का मुनाफाखोरी और व्यावसायीकरण है।
याचिकाकर्ताओं ने अपने समर्थन में भारतीय स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का भी हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि निजी स्कूल बिना कोई सेवा प्रदान किए फीस की मांग करना शिक्षा में मुनाफाखोरी के बराबर है।
हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक स्कूल छोड़ चुके बच्चों को साल 2020-21 में ली गई फीस का 15 फीसदी स्कूलों को वापस करना होगा। इस पूरी प्रक्रिया को करने के लिए हाईकोर्ट ने सभी स्कूलों को 2 महीने का समय दिया है। सभी याचिकाओं पर छह जनवरी को सुनवाई हुई थी और फैसला सोमवार को आया है।
–आईएएनएस
केसी/एएनएम