देहरादून, 13 जनवरी (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) ने जोशीमठ की सेटेलाइट तस्वीरें और भू-धंसाव पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है, जिससे पता चलता है कि पूरा शहर धंस सकता है।
हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
–आईएएनएस
पीटी/सीबीटी
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देहरादून, 13 जनवरी (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) ने जोशीमठ की सेटेलाइट तस्वीरें और भू-धंसाव पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है, जिससे पता चलता है कि पूरा शहर धंस सकता है।
तस्वीरें काटोर्सैट-2एस सेटेलाइट से ली गई हैं।
हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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तस्वीरें काटोर्सैट-2एस सेटेलाइट से ली गई हैं।
हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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तस्वीरें काटोर्सैट-2एस सेटेलाइट से ली गई हैं।
हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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तस्वीरें काटोर्सैट-2एस सेटेलाइट से ली गई हैं।
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तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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तस्वीरें काटोर्सैट-2एस सेटेलाइट से ली गई हैं।
हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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तस्वीरें काटोर्सैट-2एस सेटेलाइट से ली गई हैं।
हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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तस्वीरें काटोर्सैट-2एस सेटेलाइट से ली गई हैं।
हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
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हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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तस्वीरें काटोर्सैट-2एस सेटेलाइट से ली गई हैं।
हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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तस्वीरें काटोर्सैट-2एस सेटेलाइट से ली गई हैं।
हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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तस्वीरें काटोर्सैट-2एस सेटेलाइट से ली गई हैं।
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तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।
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हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं।